देहरादून: दिल्ली स्थित इण्डियन हैबिटेट सेन्टर में मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा आयोजित “सेन्टर एडवाइजरी बोर्ड आॅफ ऐजुकेशन (CABE)“ की सब-कमेटी की
प्रथम बैठक में उत्तराखण्ड के शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने प्रतिभाग किया। बैठक की अध्यक्षता सब-कमेटी के अध्यक्ष राजस्थान के शिक्षा मंत्री प्रो0 वासुदेव देवनानी द्वारा की गई। बैठक में शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के प्राविधानों के अनुसार प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 1 से 8 तक) में अनुत्तीर्ण एवं बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन न करने के विषय में चर्चा की गयी।
बैठक में उत्तराखण्ड के शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी द्वारा अपना पक्ष रखा गया। उन्होंने कहा कि प्रारम्भिक कक्षाओं में नो डिटेन्शन पाॅलिसी (No Detention Policy) होने के कारण हाई स्कूल स्तर पर परीक्षा परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता बनाये रखने हेतु कक्षा 5 एवं कक्षा 8 में केन्द्रीयकृत मूल्यांकन प्रणाली (बोर्ड परीक्षा) पुनः लागू की जानी आवश्यक है।
उन्होंनंे कहा कि निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 में प्राविधान किया गया है कि किसी भी बच्चे को विद्यालय में प्रवेश देने के बाद उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने तक बच्चे को न तो किसी कक्षा में रोका जा सकता है और न ही विद्यालय से निष्कासित किया जा सकता है। साथ ही बच्चे को प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण होने पर किसी भी प्रकार की बोर्ड परीक्षा आयोजित न किये जाने का प्राविधान है, किन्तु इसमें कहीं भी अन्य प्रकार की परीक्षाओं (गृह परीक्षा आदि) के आयोजन न किये जाने की बात का उल्लेख नहीं है। इस प्रकार की व्यवस्था न होने से बच्चों के शैक्षिक गुणवत्ता स्तर में सुधार नही हो पा रहा है। राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में पहल करते हुए प्रारम्भिक स्तर पर सभी बच्चों के आंकलन हेतु सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) किये जाने व्यवस्था लागू की गई है, इसके तहत बच्चों का Formative and Summative Assessment किया जायेगा।
श्री नैथानी ने बताया कि उत्तराखण्ड में विभाग के राज्य स्तरीय अधिकारियों द्वारा जनपद टिहरी, जनपद देहरादून, जनपद ऊद्यमसिंहनगर एवं जनपद हरिद्वार के प्रत्येक विकासखण्ड के विद्यालयों में किये गये अकादमिक अनुश्रवण तथा समीक्षा में यह बात सामने आयी कि प्राथमिक स्तर से उच्च प्राथमिक स्तर तक की कक्षााओं में बच्चों की अधिगम क्षमता तथा शैक्षिक गुणवता में गिरावट आयी है। इसके साथ ही अभिभावकों द्वारा बच्चों के आंकलन हेतु मासिक, अर्धवार्षिक एवं वार्षिक मूल्यांकन हेतु शिक्षकों से अनुरोध किया गया है। इसके देखते हुए राज्य सरकार का मानना है कि शैक्षिक गुणवत्ता बनाये रखने हेतु कक्षा 5 एवं कक्षा 8 में केन्द्रीयकृत मूल्यांकन प्रणाली (बोर्ड परीक्षा) पुनः लागू की जानी आवश्यक है।