नई दिल्ली: भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के सहयोग से भारतीय इस्पात संघ 21-22 नवम्बर, 2019 को नई दिल्ली में ‘आईएसए-इस्पात सम्मेलन 2019’ का दूसरा संस्करण आयोजित करने जा रहा है। इस सम्मेलन में इस्पात उद्योग के भारतीय और वैश्विक परिप्रेक्ष्य पर विचार-विमर्श किया जाएगा। केन्द्रीय इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि होंगे। इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी इस अवसर पर उपस्थित होंगे। सम्मेलन के दौरान नवाचार एवं प्रौद्योगिकी, निर्माण एवं डिजाइन में इस्पात की भूमिका, इस्पात निर्यात, पूंजीगत सामान, पर्यावरणीय प्रबंधन और अन्य ज्वलंत मुद्दों पर वरिष्ठ औद्योगिक हस्तियों, सरकार के प्रतिनिधियों और सलाहकारों के बीच गहन चर्चाएं होंगी।
श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आईएसए को भेजे अपने संदेश में कहा है, हम कैलेंडर वर्ष 2019 के समापन की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं, अत: इसे ध्यान में रखते हुए पूरे वर्ष के घटनाक्रमों के साथ-साथ इस्पात उद्योग की प्रमुख उपलब्धियों पर गौर करना बिल्कुल उपयुक्त होगा। हमने विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक बनने की ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ वर्ष का शुभारंभ किया था।’ उन्होंने यह भी कहा कि प्रमुख इस्पात कंपनियों और अन्य कॉरपोरेट घरानों ने कॉरपोरेट टैक्स के साथ-साथ नई विनिर्माण इकाइयों पर देय कर में की गई उल्लेखनीय कटौती की व्यापक सराहना की है। श्री प्रधान ने उम्मीद जताई कि घरेलू और विदेशी इस्पात कंपनियां भारत में नया निवेश करने और इस्पात उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के लिए इस अवसर का व्यापक उपयोग करेंगी।
इस अवसर पर ‘भारतीय इस्पात उद्योग की स्थिति’ पर एक रिपोर्ट जारी की जाएगी। इस दौरान निम्नलिखित श्रेणियों में ‘आईएसए इस्पात पुरस्कार’ भी प्रदान किए जाएंगे:
- ‘इस्पात पत्रकारिता में उत्कृष्टता’ के लिए पुरस्कार
- ‘किसी अकादमिक संस्थान/आरएंडडी प्रयोगशाला में उत्कृष्ट अनुसंधानकर्ता (इस्पात)’ के लिए पुरस्कार
- ‘डाउनस्ट्रीम इस्पात उद्योग द्वारा नवाचार में उत्कृष्टता’ के लिए पुरस्कार
- ‘डाउनस्ट्रीम इस्पात उद्योग द्वारा घरेलू बिक्री में उत्कृष्टता’ के लिए पुरस्कार
इस्पात उद्योग का अवलोकन
- कैलेंडर वर्ष 2018 में विश्व में कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक (106 एमटी)
- विश्व में डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) अथवा स्पंज आयरन का सबसे बड़ा उत्पादक (30.36 एमटी)
- वर्ष 2018 में विश्व में तैयार इस्पात का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता
- इस्पात क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 2 प्रतिशत का योगदान करता है और इस्पात/सहायक क्षेत्रों (सेक्टर) में तकरीबन 25 लाख लोग कार्यरत हैं।
- विश्व में लौह अयस्क का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक
- चीन के बाद भारत ही कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक एवं आयातक है
- राष्ट्रीय इस्पात नीति-2017 में वर्ष 2030-31 तक देश में 300 एमटी की इस्पात क्षमता के सृजन की परिकल्पना की गई है, जबकि मौजूदा समय में 138 एमटी की क्षमता है।
‘आईएसए-इस्पात सम्मेलन 2019’ दरअसल समूचे इस्पात परिदृश्य और संबंधित सेक्टरों हेतु प्रमुख प्लेटफॉर्म सृजित करने के लिए तत्पर है, ताकि इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान बहुमूल्य जानकारियां प्राप्त हो सकें।