नई दिल्ली: केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत में विकास की गति तेज होने के बदौलत ऊर्जा की मांग बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जीवाश्म ईंधन सदैव उपलब्ध नहीं रह पाएगा, इसलिए नवीकरणीय ऊर्जा की जरूरत है। श्री सुरेश प्रभु आज नई दिल्ली में आईएसए (अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन) नवाचार एवं निवेश फोरम के एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के संसाधन का प्रबंधन सर्वोत्तम ढंग से होने के बावजूद यह ईंधन सदैव उपलब्ध नहीं रह पाएगा। उन्होंने कहा कि शेल गैस एवं तेल का उपयोग सीमित है और इससे पर्यावरण पर अत्यंत प्रतिकूल असर पड़ता है। जलवायु परिवर्तन का खतरा एक वास्तविकता बन चुका है और इसने पृथ्वी की जैव विविधता को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा का असंतुलित उपयोग विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनेक पर्यावरणीय समस्याओं का मूल कारण है।
मंत्री महोदय ने कहा कि सौर गठबंधन की परिकल्पना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में एक संधि आधारित अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी गठबंधन के रूप में की थी।
उन्होंने कहा कि आईएसए ने सभी देशों को अपने देश की जनता के बीच समृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने का अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि जब सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़ जाएगा तो इसकी कीमतें नीचे आ जाएंगी। श्री सुरेश प्रभु ने सौर ऊर्जा के व्यापक उत्पादन के लिए वित्त एवं प्रौद्योगिकी की लागत घटाने के लिए संयुक्त प्रयास करने की जरूरत पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और जापान की अनेक कंपनियां भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश करने की इच्छुक हैं। मंत्री महोदय ने सकारात्मक बाजार संकेत देने की जरूरत पर विशेष बल दिया, ताकि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास में और अधिक धनराशि का निवेश किया जा सके। भारत ने ऊर्जा मिश्रण में कार्बन मुक्त ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।