नई दिल्ली: भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) ने आज मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्तों – श्री अशोक लवासा और श्री सुशील चन्द्रा को वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्ची के नमूने के आकार पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। आईएसआई, दिल्ली केन्द्र के प्रमुख प्रोफेसर अभय जी. भट्ट द्वारा यह रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। ध्यान रहे कि देश में चुनावों के दौरान वीवीपीएटी स्लिप काउंट की बढ़ी हुई प्रतिशत के लिए अलग-अलग मांगों के मद्देनजर, आयोग ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान को व्यवस्थित रूप से विश्लेषण करने और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) काउंट की इलेक्ट्रॉनिक गिनती के लिए वीवीपीएटी स्लिप सत्यापन के मुद्दे की जांच करने का काम सौंपा गया था।
आईएसआई अपने देश में आंकड़ों और नमूना प्रक्रिया के क्षेत्र में अनुसंधान, अध्यापन और इस्तेमाल के प्रति समर्पित अग्रणी और प्रख्यात राष्ट्रीय संस्थान है। अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता और विषय आधारित विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए, निर्वाचन आयोग ने चुनावों के दौरान वीवीपीएटी स्लिप की संख्या/प्रतिशतता के मुद्दे पर गणितीय रूप से ठोस, सांख्यिकीय तौर पर सशक्त एवं व्यावहारिक तौर पर अकाट्य समाधानों तक पहुंचने में इस संस्थान को शामिल करने का निर्णय लिया।
आईएसआई, दिल्ली केन्द्र के प्रमुख प्रो. अभय जी. भट्ट के अलावा विशेषज्ञ समिति में चेन्नई गणितीय संस्थान (सीएमआई) के निदेशक प्रो. राजीव एल. करंदीकर और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय के उप-महानिदेशक (सामाजिक सांख्यिकी प्रभाग) श्री ओंकार प्रसाद घोष भी शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के महानिदेशक द्वारा नामित किया गया था। अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले, विशेषज्ञ समिति में सांख्यिकी के क्षेत्र के अन्य विशेषज्ञों के साथ विभिन्न विषयों पर परामर्श किया गया और अन्य समूहों से प्राप्त किए गए सुझावों की जांच की गई। इस विशेषज्ञ समिति ने आज यानी 22 मार्च, 2019 को आयोग को ‘वीवीपीएटी स्लिप वेरीफिकेशन के द्वारा ईवीएम मशीनों के परीक्षण के लिए रेंडम नमूने’ नामक अपनी शीर्षक रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
विशेषज्ञ समिति द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट की अब निर्वाचन आयोग द्वारा जांच की जाएगी और आवश्यक कार्रवाई शुरू की जाएगी।