नई दिल्ली: भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड ने दिवाला पेशेवर एजेंसियों – आईसीएआई (लीड पार्टनर) का भारतीय दिवाला पेशेवर संस्थान, दिवाला पेशेवरों का आईसीएसआई संस्थान तथा इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंटेन्ट्स ऑफ इंडिया की दिवाला पेशेवर एजेंसी – के सहयोग से गुजरात के वडोदरा में दिवाला और दिवालियापन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों, पेशेवर लोगों, बैंकरों तथा व्यवसायियों सहित बड़ी संख्या में हितधारकों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी), अहमदाबाद के सदस्य (न्यायिक) माननीय श्री एच.पी. चतुर्वेदी ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए दिवाला और दिवालियापन कोड, 2016 के अंतर्गत कॉरपोरेट दिवाला समाधान और तरलता प्रक्रियाओं के मामले में निर्णायक अधिकारियों की भूमिका की चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह कोड एक गतिशील कानून है और उभरती आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए इसका निरंतर विकास होता है। उन्होंने कहा कि दिवाला समाधान प्रक्रिया का आधार समाधान पेशेवर है। वह उचित रूप से सभी प्रक्रियाओँ का संचालन करता है और बीमार कॉरपोरेट देनदार का प्रबंधन संचालन करता है। उन्होंने कहा कि दिवालियापन पेशेवर लोगों की सामाजिक जिम्मेदारी है क्योंकि समाधान प्रक्रिया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनेक हितधारकों की आजीविका को प्रभावित करती है।
आईबीबीआई के मुख्य महाप्रबंधक श्री रामेश्वर धारीवाल ने अपने प्रजेटेंशन में बताया कि यद्यपि यह कानून नया है लेकिन पिछले दो साल में इसे लागू करते हुए अनेक सीख मिली है। न्यायिक निर्णयों के साथ इस कानून का तालमेल बैठने लगा है। उन्होंने कोड तथा आईबीबीआई की भूमिका की समीक्षा की।