पिछले दो दिनों से प्रति दिन 10 लाख से अधिक कोविड जांच के साथ देश में दैनिक दैनिक स्तर पर कोविड-19 मामलों की जांच में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है।
पिछले 24 घंटों में 11.7 लाख (11,72,179) से अधिक जांच की गई। इस उपलब्धि के साथ, अबतक की गई कुल जांच की संख्या 4.5 करोड़ (4,55,09,380) से अधिक हो चुकी है।
यह देश में दैनिक कोविड जांच में तेज वृद्धि को दर्शाता है। इससे पहले 30 जनवरी तक प्रति दिन जहां केवल 10 जांच हो पाती थी वहीं इसका दैनिक औसत आज 11 लाख से अधिक हो चुका है।
भारत में दैनिक स्तर पर कोविड जांच की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है। व्यापक स्तर पर काफी लंबे समय तक निरंतर की जाने वाली ऐसी जांच रोग के प्रारंभिक निदान को सक्षम बनाती है और इसके आधार पर रोगियों को अलग रखने और उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की निर्बाध सुविधा प्रदान करती है। इससे अंततः मृत्यु दर में कमी आती है। जांच की संख्या में तेजी से कोविड पॉजिटिव मामलों में भी कमी आती है।
जांच की संख्या में वृद्धि देश भर में नैदानिक प्रयोगशालाओं के नेटवर्क में तेज विस्तार से संभव हो पाई है। पूरे देश में इस समय 1623 प्रयोगशालाएं हैं। सरकारी क्षेत्र में 1022 और निजी क्षेत्र में 601 प्रयोगशालाएं हैं। इसमें निम्नलिखित प्रकार की प्रयोगशालाएं शामिल है:
•वास्तविक समय आरटी पीसीआर आधारित परीक्षण प्रयोगशालाएं: 823 (सरकारी: 465 + निजी: 358)
•ट्रूनेट आधारित परीक्षण प्रयोगशालाएं: 678 (सरकारी: 523 + निजी: 155)
•सीबीएनएएटी आधारित परीक्षण प्रयोगशालाएं: 122 (सरकारी: 34 + निजी: 88)
इसके अतिरिक्त जांच की उन्नत तकनीक के लिए कोबास 6800/8800 सहित अत्याधुनिक उच्च थ्रूपुट मशीनें पांच स्थानों पर लगाई गई हैं जिनमें पटना का आईसीएमआर-राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, कोलकाता का आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कॉलरा एंड एंटरिक डिजीज, दिल्ली का राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र,मुंबई का आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थऔर नोएडा का आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च शामिल है। ये मशीनें न्यूनतम मानव हस्तक्षेप के साथ प्रति दिन लगभग 1000 कोविड नमूनों की जांच करने में सक्षम हैं।
आरटी-पीसीआर के साथ जांच क्षमता को धीरे-धीरे बढ़ाया गया है। पहले चरण में बड़े शहरों / शहरी क्षेत्रों को कवर करते हुए आरटी पीसीआर जांच प्रक्रिया को स्वर्ण मानक के रूप में इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद दूसरे चरण में जिला स्तर पर मांग के अनुरुप निर्धारित अवधि मे जांच के लिए आणविक नैदानिक जांच प्रक्रिया का इस्तेमाल हो रहा है। तीसरे चरण में कंटेनमेंट जोन और ऐसे अस्पतालों में जहां आणविक नैदानिक जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है, एंटीजन जांच प्रकिया अपनाने की सिफारिश की जाती है।
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