नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश में मरूस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र समझौते (यूएनसीसीडी) में शामिल देशों के 14वें सम्मेलन (कॉप 14) के उच्च स्तरीय खंड को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत प्रभावी योगदान देने के लिए तत्पर है क्योंकि हम दो वर्ष के कार्यकाल के लिए सह-अध्यक्ष का पदभार संभाल रहे हैं। सदियों से हमने भूमि को महत्व दिया है। भारतीय संस्कृति में पृथ्वी को पवित्र माना गया है और मां का दर्जा दिया गया है।
आप यह जानकार चौंक जायेंगे कि मरूस्थलीकरण से दुनिया के दो-तिहाई से भी ज्यादा देश प्रभावित हैं। यह दुनिया के सामने आ रहे जल संकट से निपटने की कार्रवाई के साथ-साथ भूमि के बारे में भी कार्रवाई करने के लिए एक महत्वपूर्ण मामला बन जाता है। जब हम बंजर भूमि का समाधान खोजते हैं तो हमें जल संकट के मुद्दे से भी निपटना होगा। पानी की अधिक आपूर्ति, जल के पुनर्भरण में बढोत्तरी, पानी कम बहना और भूमि में नमी बनी रहने जैसे उपाय समग्र भूमि और जल रणनीति के हिस्से हैं। मैं वैश्विक जल यूएनसीसीडी के नेतृत्व से ग्लोबर वाटर एक्शन एजेंड़ा बनाने का आह्वान करता हूं जो भूमि के बंजर होने की रोकथाम की रणनीति का केन्द्र बिन्दु है।
आज मुझे यूएनएफसीसीसी ने पेरिस कॉप के दौरान भारत की सूचियों की याद दिलाई गई। इनमें भूमि, जल, वायु, पेड-पौधों और सभी जीवधारियों के बीच स्वस्थ संतुलन बनाने के बारे में भारत की गहरी सांस्कृतिक जड़ों का उल्लेख किया गया है। भारत अपने पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाने में समर्थ हुआ है। 2015-17 के बीच भारत का वन क्षेत्र 0.8 मिलियन हैक्टेयर बड़ा है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने विभिन्न प्रयासों के द्वारा फसल उपज बढ़ाकर किसानों की आय दोगुनी करने का कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें भूमि को खेती योग्य बनाना और सूक्ष्म सिंचाई शामिल है। हम प्रति बूंद अधिक फसल मोटो के साथ काम कर रहे हैं। हमने जैव उर्वरकों का उपयोग बढ़ाया है और कीटनाशकों तथा रसायनिक उर्वरकों का उपयोग कम किया है। हमने कुल मिलाकर जल संबंधित मुख्य मुद्दों के समाधान के लिए जल शक्ति मंत्रालय बनाया है। भारत आने वाले वर्षों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा देगा।
श्री मोदी ने कहा- मित्रों मानव सशक्तिकरण का पर्यावरण की स्थिति से गहरा संबंध है चाहे वो जल संसाधनों का उपयोग हो या एकल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को कम करना हो। इसका रास्ता व्यवहार में बदलाव की तरफ ही जाता है। जब समाज के सभी वर्ग कुछ अर्जित करने का निर्णय लेते हैं तो इच्छित परिणाम मिलते हैं। भारत में यह स्वच्छ भारत मिशन के मामले में देखा जायेगा। समाज के सभी वर्गों के लोगों ने इस मिशन में भाग लिया और स्वच्छता का दायरा सुनिश्चित किया, जो वर्ष 2014 में 38 प्रतिशत था, आज बढ़कर 99 प्रतिशत हो गया है।
प्रधानमंत्री ने वैश्विक भूमि एजेंडा में भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि मैं उन देशों को भारत की सहायता का प्रस्ताव करता हूं जो एलडीएन रणनीतियों को समझना और अपनाना चाहते हैं। मैं इस मंच से यह घोषणा करना चाहता हूं कि भारत अपने कुल क्षेत्र की महत्वकांक्षाओं को बढ़ायेगा और अब से 2030 के बीच 21 मिलियन हैक्टेयर से 26 मिलियन हैक्टेयर तक अपनी बंजर भूमि को खेती योग्य बनायेगा।
उन्होंने कहा कि बंजर भूमि के बारे में एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने और प्रौद्योगिकी शामिल करने के लिए हमने भारतीय व अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद में एक उत्कष्टता केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। इससे बंजर भूमि से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए ज्ञान, प्रौद्योगिकी और जनशक्ति प्रशिक्षण की इच्छा रखने वालों के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने अपने भाषण का ‘ओम्द्यौ:शांति: अन्तरिक्षंशान्ति:’ कहकर समाप्त किया। शांति शब्द का अर्थ केवल अमन ही नहीं, या हिंसा प्रतिकार होना ही नहीं है। यहां यह संमृद्धि का संदर्भ देती है। हर चीज का एक उद्देश्य होता है और हर किसी को वह उद्देश्य पूरा करना होता है। इस उद्देश्य की पूर्ति भी समृद्धि होती है। इसलिए यह कहा जाता है कि आकाश, स्वर्ग और अंतरिक्ष की समृद्धि हो सकती है।