16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारतीय रेल ने हाइब्रिड वैक्यूम शौचालय विकसित किए

देश-विदेश

नई दिल्ली: रेल मंत्री ने अपने बजट भाषण-2015 के वक्‍तव्‍य में कहा था कि भारतीय रेल को रेलगाड़ियों में वैक्यूम शौचालय लगाना चाहिए। रेलवे बोर्ड की विकास इकाई ने एक “हाइब्रिड वैक्यूम शौचालय” का ऐसा नया डिजाइऩ तैयार किया है, जिसमें वैक्यूम शौचालय और जैविक शौचालय के फायदेमंद बिंदु शामिल हैं।

वैक्यूम शौचालय के मानक प्रक्षालन के तरीके में बदलाव कर प्रक्षालन के बाद अतिरिक्त पानी बंद रखकर, एक विशेष मॉडल तैयार किया गया है। भारतीय रेलवे द्वारा इस परिकल्पना को व्यावहारिक मॉडल में परिवर्तित किया गया है, जो दुनिया में किसी भी रेलवे पद्धति द्वारा विकसित और तैयार किया की गई अपने तरह की पहली पद्धति है। इस नव विकसित शौचालय को डिब्रुगढ़ राजधानी मार्ग पर चलने वाली रेलगाड़ी के डिब्बा संख्या 153002/सी एफएसी में लगाया गया है।

इस विशेष मॉडल का डिजाइन व्यावसायिक रूप से उपलब्ध वैक्यूम शौचालय से लिया गया है, जिनका विमानों में उपयोग किया जाता है, जहां इसका अपशिष्ट जैविक निस्तारण टैंक में डाला जाता है। यही पद्धति अब भारतीय रेलवे के जैविक शौचालयों में कारगर रही है। जैविक निस्तारण टैंक डिब्बे के नीचे लगा होता है और इसमें अवायवीय जीवाणु होते हैं, जो मानव मल को भूमि/पटरी पर फेंकने से पहले जल और कुछ गैस में तब्दील कर देते हैं।

आमतौर पर पारम्परिक शौचालय या जैविक शौचालय में हर बार प्रक्षालन में 10-15 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है, जबकि वैक्यूम शौचालयों में प्रत्येक प्रक्षालन के लिए करीब 500 मिली लीटर पानी ही लगता है। जल अमूल्य प्राकृतिक संसाधन है, इसलिए जैविक शौचालय के वर्तमान डिजाइन/पारम्परिक शौचालय की तुलना में इस नवाचार से कम से कम 1/20वें भाग जल की बचत होगी। विदेशों में वैक्यूम शौचालय लगे रेलगाड़ी के डिब्बों के नीचे ‘अवरोधन टैंक’ लगे होते हैं, जिसमें शौचालय से निकला सारा मानव मल एकत्रित होता है। यह बहुत बड़े टैंक होते हैं, जिन्हें टर्मिनल स्टेशनों पर खाली किया जाता है। भारतीय रेल देश भर में काफी लंबी दूरी तय करती है, जिसमें अधिक से अधिक 72 घंटे की यात्रा भी होती है और आमतौर पर प्रत्येक डिब्बे में 50 से अधिक यात्री होते हैं, इसलिए मानव मल को अवरोधन टैंक में रखना लगभग असंभव है। इसके अलावा इन टैंकों से मल को खाली करने की प्रक्रिया को अत्यधिक सावधानी और सतर्कतापूर्वक करने की आवश्यकता होती है अन्यथा रेलगाड़ी के सभी शौचालय उपयोग के लायक नहीं रह पाएंगे। शहरों में नगर निगमों में ऐसी सुविधा शुरू की जानी चाहिए, जहां पर पूरी रेलगाड़ी का मानव मल एक ही बार में उनकी नाली में डाला जा सके। हालांकि यह मौजूदा अपशिष्ट निस्तारण पद्धति में कमियों की वजह से हर स्टेशन पर संभव नहीं है।

वैक्यूम शौचालय के अपशिष्ट पदार्थ को जैविक निस्तारण में परिवर्तित करने से मल निस्तारण के लिए अलग भूमि की आवश्यकता नहीं होगी और नगर निगम पर अतिरिक्त नाली लगाने का बोझ भी नहीं पड़ेगा।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More