नई दिल्ली: भारत अभी भी पोलियो मुक्त देश बना हुआ है क्योंकि देश से वाइल्ड पोलियो वायरस का उन्मूलन कर दिया
मीडिया में कुछ रिपोर्टें आईं कि 5 वर्ष में पहली बार भारत में पोलियो वायरस (पी2 स्ट्रेन) पुन: पाया गया है, तथापि यह सही नहीं है क्योंकि पाया गया पोलियो वायरस स्ट्रेन टीके से व्युत्पन्न पोलियो वायरस (वीडीपीवी) है, जिसे सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन के निकट सीवेज सैम्पल से एकत्र किया गया है, तथापि आसपास के क्षेत्रों में किसी भी बच्चे को वीडीपीवी से प्रभावित नहीं पाया गया है। देश में वाइल्ड पोलियो वायरस टाइप-2 का अंतिम मामला 17 वर्ष पूर्व 1999 में रिपोर्ट किया गया था। टीके से व्युत्पन्न पोलियो वायरस (वीपीडीवी) के पाए जाने से देश की पोलियो मुक्त स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा। यह सिर्फ देश की निगरानी प्रणाली की दृढ़ता और उसकी इच्छाशक्ति को दर्शाता है जो कि आसपास के वातावरण (सीवेज) में भी पोलियो वायरस के पाए जाने के प्रति सतर्क रहता है। टीके से व्युत्पन्न पोलियो वायरस, पोलियो वायरस के दुर्लभ स्ट्रेन हैं जो कि ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) में निहित स्ट्रेन से अनुवांशिक रूप से परिवर्तित हुए हैं।
क्षेत्र की त्वरित निगरानी समीक्षा से यह बात सामने आई है कि पोलियो टाइप-2 के प्रति लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक है क्योंकि 24 अप्रैल, 2016 तक राज्य में ट्राईवेलेन्ट ओरल पोलियो वैक्सीन (टीओपीवी) का उपयोग किया गया था और जनवरी तथा फरवरी, 2016 में दो व्यापक टीकाकरण अभियान चलाए गए थे। क्षेत्र में हाल में कराए गए नमूना सर्वेक्षण के अनुसार 94% बच्चों ने ओपीवी की कम-से-कम 3 खुराक प्राप्त की थीं। अत: संबंधित क्षेत्र में इसके हस्तांतरित होने की संभावना कम है।
तथापि, पोलियो के खिलाफ एहतियाती उपाय के तौर पर हैदराबाद और रंगारेड्डी जिलों के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों को कवर करते हुए 20 जून से एक विशेष प्रतिरक्षण अभियान का आयोजन किया जा रहा है जिसमें इनएक्टिवेटिड पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) के जरिए पोलियो से लगभग 300000 बच्चों को सुरक्षित किया जाएगा। विशेष प्रतिरक्षण अभियान यह सुनिश्चित करेगा कि उच्च जोखिम क्षेत्र में रहने वाले सभी बच्चों को पोलियो से सुरक्षा प्रदान की जाए।
अभी आयोजित किए जा रहे विशेष अभियान के भाग के रूप में 6 सप्ताह से तीन वर्ष के आयु समूह के बीच के बच्चों को इन्जेक्टेबल पोलियो वैक्सीन (आईपीबी) की एक अतिरिक्त खुराक दी जाएगी। इन अभियानों में कवर किए जा रहे क्षेत्रों में टीकाकरण बूथों की स्थापना की जाएगी। तथापि, घर-घर जाकर टीकाकरण अभियान नहीं चलाया जाएगा। इन क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के माता-पिता को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे सुनिश्चित करें कि निकटतम टीकाकरण बूथ से अपने बच्चों को आपीवी की खुराक दिलवाएं, जो कि उन्हें सभी प्रकार के पोलियो से अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा।
हैदराबाद और रंगारंड्डी जिलों को शामिल करने वाला विशेष अभियान पोलियो मुक्त रहने के भारत के सुदृढ़ प्रतिबद्धता एक अतिरिक्त प्रमाण है। भारत में अनियंत्रित पोलियो वायरस का अंतिम मामला दिनांक 13 जनवरी, 2011 को पता लगाया गया था और मार्च 2014 में डब्ल्यूएचओ द्वारा पोलियो मुक्त प्रमाणित किया गया था। पोलियो मुक्त प्रमाणीकरण अनियंत्रित पोलियो वायरस की अनुपस्थिति से संबंधित और देश पोलियो मुक्त हो गया।
भारत पोलियो के लिए अत्यंत संवेदनशील निगरानी प्रणली को बनाए रखा है। 15 वर्ष आयु के बच्चों में पक्षाघात के अचानक प्रारंभ के सभी मामलों को पोलियों निगरानी नेटवर्क द्वारा चुन लिया जाता है। इनमें से प्रत्येक मामलों में आगे की कार्रवाई की जाती है और डब्ल्यूएचओ प्रत्यायित प्रयोगशालाओं में पोलियो वायरस के लिए उनके मल की जांच की जाती है। इसके अतिरिक्त पोलियो वायरस का पता लगाने के लिए देश भर में फैले 30 से अधिक स्थलों से नियमित अंतराल में गंदे पानी का नमूना लिया जाता है।
जनवरी 2015 से मई 2016 के बीच देश के विभिन्न भागों से एकत्र किए गए गंदे पानी के कुल 14 नमूनों को जांच करने के बाद वीडीपीवी के लिए पाजिटिव पाया गया। इन सभी मामलों को शीघ्रतापूर्वक और उपयुक्त रुप से पोलियो टीकाकरण अभियान में शामिल किया गया। गंदे पानी में पाए गए कोई भी वीडीपीवी अभी तक किसी भी बच्चे को प्रभावित नहीं किया।
हैदराबाद में वीडीपीवी के लिए स्वास्थ्य प्राधिकरणों की प्रतिक्रिया वायरस के फैलने के किसी जोखिम को कम करने के विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रोटोकॉल के अनुसार है। डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और रोटरी पोलियो अभियान को चलाने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सहायता कर रहे है।
पोलियो वायरस के निरंतर प्रसारण वाले देशों से पोलियो वायरस को बाहर से लाने और फैलाव के जोखिम को कम करने के लिए भारत ने सख्त उपाय किए है। देश ने इस वर्षदो राष्ट्रव्यापी पोलियो अभियान का संचालन किया है। पोलियो टीकाकरण अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर किया जा रहा है और पोलियो प्रभावित देशों में यात्रा करने वालों के लिए उक्त टीकाकरण अभिवार्य है।
भारत में पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम प्रतिवर्ष दो राष्ट्रव्यापी सामूहिक पोलियो टीकाकरण अभियानों और दो से तीन उप-राष्ट्रीय अभियानों के संचालन के माध्यम से पंगु कर देने वाले रोग से बच्चों की रक्षा कर रहा है। नेमी टीकाकरण कवरेज जिसमें व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत शिशुओं को अन्य टीकों के अतिरिक्त पोलियो के टीके देना शामिल है, में सुधार करने के लिए भारत में सघन प्रयास भी किए जा रहे है।