नई दिल्ली: भारतीय नौसेना द्वारा डिजाइन और उत्पादित किए गए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का परीक्षण आईएनएमएएस (इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज) दिल्ली द्वारा किया गया है, जो डीआरडीओ का एक संगठन है और पीपीई के लिए परीक्षण और प्रमाणन का काम करता है और नैदानिक कोविड स्थितियों में बड़े पैमाने पर उत्पादन और उपयोग के लिए प्रमाणित करता है।
वर्तमान में चल रही कोविड-19 महामारी के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की कमी एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह स्वास्थ्य देखभाल में लगे कार्यबलों की सुरक्षा और मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के अलावा उनकी भलाई और उपलब्धता को भी खतरे में डालता है।
पीपीई को परीक्षण के कड़े मापदंडों को पूरा करना होता है और इसके लिए न्यूनतम मानदंडो का निर्धारण आईसीएमआर और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
भारतीय नौसेना कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में इस महत्वपूर्ण संसाधन को उपलब्ध कराने की चुनौती को स्वीकार करते हुए बढ़ चुका है। इनोवेशन सेल, इंस्टीट्यूट ऑफ नेवल मेडिसिन, मुंबई और नेवल डॉकयार्ड मुंबई द्वारा गठित एक टीम ने पीपीई का डिजाइन और उत्पादन के लिए आपस में समन्वय किया है। पीपीई का परीक्षण आईएनएमएएस (इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज) दिल्ली द्वारा किया गया है, जिसे डीआरडीओ संगठन द्वारा पीपीई के परीक्षण और प्रमाणन का काम सौंपा गया है। यह पीपीई 6/6 सिंथेटिक रक्त प्रवेश प्रतिरोध दवाब परीक्षण के साथ पारित हुआ। (सरकार आईएसओ 16603 मानक के अनुसार न्यूनतम 3/6 और उससे ऊपर के स्तर को अधिदेशित करती है) और तब इनका उपयोग और उत्पादन नैदानिक कोविड स्थितियों में किया जाता है।
पीपीई का सहज, अभिनव और लागत प्रभावी डिजाइन इसकी उत्कृष्ट विशेषता हैं; इस प्रकार यह बुनियादी गाउन विनिर्माण सुविधा केंद्रों में भी बनाया जा सकता है। यह पीपीई, उपयोग किए जाने वाले कपड़ों में अभिनव विकल्प प्रदान करने के लिए उल्लेखनीय है, जो पीपीई को ‘सांस लेने की क्षमता’ और प्रवेश प्रतिरोधकता प्रदान करता है जिसके कारण यह उपयोगकर्ता के लिए आरामदायक और सुरक्षित दोनों बन जाता है।
इस पीपीई की लागत व्यावसायिक रूप से उपलब्ध पीपीई की तुलना में बहुत कम है।