नई दिल्ली: भारतीय रेलवे की प्रमुख परियोजनाओं में से एक डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कार्यान्वयन की गति को बनाए हुए है। भारतीय रेलवे के इस प्रमुख पीएसयू को डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की परियोजना के कार्यान्वयन का काम सौंपा गया था और उसने पूर्वी डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर ईडीएफसी के भाउपुर (कानपुर)- खुर्जा खंड के चरण-1 से एआइएल- एटीएसए जे वी, सिस्टम अनुबंध का सौंपकर एक और सफलता हासिल की है।
इस अनुभाग में एक 343 किलोमीटर की लंबाई वाला दोहरे ट्रैक है । यह अनुबंध 1497 करोड़ रूपये की मुश्त राशि के आधार पर दिया गया है। अनुबंध में रूपरेखा तैयार करना और विद्युतीकरण का निर्माण, सिग्नलिंग, दूरसंचार, इमारतों और अन्य संबद्ध काम शामिल है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से यह अनुबंध दिया गया है। इसके लिए विश्व बैंक वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।
विद्युतीकरण में ट्रैक्शन विद्युत आपूर्ति, ओवरहेड उपकरण (ओएचइ) और 2X25 केवी सिस्टम के लिए एससीएडीए शामिल हैं। सिग्नलिंग और दूरसंचार के कामों में स्वचालित सिगनल, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलाकिंग, मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर (एमएसडीएसी) के उपयोग से ट्रेन जांच, ट्रेन प्रबंधन तंत्र, ऑप्टिकल फाइबर केबल आधारित संचार प्रणाली, जीएसएम-आर आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्युनिकेशन आदि आते हैं। निर्माण कार्यो में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी), रखरखाव डिपो और आवासीय क्वार्टर, स्टेशन भवनों के निर्माण का काम भी शामिल है। भाउपुर -खुर्जा खंड मे 35-40 किलोमीटर की दूरी पर 10 स्टेशन होंगे जिनमें माल ढुलाई के आदान-प्रदान के लिए भारतीय रेल को जोड़ने के चार जंक्शन स्टेशन हैं । प्रणाली में 100 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से लंबी (1500 मील) दूरी में 13,000 टन क्षमता वाली माल गाड़ियों के लिए तैयार किया जाएगा जिससे वर्तमान 65 किमी प्रति घंटे वाली भारतीय रेलवे की गति में 25 किमी प्रति घंटे की औसत सुधार होगा। नागरिक कार्य के लिए अनुबंध पहले से ही प्रदान किया गया है और निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। भाउपुर – खुर्जा खंड का उद्घाटन 2018 में करने की योजना है।
डीएफसीसीआईएल, एक विशेष उद्देश्य वाला वाहन (एसपीवी) पहले चरण में दो गलियारों, लुधियाना से दानकुनी के लिए पूर्वी कॉरिडोर (1840 किलोमीटर) और पश्चिमी कॉरिडोर, दादरी से जवाहर लाल नेहरू बंदरगाह (जेएनपीटी) (1502 किलोमीटर) डेडीकेटीड फ्रेट कॉरिडोर की योजना बनाने, निर्माण, संचालन और रखरखाव में लगा है। पश्चिमी कॉरिडोर, जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा जबकि मुगलसराय से लुधियाना वाले पूर्वी कॉरिडोर के लिए विश्व बैंक द्वारा वित्तीय सहायता किया जा रहा है।
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