17.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारतीय रेलवे को अब तक 2221 रेलवे स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (ईआई) से बढ़ावा मिला

देश-विदेश

सिगनल प्रणाली ट्रेन परिचालन में सुरक्षा बढ़ाती है। भारतीय रेलवे में उपयोग में आने वाले उपकरणों का अपग्रेडेशन और रिप्लेसमेंट एक सतत प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया को इसकी स्थिति, परिचालन आवश्यकताओं और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है।

ट्रैन संचालन में सुरक्षा को और बेहतर बनाने और अतिरिक्त लाइन क्षमता उत्पन्न करने के लिए, सिग्नलिंग प्रणाली के आधुनिकीकरण का काम शुरू किया गया है, जिसमें शामिल हैं-

1.  सुरक्षा और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (ईआई) का प्रावधान- ट्रैन संचालन में डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ प्राप्त करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है। 30.04.2021 तक 2221 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की व्यवस्था की गई है, जिसमें भारतीय रेल का 34 प्रतिशत हिस्सा शामिल है। भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (ईआई) प्रदान करने के लिए भी नीतिगत निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, अगले 3 वर्षों में 1550 ईआई प्रदान करने की योजना है। इससे ट्रैन संचालन की सुरक्षा और दक्षता में वृद्धि होगी।

2.  लाइन क्षमता बढ़ाने के लिए स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग (एबीएस) – भारतीय रेलवे के मौजूदा उच्च घनत्व वाले मार्गों पर अधिक ट्रेनें चलाने के लिए लाइन क्षमता बढ़ाने के लिए, स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग एक लागत प्रभावी समाधान है। 30.04.2021 तक, 3447 किलोमीटर रेल मार्ग पर स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली प्रदान की गई है। भारतीय रेलवे ने उच्च घनत्व और गहन माल ढुलाई मार्गों पर लगभग 15000 किलोमीटर रेलमार्ग पर स्वचालित सिग्नलिंग शुरू करने की योजना बनाई है। इस परियोजना पर मिशन मोड में काम शुरू करने की योजना है। स्वचालित सिग्नलिंग के कार्यान्वयन से क्षमता में वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप अधिक रेल सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।

3.  लेवल क्रॉसिंग फाटकों पर सुरक्षा – लेवल क्रॉसिंग फाटकों पर सुरक्षा बढ़ाना चिंता का एक प्रमुख विषय रहा है। सिग्नल के साथ लेवल क्रॉसिंग को इंटरलॉक करने से सुरक्षा बढ़ जाती है। 30.04.2021 तक भारतीय रेलवे ने लेवल क्रॉसिंग पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए 11,705 लेवल क्रॉसिंग फाटकों पर सिग्नल के साथ इंटरलॉकिंग प्रणाली प्रदान की है।

4.  मानव त्रुटि को रोकने के लिए लोको पायलट की सहायता के रूप में स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली – लोको पायलटों की सहायता के रूप में दुनिया में उन्नत रेलवे सिस्टम द्वारा एटीपी प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। ये प्रणाली लोको पायलट द्वारा किसी मानवीय त्रुटि के कारण टकराव को रोकते हैं। सुरक्षा में सुधार के लिए, अब मिशन मोड में भारतीय रेलवे (आईआर) को एटीपी प्रणाली प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। अब तक भारतीय रेल एटीपी प्रणाली के लिए विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भर थी। भारतीय फर्मों के साथ भारतीय रेल ने अब सफलतापूर्वक एटीपी के लिए स्वदेशी लागत प्रभावी तकनीक विकसित की है – जिसे ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (टीसीएएस) कहा जाता है। माननीय प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत टीसीएएस को भारत के राष्ट्रीय एटीपी के रूप में अपनाने का निर्णय लिया गया है। पहले चरण में महत्वपूर्ण मार्गों को शामिल करते हुए 37300 किलोमीटर रेलमार्ग के लिए टीसीएएस को मंजूरी दी गई है। टीसीएएस के लागू होने से मानवीय भूल के कारण ट्रेन की टक्कर समाप्त हो जाएगी। इससे भारतीय रेल की गति क्षमता में वृद्धि होगी जिससे यात्रा में लगने वाला समय कम होगा।

