नई दिल्ली: इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व की जल समस्या के समाधान के लिए ‘भारत जल सप्ताह’ श्रेष्ठ व्यवहारों और विचारों को साझा करने की दिशा में प्रमुख कदम है। यह प्रसन्नता की बात है कि प्रदर्शनी में अच्छी संख्या में लोग आ रहे हैं और इसमें जल के इस्तेमाल में सुधार लाने के उपायों को दिखाया गया है। उन्होंने इस आयोजन के लिए जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्रालय को धन्यवाद दिया और केन्द्र तथा राज्य सरकारों के सहयोगी मंत्रालय और विभागों के योगदान की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह जल के बहुपक्षीय दृष्टिकोण को महत्व पर वह बहुत बल नहीं दे सकते लेकिन हमें सुदृढ़ पारिस्थितिकी प्रणाली, आधुनिक डाटा प्रणाली और टेकनोलॉजी में नवाचार को प्राथमिकता देनी होगी। हमारे कानूनों में इस सिद्धांत को शामिल करना होगा कि जल साझी विरासत है। हमें इसका संरक्षण करना होगा और इसका उपयोग इस तरह करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी को पर्याप्त मात्रा में जल प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार की कृषि सिंचाई योजना, निर्मल भारत अभियान तथा एकीकृत जल-संभरण कार्यक्रम महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।
इस अवसर पर रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु, जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती, ग्रामीण विकास, पेयजल स्वच्छता तथा पंचायती राज्य मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे तथा जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री श्री सांवर लाल जाट भी उपस्थित थे।