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भारतीय नौसेना देश के ऊर्जा और पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुपालन की दिशा में काम कर रही है- विश्व पर्यावरण दिवस 2019

देश-विदेश
  • स्वच्छ और हरित नौसेना- भारतीय नौसेना का नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की दिशा में अपने कार्य बजट का डेढ़ प्रतिशत खर्च करने का संकल्प।
  • भारतीय नौसेना पर्यावरण संरक्षण रोडमैप (आईएनईसीआर)- नौसेना ने परिचालन, रखरखाव, प्रशासन और बुनियादी ढांचा/समुदाय के समस्त पहलुओं को शामिल करके एक विशेष योजना तैयार की है।
  • जवाहरलाल नेहरु नेशनल सोलर मिशन (जेएनएनएसएम) के तहत नौसेना के तटीय प्रतिष्ठानों में छत और जमीन आधारित सौर पैनल से युक्त 24 मेगावाट की सौर फोटोवोल्टिक परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।
  • नौसेना ने सभी एमटी वाहनों के लिए बायोडीजल के निरंतर उपयोग के लिए पहल की है।
  • हरित पहल कार्यक्रम पर्यावरण स्थिरता और ऊर्जा में आत्मनिर्भरता के राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले दो दशकों के दौरान अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। जिससे ऊर्जा की मांग बढ़ी है। एक जिम्मेदार और परिपक्व देश होने के कारण हमारी सरकार की ऊर्जा नीतियों में काफी बदलाव आया है। ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग करके कार्बन फुट-प्रिंट कम करने पर ध्यान दिया गया है।

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स्वच्छ और हरित नौसेना के लक्ष्य को अर्जित करने के लिए भारतीय नौ सेना ने एक योजना-भारतीय नौसेना पर्यावरण संरक्षण रोडमैप (आईएनईसीआर) तैयार की है इसमें परिचालन, रखरखाव, प्रशासन और बुनियादी ढांचे/समुदाय के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है। इस रोड मैप में ऊर्जा की खपत और ऊर्जा आपूर्ति में विविधता प्रमुख परिणाम क्षेत्रों के रूप में शामिल हैं। आईएनईसीआर के तहत अनेक नीतियों को तैयार किया गया है और सभी जहाजों के साथ-साथ तटवर्ती प्रतिष्ठानों में भी लागू किया गया है। इनका उद्देश्य ऊर्जा खपत में कमी लाना और पर्यावरण को पुष्ट बनाना है। एक प्रगतिशील कदम के रूप में नौसेना ने अपने कार्य बजट का डेढ़ प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में लगाने का संकल्प लिया है।

आईएनईसीआर की स्थापना के बाद नौसेना ने सौलर फोटोवोल्टिक (पीवी) परियोजनाओं पर ध्यान दिया है।जवाहरलाल नेहरु नेशनल सोलर मिशन (जेएनएनएसएम) के तहत नौसेना के तटीय प्रतिष्ठानों में छतों पर और जमीन आधारित सौर पैनल से युक्त 24 मेगावाट की सौर फोटोवोल्टिक परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। इसी प्रकार वायु (हाइब्रिड) और सौर ऊर्जा दोनों के मिश्रण का उपयोग करने वाली पायलट परियोजनाओं को भी प्रगामी रूप से चलाया जा रहा है। इससे न केवल कार्बन फुट प्रिंट में कमी आएगी बल्कि ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भरता अर्जित करने में भी मदद मिलेगी।

 नौसेना ने सभी एमटी वाहनों के लिए बायोडीजल के सतत उपयोग के लिए पहल की हैं। सभी मोटर वाहनों में पैन नेवी उपयोग के लिए हाई स्पीड डीजल के बी-5 ब्लैंड का निरंतर उपयोग किया जा रहा है। हाईस्पीड डीजल के ब्लैंड की परियोजना विशाखापत्तनम में शुरू करने की योजना है।

नौसेना ने वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए विभिन्न पर्यावरण उपचार उपायों पर ध्यान केन्द्रित किया है। इन उपचारों में पौधारोपण, आरबोरिकलचर और बागवानी, प्लास्टिक के विरुद्ध अभियान विभिन्न अपशिष्ट उपचार संयंत्र शामिल हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान नौसेना के स्टेशनों में 18,000 से अधिक पौधे लगाए गए हैं। अब नौसेना बेस और जहाजों में ऊर्जा की खपत कम करने के लिए नवीकरण ऊर्जा स्रोतों और विभिन्न ऊर्जा संरक्षण उपायों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। इन उपायों में ओक्युपेंसी सेंसर, बैटरी चालित वाहन, सौर ऊर्जा स्ट्रीट लाइट, एलईडी लाइट्स आदि शामिल हैं। पोर्ट ब्लेयर में डिफेंस वाइव्ज वेलफेयर एसोसिएशन की सहायता से अलग-अलग अपशिष्ट संग्रह केन्द्र का उद्घाटन किया गया। इसमें अपशिष्ट संग्रह और प्रबंधन प्रणाली के लिए आधुनिक विधियों को शामिल किया गया है। इससे पोर्ट ब्लेयर में अपशिष्ट प्रबंधन की प्रक्रिया सुविधाजनक हो गई है।

नौसेना की यूनिटों में बायोगैस संयंत्र के कार्यान्वयन के माध्यम से बायोग्रेडेबल अपशिष्ट और कार्बनिक अपशिष्ट कनवर्टरों का उपयोग करके 140 एलपीजी सिलेंडरों की प्रतिवर्ष बचत की जा सकती है। तटीय सफाई और व्याख्यानों के माध्यम से जागरुकता अभियान और कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं ताकि समुदायों में भागीदारी और बेहतर पहुंच को स्थापित किया जा सकते और लोग स्वच्छ भारत अभियान में योगदान दें। बंदरगाहों और समुद्र में प्रदूषण कम से कम स्तर पर रखे जाने के लिए जोर दिया जा रहा है।

पिछले एक वर्षों के दौरान हालाकि बहुत कुछ हासिल किया गया है फिर भी नौसेना देश की ऊर्जा और पर्यावरण लक्ष्यों के अनुपालन की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है ताकि आगामी पीढ़ियों के लिए हरित और स्वच्छ कल सुनिश्चित किया जा सकते। हरित पहल कार्यक्रम पर्यावरण स्थिरता और ऊर्जा में आत्मनिर्भरता के राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

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