यह ध्यान देने योग्य है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने स्टेशनों और रेलगाडियो में सार्वजनिक सुरक्षा और सुरक्षा सेवाओं के लिए भारतीय रेलवे को 700 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड में 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन को मंजूरी दी है।

इस स्पेक्ट्रम के साथ, भारतीय रेलवे ने अपने मार्ग पर लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार प्रदान करने की परिकल्पना की है।

परियोजना में अनुमानित निवेश 25,000 करोड़ रुपये से अधिक है। यह परियोजना अगले 5 साल में पूरी हो जाएगी।

यह रेलवे के संचालन और रखरखाव व्यवस्था में एक रणनीतिक बदलाव लाता है। इससे मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करके अधिक ट्रेनों को समायोजित किया जा सकेगा और सुरक्षा में सुधार तथा लाइन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। आधुनिक रेल नेटवर्क के परिणामस्वरूप परिवहन लागत कम होगी और दक्षता अधिक होगी। साथ ही, यह ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को पूरा करने और रोजगार पैदा करने के लिए सक्रिय विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए बहुराष्ट्रीय उद्योगों को आकर्षित करेगा।

भारतीय रेलवे के लिए एलटीई का उद्देश्य रेलवे के परिचालन, रक्षा और सुरक्षा अनुप्रयोगों के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय आवाज, वीडियो और डेटा संचार सेवाएं प्रदान करना है। इसका उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:

● स्वचालित रेलगाडी सुरक्षा के साथ आधुनिक कैब आधारित सिग्नलिंग प्रणाली की तैनाती जो ट्रेन संचालन में रक्षा और सुरक्षा को बढ़ाएगी। साथ ही कोहरे के दौरान भी यह मदद प्रदान करेगी।

● ड्राइवर, गार्ड, स्टेशन मास्टर, ट्रेन ट्रैफिक कंट्रोलर और मेंटेनेंस स्टाफ के बीच ट्रेन संचालन में निर्बाध सम्पर्क के साथ मिशन क्रिटिकल वॉयस कम्युनिकेशन।

● यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से सीमित वीडियो निगरानी (लाइव फीड) के माध्यम से निगरानी की व्यवस्था।

● विशेष रूप से रोलिंग स्टॉक के लिये आईओटी आधारित एसेट मॉनिटरिंग की व्यवस्था।

● ट्रेनों और स्टेशनों पर यात्री सूचना प्रणाली (पीआईएस)।

एलटीई पहल के अलावा, रेलवे दूरसंचार में अन्य प्रमुख पहलें निम्नलिखित हैं:

● 6002 स्टेशनों पर वाई-फाई सुविधा का विस्तार किया गया है और 101 शेष व्यवहार्य स्टेशनों को जल्द ही शामिल किया जाएगा। जिसमें से 70 प्रतिशत स्टेशन ग्रामीण क्षेत्र के हैं। इस सुविधा का उपयोग यात्रियों, स्थानीय विक्रेताओं, कुली आदि द्वारा किया जा रहा है।

● सुरक्षा में सुधार के लिए 801 स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और शेष स्टेशनों पर भी इसकी योजना है।

● रेलवे के 92 प्रतिशत मार्गों को ओएफसी आधारित प्रणाली (62,205 किलोमीटर रेलमार्ग) के साथ कवर किया गया है। इसका उपयोग रेलवे के आंतरिक संचार के लिए किया जा रहा है और अतिरिक्त क्षमता का आरसीआईएल द्वारा व्यावसायिक रूप से उपयोग किया जा रहा है।

● भारतीय रेलवे बड़े पैमाने पर ई-फाइलिंग सिस्टम को लागू कर रहा है। प्रशासनिक कार्यों में सुधार के लिए सभी संभागों, अंचलों, सीटीआई और पीयू सहित 185 इकाइयों में ई-ऑफिस उपलब्ध कराया गया है। 1.35 लाख से अधिक उपयोगकर्ता इसका उपयोग कर रहे हैं और अब तक 15.0 लाख से अधिक ई-फाइलें बनाई गई हैं। मौजूदा भौतिक फाइलों को डिजिटल फाइलों में बदला जा रहा है।

सिग्नलिंग और दूरसंचार के उपरोक्त आधुनिकीकरण के लिए, भारतीय रेलवे ने लगभग 55,000 करोड़ रुपये के निवेश की परिकल्पना की है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More