नई दिल्ली: किसी ट्रेन के चलने के दौरान रास्ते में यात्रियों द्वारा खपत के लिए जल का संरक्षण सुनिश्चित करना न केवल रेलगाडि़यों की आवाजाही के दौरान जल संबंधी शिकायतों से निपटने का एक कारगर तरीका है, बल्कि यह बहुमूल्य जल संसाधन के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। भारतीय रेलवे के भूसावल डिवीजन ने जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विशेष रूप से डिजाइन किए गए जलवाहकों (एयरेटर) को तेजस एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 22119/22120) के बेसिन-नलों में लगाया है। ये जलवाहक अपने बारीक छिद्रों के जरिए अंदर आने वाली जलधारा को पतली उप-जलधाराओं में विभाजित कर देते हैं। अत: जहां एक ओर इन नलों से बाहर निकलने वाली जलधारा स्वच्छता सुनिश्चित करने की दृष्टि से समुचित उपयोग के लिए पर्याप्त होती है, वहीं दूसरी ओर ये जलवाहक अतिरिक्त जल प्रवाह में कमी सुनिश्चित करके जल की बर्बादी को रोकने में समर्थ साबित होते हैं।
इन जलवाहकों को एकबारगी उपाय के रूप में इन बेसिन-नलों में लगाया जाना है। इन जलवाहकों को तेजस एक्सप्रेस (22119/22120) में उपलब्ध मौजूदा नलों में लगाया गया है। एक खास बात यह भी है कि इसके लिए उपलब्ध नलों में कोई भी बदलाव या प्रतिस्थापन करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस पहल से प्रत्येक नल के जरिए होने वाली जल खपत में एक चौथाई की कमी सुनिश्चित होती है, अत: यह जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।