नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय विज्ञान कांग्रेस (आईएससी) 2019 का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में आचार्य जे सी बोस, सीवी रमण, मेघनाद साहा तथा एस एन बोस जैसे महान भारतीय वैज्ञानिकों को याद करते हुए कहा कि इन भारतीय वैज्ञानिकों ने ‘’कम से कम साधन’’ तथा ‘’अधिक से अधिक संघर्ष’’ के जरिए लोगों की सेवा की। चार दिवसीय 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस-2019 तीन से सात जनवरी तक जालंधर के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में चल रही है।
अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री और श्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ नारा दिया, जबकि अटल जी ने इस नारे में ‘जय विज्ञान’ को जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम एक कदम आगे बढ़ें और इसमें ‘जय अनुसंधान’ को संलग्न करें।
प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से सस्ती स्वास्थ्य सेवा, आवास, स्वच्छ पानी, जल एवं ऊर्जा, कृषि उत्पादकता और खाद्य प्रसंस्करण की समस्याओं को हल करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान सार्वभौमिक है, इसलिए प्रौद्योगिकी को स्थानीय आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप हल प्रदान करने के लिए स्थानीय नज़रिया रखना होगा।
प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से अपील की वे लोगों का जीवन सुगम बनाने के लिए काम करें। इस संदर्भ में उन्होंने कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सूखा प्रबंधन, आपदा की पूर्व-चेतावनी प्रणाली, कुपोषण दूर करने, बच्चों में दिमागी बुखार जैसी बिमारियों से निपटने, स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छ पेयजल और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में अनुसंधान के जरिए समयबद्ध तरीके से समाधान निकाला जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अनुसंधान कला, मानवीकी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का मेल है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और विकास की रीढ़ हमारी राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं, केन्द्रीय विश्वविद्वालय, आईआईटी, आईआईएससी, टीआईएफआर तथा आईआईएसईआर हैं। उन्होंने कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में भी मजबूत अनुसंधान ई-प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।
इस अवसर पर केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने विज्ञान और टेक्नॉलाजी के क्षेत्र में भारत को विश्व के शीर्ष दस देशों की श्रेणी में ले जाने के लिए भारत के वैज्ञानिक समुदाय को धन्यवाद दिया। उन्होंने देश और विश्व में नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव द्वारा स्वीकार किया गया, जब वह सर्वोंच्च अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार ‘’ चैम्पियन्स ऑफ द अर्थ’’ से प्रधानमंत्री को सम्मानित करने के लिए भारत आये थे।
उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन को बदलने के लिए वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करने, ग्रामीण क्षेत्र के सस्ती टेक्नॉलोजी बनाने, जल प्रदूषण समस्या का समाधान करने, नए टीके और दवाएं निकालने और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचार का आग्रह किया।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस 2019 के जनरल प्रेसीडेंट भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन डॉ. मनोज कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि छोटी, स्मार्ट और सस्ती टेक्नॉलोजी लाने के लिए नवाचार और लीक से अलग हटकर कदम उठाना जरूरी है।
चार दिन के विज्ञान कांग्रेस में विज्ञान के क्षेत्र में क्या किया जा रहा है, क्या किया जा सकता है और भारत में विज्ञान और टेक्नॉलोजी के भविष्य को क्या परिभाषा मिलेगी इन विषयों पर चर्चा होगी। आयोजनों में महिला विज्ञान कांग्रेस, बाल विज्ञान कांग्रेस और विज्ञान प्रदर्शनी शामिल हैं। विज्ञान कांग्रेस में 60 देशों के 20,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।