प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में आजादी के अमृत महोत्सव की राष्ट्रीय समिति की दूसरी बैठक को सम्बोधित किया। राष्ट्रीय समिति के विभिन्न सदस्यों ने बैठक में हिस्सा लिया, जिनमें लोक सभाध्यक्ष, राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, राजनेता, पदाधिकारी, मीडिया के लोग, आध्यात्मिक गुरु, कलाकार, फिल्मी हस्तियां और जीवन के हर क्षेत्र के गणमान्य लोग शामिल थे। संस्कृति सचिव श्री गोविन्द मोहन ने आजादी के अमृत महोत्सव की गतिविधियों का सिंहावलोकन प्रस्तुत किया।
राष्ट्रीय समिति की पहली बैठक आठ मार्च, 2021 को, यानी 12 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव का शुभारंभ करने से पहले बुलाई गई थी।
राष्ट्रीय समिति के जिन सदस्यों ने बैठक में सुझाव और सलाह दी, उनमें पूर्व प्रधानमंत्री श्री एचडी देवेगौड़ा, गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलौत, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी, भाजपा अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा, श्री शरद पवार, भारत रत्न लता मंगेशकर, रजनीकान्त, रामोजी राव, व्यापार जगत के श्री एएम नाइक, परमात्मानंद सरस्वतीजी सहित अन्य लोग शामिल थे।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि जब पूरी दुनिया कोविड-19 के प्रकोप से गुजर रही हो, ऐसे समय में हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और ऐसा नहीं है कि हम इससे अछूते हैं। इस संकट ने हमें नये सबक सिखाये हैं और उसने मौजूदा ताने-बाने को हिला दिया है, जिससे कोविड के बाद वाले युग में एक नई विश्व व्यवस्था उभरेगी। इसलिये, हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमें भारत के लिये मुख्य भूमिका की परिकल्पना करनी चाहिये, जो कोविड के बाद की नई विश्व व्यवस्था में विश्व का नेतृत्व करे। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आमतौर पर यह कहा जाता है कि 21वीं शताब्दी एशिया की है। एक बार यह फिर महत्त्वपूर्ण हो गया है कि इस शताब्दी में एशिया में भारत की महत्ता पर ध्यान केंद्रित किया जाये।
प्रधानमंत्री ने बल देते हुये कहा कि यह सही समय है कि हम अपनी दृष्टि 2047 पर रखें, जब देश अपनी आजादी का 100वां वर्ष मना रहा होगा। आज की मौजूदा पीढ़ी उस समय नेतृत्वकारी भूमिका में होगी और उसके हाथों में देश की किस्मत की बागडोर होगी। इसलिये, यह तय करना जरूरी है कि हमें मौजूदा पीढ़ी को इस तरह तैयार करना है कि वह भविष्य में देश के लिये बड़े योगदान कर सके। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमारी मौजूदा पीढ़ी राष्ट्र निर्माण में सार्थक योगदान कर सके, इसके लिये जरूरी है कि हम बेहतर भारत का निर्माण करने के लिये उसे कर्तव्यपरायणता के महत्त्व को हृदयंगम करा दें। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम हमेशा अपने अधिकारों पर अड़े रहते हैं और उनके लिये लड़ते हैं, लेकिन अपने कर्तव्यों का पालन करना उससे भी बड़ी चीज है। जब हम सच्चे मन से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, तब हम स्वतः दूसरों के अधिकारों को सुनिश्चित बना देते हैं। उन्होंने कहा कि इसीलिये हम जब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तब कर्तव्यपरायणता हमारी प्रमुख प्राथमिकता तथा देश के लिये सकारात्मक योगदान करने का संकल्प हमारी प्रमुख प्रतिबद्धता होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव युवाओं में कर्तव्यपरायणता का बीजारोपण करेगा।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि मौजूदा पीढ़ी नया भविष्य बनाने के जोश से भरी है। लेकिन यह याद रखना होगा कि भविष्य हमेशा अतीत की गोद में पलता है। इसी संदर्भ में हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि हमारे पुरखों ने देश के लिये अपनी तरुणाई, जीवन और परिवार त्याग दिया। प्रधानमंत्री ने सभी सदस्यों से आग्रह किया कि जब हम अमृत महोत्सव मनाने के लिये जनभागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, तो हमें अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा गुमनाम महानायकों के प्रति सम्मान व्यक्त करने में भी कोई कसर नहीं छोड़नी है। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, इस मौके पर हमें 2047 के लिये अपने नये लक्ष्य तय करके आगे बढ़ने पर ध्यान देना चाहिये।
सदस्यों ने “आजादी का अमृत महोत्सव” का आयोजन करने के लिये प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उनके समक्ष अमृत महोत्सव के तहत होने वाली गतिविधियों का सिंहावलोकन प्रस्तुत किया गया। सदस्यों ने इस अभियान को और मजबूत बनाने के लिये अपने सुझाव और सलाह भी दी। अपने स्वागत वक्तव्य में गृहमंत्री श्री अमित शाह ने अभियान के लक्ष्यों और पांच स्तंभों का परिचय दिया। आखिर में, अपना अमूल्य समय और सुझाव देने के लिये उन्होंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय समिति के सदस्यों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।