रूस के व्लादिवोस्तोक में होने वाले टाइगर रेंज देशों (टीआरसी) के शिखर सम्मेलन की प्रस्तावना के रूप में टाइगर रेंज देशों की शिखर सम्मेलन से पूर्व की बैठक अभी नई दिल्ली में चल रही है। अपने मंत्रिस्तरीय संबोधन सत्र में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने टाइगर रेंज देशों के वरिष्ठ अधिकारियों का स्वागत किया और कहा कि भारत नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन से पूर्व की इस बैठक की मेजबानी करके खुश है।
यहां मौजूद प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाघ संबंधी कार्यों को लागू करने के लिए जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों की राय, रूस के व्लादिवोस्तोक में होने वाले आगामी शिखर सम्मेलन में अपनाई जाने वाली बाघ घोषणा को आकार देने के लिहाज से अनमोल हैं। उन्होंने कहा कि 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में हुए पिछले शिखर सम्मेलन के बाद से विश्व स्तर पर बहुत कुछ घटा है। इससे जीवन के कई क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा है और जंगली बाघ संरक्षण का कार्य भी इसमें कोई अपवाद नहीं है। तमाम बाधाओं और लगातार बदलती विश्व व्यवस्था के बावजूद, टाइगर रेंज देशों ने बहुत साहस दिखाया है और जंगली बाघ के मोर्चे पर खासा सराहनीय काम किया है, जिसके लिए मंत्री महोदय ने सभी टाइगर रेंज देशों की प्रशंसा की।
तीसरे एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री ने कहा था कि बाघ संरक्षण असल में विकास को रोकता नहीं है, और अपनी संरक्षण रणनीतियों को नए सिरे से दिशा देकर इन दोनों को परस्पर पूरक तरीके से अंजाम दिया जा सकता है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय लैंडस्केप स्तर के संरक्षण दृष्टिकोण और शमन उपायों को अपनाकर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में वन्यजीव सुरक्षा उपायों को एकीकृत करके माननीय प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत 52 बाघ अभयारण्यों का घर है जिसके तहत 18 राज्यों में तकरीबन 75,000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र कवर होता है। वैश्विक स्तर पर जंगली बाघों की आबादी का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा भारत में है। भारत ने 2022 के तय वर्ष से चार साल पहले 2018 में ही बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर लिया था। साथ ही, अब तक देश में 17 बाघ अभयारण्यों को सीए|टीएस अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है और दो बाघ अभयारण्यों को अंतर्राष्ट्रीय टीx2 पुरस्कार मिला है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने ये भी बताया कि भारत देश में बाघों के सभी संभावित प्राकृतिक आवासों को टाइगर रिजर्व नेटवर्क के अंतर्गत लाने के लिए प्रतिबद्ध है और केंद्र द्वारा प्रायोजित प्रोजेक्ट टाइगर योजना के जरिए वित्त पोषण समर्थन भी बढ़ गया है। श्री यादव ने कहा कि बाघ अभयारण्यों के निकट रहने वाले स्थानीय समुदायों को साथ लाकर ज्यादा समावेशी संरक्षण प्रयास करने बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने आगे कहा कि, जहां इस क्षेत्र में संख्या के लिहाज से प्राप्त उपलब्धि महत्वपूर्ण है, वहीं इन लाभों को मजबूत करने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने का समय है और देश सभी हितधारकों को शामिल करके भारत में बाघ संरक्षण के लिए विजन प्लान बनाने की प्रक्रिया में है। जंगली बाघ संरक्षण के लिए संहिताबद्ध प्रथाएं चीते जैसी स्थानीय रूप से विलुप्त प्रजातियों को वापस लाने में उपयोगी साबित हो रही है, जो कि बहुत जल्द मुमकिन होगा।
भारत कई टाइगर रेंज देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते और समझौता ज्ञापन कर रहा है और जंगली बाघों को वापस लाने की दिशा में तकनीकी सहायता के लिए कंबोडिया के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसी तरह, विज्ञान आधारित वन्यजीव निगरानी में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए रूस के लैंड ऑफ लेपर्ड नेशनल पार्क के साथ एक तकनीकी साझेदारी को मजबूत किया गया है। उन्होंने ये भी कहा कि अंतर सरकारी मंच ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत सब टाइगर रेंज देशों के साथ और साझेदारियां व सहयोग करना चाहता है ताकि भारत में और वैश्विक स्तर पर जंगली बाघों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके। केंद्रीय मंत्री ने भरोसा जताया कि शिखर सम्मेलन से पूर्व की इस बैठक में हुए विचार-विमर्श से विश्व स्तर पर जंगली बाघों और उनके आवासों का भविष्य सुरक्षित करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
टाइगर रेंज की शिखर सम्मेलन से पूर्व बैठक का भाषण देखने के लिए यहां क्लिक करें