नई दिल्ली: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अनिल माधव दवे ने कहा है कि भारतीय कृषि वैज्ञानिक हमारे किसानों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए भली भांति सक्षम हैं। आज यहां हरित जलवायु निधि संबंधित निजी क्षेत्र की एक इकाई की कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को केवल वित्तीय संसाधनों द्वारा सुधारा नहीं जा सकता।
मंत्री महोदय ने साफ और हरित निवेश के लिए वित्तीय संसाधनों के इस्तेमाल पर जोर दिया और कहा कि योजना प्रक्रिया में हितधारकों की अधिक से अधिक भागीदारी होनी चाहिए।
यह कार्यशाला निजी क्षेत्र को हरित जलवायु निधि द्वारा प्रदत्त वित्त पोषण अवसरों को समझने का अवसर प्रदान करती है। इस कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नबार्ड) ने संयुक्त रूप से किया है।
हरित जलवायु निधि के तहत निजी क्षेत्र इकाई को नवीकरणीय ऊर्जा, कचड़ा प्रबंधन, वन एवं भू उपयोग तथा शहरी योजना आदि विभिन्न क्षेत्रों में परियोजनाओं के कार्यान्वयन की संभावनाओं के बारे में जानने का अवसर मिलेगा।
इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त्सचिव श्री रविशंकर प्रसाद ने जलवायु वित्त के तहत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का विवरण दिया और हरित जलवायु निधि प्रणाली के महत्व पर बल दिया। उन्होंने हरित जलवायु निधि के तहत प्रदान की जाने वाली सुविधाओं का भी विवरण दिया।
अपने स्वागत वक्तव्य में नबार्ड के उप प्रबंध निदेशक श्री एच.आर.दवे ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जलवायु, वित्त संसाधनों के क्षेत्र में नबार्ड की भूमिका प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि इस समय हरित जलवायु निधि के तहत अधिक प्रभावशाली परियोजनाओं की आवश्यकता है। श्री दवे ने कहा कि इसके लिए नबार्ड हर संभव सहायता प्रदान करेगा।
कार्यशाला में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री उपेन्द्र त्रिपाठी, पर्यावरण सुरक्षा प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के महानिदेशक श्री कल्याण चक्रवर्ती, नोडल विभागों, राज्य सरकारों, कारर्पोरेट क्षेत्र तथा संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों के विभिन्न अधिकारी भी उपस्थित थे।