कोलंबो के करीब समुद्र में एमवी एक्स-प्रेस पर्ल पर लगी आग बुझाने के लिए अग्निशमन प्रयासों को जारी रखते हुए भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के जहाज ‘वैभव’ और ‘वज्र’ हैवी ड्यूटी एक्सटरनल फायर फाइटिंग प्रणाली की मदद से लगातार 600 लीटर प्रति मिनट की दर से फोम विलयन/ समुद्री जल का छिड़काव कर रहे हैं। इलाके में अशांत समुद्र और तेज़ हवाओं की स्थितियां लगातार बनी हुई हैं जो अग्निशमन इकाइयों के लिए कठिनाइयां पैदा कर रही हैं। आईसीजी के जहाज प्रभावी ढंग से फोम विलयन/समुद्री जल के छिड़काव के लिए लगातार एमवी एक्स-प्रेस पर्ल की पूरी लंबाई के अनुदिश चक्कर लगा रहे हैं, यह जहाज़ उसके करीब जा रहे हैं किंतु इस बात का ध्यान भी रख रहे हैं कि जले हुए तथा बरबाद कंटेनरों से पर्याप्त दूरी बनाए रखी जाए क्योंकि उनके गिरने का ख़तरा बरकरार है।
श्रीलंका द्वारा तैनात टग्स के साथ समन्वय से आईसीजी जहाजों द्वारा लगातार चौबीसों घंटे किए जा रहे अग्निशमन प्रयासों ने आग को पोत के आगे के हिस्से की ओर फिर से फैलने से रोका है जिससे एंकर चेन केबल व्यवस्था को अत्यधिक गर्मी से कमजोर होने से टूटकर अलग होने से बचाया जा सके। वर्तमान में आग काफी कम प्रतीत होती है क्योंकि जहाज़ के बीच के क्षेत्र से सफेद लपटें निकलती दिखाई दे रही हैं जो जहाज़ में उपलब्ध दहनशील सामग्री में कमी का संकेत देती हैं। हालांकि इसकी अधिसंरचना के आगे जहाज के पीछे के खंड में अभी भी लपटें दिखाई दे रही हैं।
दिनांक 28 मई 2021 को आईसीजी डोर्नियर विमान द्वारा क्षेत्र में आकाशीय निगरानी के माध्यम से आकलन में किसी प्रकार के तेल रिसाव का पता नहीं चला। 25 मई 2021 के बाद से एमवी एक्स-प्रेस पर्ल पर लगी इतनी भीषण आग के बावजूद जहाज का पेटा अभी भी बरकरार है जिसका श्रेय इसके दोहरे पेटे वाली संरचना तथा निरंतर जारी अग्निशमन प्रयासों को दिया जा सकता है। जहाज के प्रारूप में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया है।
रसायनों तथा अन्य खतरनाक आईएमडीजी कोड सामानों के 1,486 कंटेनरों के अलावा पोत 322 मीट्रिक टन ईंधन भी ले जा रहा है। अग्निशमन अभियान को और बढ़ाने और पोत से संभावित तेल रिसाव से निपटने के लिए आईसीजी का एक विशेष प्रदूषण प्रतिक्रिया पोत समुद्र प्रहरी दिनांक 29 मई, 2021 तक मुंबई से घटनास्थल पर पहुंच रहा है।
कोच्चि, चेन्नई और तूतीकोरिन में आईसीजी के संसाधन आवश्यकता पड़ने पर प्रदूषण प्रतिक्रिया के लिहाज से तत्काल सहायता पहुंचाने के लिए स्टैंडबाय पर रखे हुए हैं। आग को रोकने की दिशा में जारी समग्र प्रतिक्रिया अभियानों को बढ़ाने के लिए श्रीलंकाई तटरक्षक, समुद्री पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण (एमईपीए) एवं अन्य श्रीलंकाई प्राधिकरणों के साथ निरंतर समन्वय बनाए रखा जा रहा है।
आईसीजी की सहायता भारत सरकार की नेबरहुड फर्स्ट नीति के अनुरूप है जिसमें हिन्द महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय समृद्धि, सुरक्षा और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए समुद्री चुनौतियों का जवाब देने पर ज़ोर दिया गया है।