कोविड की दूसरी लहर के विरुद्ध भारत की प्रतिक्रिया को ऑक्सीजन और ऑक्सीजन सिलेंडरों की बेहद तेज़ी से बढ़ती हुई मांग निर्धारित करती है। चूंकि क्रायोजेनिक टैंकों में ऑक्सीजन को तरल रूप में स्थानांतरित किया गया, इसलिए तरल ऑक्सीजन गैस का इस्तेमाल की जाने वाली ऑक्सीजन में त्वरित रूपांतरण तथा रोगियों के बिस्तर पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना कोविड रोगियों का प्रबंधन कर रहे सभी अस्पतालों के सामने एक महत्वपूर्ण चुनौती था।
मेजर जनरल संजय रिहानी के नेतृत्व में भारतीय सेना के इंजीनियरों की टीम ने इस चुनौती का समाधान खोजने की पहल की है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि गैस सिलेंडरों के उपयोग के बिना ऑक्सीजन उपलब्ध हो, इस नवाचार के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन किया गया, और गैस सिलेंडर बार-बार भरने की आवश्यकता को समाप्त किया गया।
सात दिनों से भी अधिक समय तक सीएसआईआर और डीआरडीओ के साथ सीधे परामर्श से वैपोराइज़र्स, पीआरवी और तरल ऑक्सीजन सिलेंडरों का उपयोग करते हुए समाधान को खोजा गया। कोविड रोगी के बिस्तर पर अपेक्षित दबाव और तापमान पर तरल ऑक्सीजन के ऑक्सीजन गैस में निरंतर रूपांतरण को सुनिश्चित करने के लिए टीम ने छोटी क्षमता (250 लीटर) के स्वतः दबाव डाल सकने वाले तरल ऑक्सीजन सिलेंडर को विशेष रूप से डिजाइन किए गए वैपोराज़र और सीधे उपयोग करने योग्य आउटलेट दबाव (4 Bar) के माध्यम से अपेक्षित लीक प्रूफ पाइपलाइन और प्रेशर वाल्व के साथ संसाधित किया।
40 कोविड बिस्तरों हेतु दो से तीन दिन की अवधि तक ऑक्सीजन गैस प्रदान करने में सक्षम दो तरल सिलेंडर वाले प्रोटोटाइप को दिल्ली कैंट के बेस अस्पताल में क्रियाशील किया गया है। टीम ने अस्पतालों में रोगियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मोबाइल संस्करण का भी परीक्षण किया है। यह प्रणाली आर्थिक रूप से व्यवहार्य है और उपयोग में सुरक्षित है क्योंकि यह पाइपलाइन या सिलेंडरों में उच्च गैस दबाव को दूर करती है और इसे संचालित करने के लिए बिजली की आपूर्ति की कोई आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रणाली अनेक स्थानों पर लगाने के लिए शीघ्रतापूर्वक तैयार की जा सकती है।
यह नवाचार जटिल समस्याओं के सरल और व्यावहारिक समाधान लाने में अभिनव समाधानों को बढ़ावा देने के प्रति भारतीय सेना की प्रतिबद्धता का एक और उदाहरण है। भारतीय सेना कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में राष्ट्र के साथ दृढ़तापूर्वक खड़ी है।