वाणिज्य एवं उद्योग, रेलवे, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि भारत व्यापार और निवेश संरक्षण पर एक संतुलित, महत्वाकांक्षी, व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभप्रद समझौते के लिए वार्ता शुरू करने में अधिक सहज है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के वैश्विक व्यापार आउटलुक सत्र में बोलते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) एक संतुलित समझौता नहीं था क्योंकि इससे भारत के किसानों, एमएसएमई, डेयरी उद्योग को नुकसान होगा और इसलिए भारत के लिए आरसीईपी में शामिल नहीं होना समझदारी भरा कदम था।
श्री गोयल ने कहा कि भारत, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देशों के साथ आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए व्यापार और निवेश संबंधी वार्ता और संभावित संभावनाओं पर चर्चा के लिए तैयार है। गोयल ने कहा कि भारत, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों और संस्थाओं के साथ लोकतंत्र, पारदर्शिता, कानून का शासन, अदालतों की स्वतंत्रता, निवेश के नियमों, आदि के संदर्भ में आवाज उठाता रहा है। इसके अलावा उनके साथ बड़े पैमाने पर व्यापार भी करता है। साथ ही मोटे तौर पर इन देशों के साथ व्यापार संतुलित है।
श्री गोयल ने कहा कि हम निश्चित रूप से देशों के एक सीमित सोच के साथ उनके एजेंडे को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। क्योंकि विकसित दुनिया व्यापार व्यवस्था, सब्सिडी व्यवस्था के लाभ का जो आनंद उठा रही है, उसे विश्व व्यापार संगठन में अधिक उदारता और ईमानदारी के साथ संबोधित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन की वास्तविक भावना के आधार पर विश्व का एजेंडा निष्पक्ष, न्यायसंगत होना चाहिए।
कोविड -19 के मुद्दे पर मंत्री ने कहा कि भारत आज महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। इस लहर की भयावहता गंभीर है। उन्होंने कहा कि भारत मजबूती के साथ महामारी से लड़ रहा है। सरकार ने महत्वपूर्ण सामग्रियों की आपूर्ति को मजबूत किया है। राज्यों में ऑक्सीजन की आपूर्ति का वितरण और वास्तविक समय की निगरानी सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने रेलवे द्वारा “ऑक्सीजन एक्सप्रेस” शुरू करने के बारे में भी उल्लेख किया, जो ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए देश भर में तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन (एलएमओ) ले जाने के लिए ट्रेन है। इसके अलावा भारत युद्धस्तर पर अपने टीकाकरण अभियान को जारी रख रहा है। उन्होंने कहा कि निरंतर प्रयासों के साथ हम जल्द ही इस वैश्विक चुनौती से उबर पाएंगे और मजबूत बनकर उभरेंगे । उन्होंने कहा कि भारत लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक अभिन्न अंग बनना चाहता है। उन्होंने कहा कि महामारी की पहली लहर के दौरान भी भारत ने अपनी सभी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और दायित्वों को पूरा किया।
इन चुनौतीपूर्ण समय में भारत को विभिन्न देशों द्वारा दिए गए समर्थन की सराहना करते हुए श्री गोयल ने कहा कि उन देशों को कोविड-19 संबंधित स्वास्थ्य उत्पादों को तुरंत निर्यात किया जाना चाहिए। जिन्हें कीमती जीवन बचाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह विशेष रूप से टीकों की आपूर्ति में बेहद प्रासंगिक है। उन्होंने वैक्सीन बनाने वाले देशों से आग्रह किया कि जिन देशों को वैक्सीन की तुरंत जरूरत है उन्हें वह मुहैया कराएं। श्री गोयल ने कहा कि यह समय वैश्विक एकजुटता दिखाने का है।
श्री गोयल ने कहा कि इस संकट को बहुत तेजी से दूर करने के लिए, हमें न केवल ट्रिप्स छूट की स्वीकृति की आवश्यकता है। बल्कि वैक्सीन निर्माण के लिए शीघ्रता से सर्वसम्मति के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और कच्चे माल की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हम कोविड-19 की चुनौती से निपटने के लिए दवाइयां, टीकाकरण और संबद्ध बुनियादी ढांचे को तैयार करना चाहते हैं। मंत्री ने कहा कि अमेरिका ने टीके के पेटेंट मुद्दे के लिए सीमित समर्थन दिया है, जिसका हम दिल से स्वागत करते हैं और यही आज की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में गति सबसे महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए आवश्यक टीके, चिकित्सीय सामग्रियों को समय पर और सस्ती पहुंच के उद्देश्य को पूरा करने का मौका देगा। उन्होंने कहा कि भारत ने पहले कोविड-19 की 6.7 करोड़ खुराक जरूरतमंद देशों को प्रदान की थी, जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के आदर्श वाक्य को दर्शाता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि टीके के निर्माण और आपूर्ति में वृद्धि के साथ, भारत कम विकसित देशों और विकासशील देशों का समर्थन करने में सबसे आगे होगा। भारत हमेशा से आईपी अनुपालन करता रहा है और आगे भी करता रहेगा।