नई दिल्ली: सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा शिपिंग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि जर्मनी सभी भारतीय बंदरगाहों में रेल संपर्क में सुधार के लिए परियोजनाओं पर सहयोग करने हेतु तैयार है। उन्होंने कहा कि दोनों देश भारतीय पोर्ट रेल निगम लिमिटेड (आईपीआरसीएल) द्वारा कार्यान्वित की जा रही एक लाख करोड़ रुपये की परियोजना पर एक साथ काम करेंगे। मंत्री श्री गडकरी ने जर्मनी के आधारभूत संरचना मंत्री श्री अलेक्जेंडर डॉबरिन्डट और उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ आज नई दिल्ली में इस तरह के सहयोग के लिए तौर-तरीकों के बारे में विस्तार से विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर शिपिंग सचिव श्री राजीव कुमार, सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव श्री संजय मित्रा और दोनों मंत्रालयों के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। आज की ये बैठक इस वर्ष के शुरूआत में संपन्न समुद्री भारत शिखर सम्मेलन (मैरीटाइम इंडिया समिट) के दौरान भारतीय पोर्ट रेल निगम लिमिटेड (आईपीआरसीएल) और जर्मन रेल डॉयचे बान (डीबी) के बीच भारतीय बंदरगाहों की रेल पोर्ट कनेक्टिविटी और बंदरगाह पर रेल सुविधाओं के आधुनिकीकरण में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर की पृष्ठभूमि में हो रहा है। बंदरगाहों से माल की कुशल तरीके से निकासी और साथ ही लागत को कम करने हेतु बंदरगाहों को रेल से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। भारतीय पोर्ट रेल निगम लिमिटेड (आईपीआरसीएल) को विशेष रूप से इस क्षेत्र में काम करने के लिए ही स्थापित किया गया है।
आज की इस बैठक में आईपीआरसीएल और डीबी के प्रतिनिधियों का एक समूह बनाया गया जिनका उद्देश्य संभावित परियोजनाओं और सहयोग हेतु क्षेत्रों की पहचान करना और साथ ही लागत प्रभावी नई रेल प्रौद्योगिकियों को लागू करने के लिए पहचान कर उस दिशा में काम करना भी है। इससे बंदरगाह रेल संपर्क परियोजनाओं के लिए विदेशी निवेश तथा लागत प्रभावी, पर्यावरण के अनुकूल, अभिनव प्रौद्योगिकी लाने में भी मदद मिलेगी।
श्री गडकरी ने आगे बताया कि जर्मनी को अंतर्देशीय जलमार्ग के विकास तथा नौकाओं के निर्माण में भी सहयोग करने के लिए आमंत्रित किया गया है। परिवहन क्षेत्र में, भारत में वाहनों को डंप (समाप्त) करने की क्षमता के विकास के लिए सहयोग करने पर भी विचार विमर्श किया गया। भारत ने पुराने वाहनों को समाप्त करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी को साझा करने तथा इससे उत्पन्न अपशिष्ट के प्रसंस्करण के तरीके के लिए भी जर्मनी को आमंत्रित किया है।
यह प्रदूषण को कम करने की दिशा में क्या एक बड़ा कदम हो सकता है, इसके बारे में श्री गडकरी ने जर्मनी के मंत्री को बताते हुए कहा कि भारत ने फ्लेक्स ईंधन का उपयोग जैसे इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल का उपयोग शुरू कर दिया है।उन्होंने कहा कि जर्मन ऑटोमोबाइल निर्माताओं को, जो कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में फ्लेक्स ईंधन पर चलने वाले वाहनों का निर्माण कर रहे हैं, भारत में कारों के निर्माण के लिए बुलाया जा सकता है।
श्री गडकरी ने ये विश्वास और आशा व्यक्त की है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच सहयोग में और तेजी आएगी।