नई दिल्ली: केन्या के साथ अपने संबंधों की प्रतिबद्धता का निर्वाह करने और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारतीय नौसेना के जहाजों, कोलकाता और आदित्य पश्चिमी बेड़े के फ्लैग आफिसर कमांडिंग, रियर एडमिरल रवनीत सिंह के नेतृत्व में तीन दिन की यात्रा पर मोम्बासा पहुंच गए हैं। ये युद्धपोत पश्चिमी नौसेना कमाने के अंतर्गत मुम्बई स्थित भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े का हिस्सा हैं, और पश्चिमी हिंद महासागर में दो महीने के लिए तैनात किए गए हैं।
युद्धपोतों की वर्तमान यात्रा का लक्ष्य भारत और केन्या के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना, मौजूदा मैत्री को सुदृढ़ करना और द्विपक्षीय समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है। इस यात्रा के दौरान युद्धपोत केन्या की रक्षा सेनाओं के साथ व्यावसायिक मुद्दों पर बातचीत करेंगे, जिसका लक्ष्य सहयोग बढ़ाना और समुद्री आतंकवाद तथा डकैती के खतरों से निपटने सहित नेसेना कार्रवाइयों की बारीकियों की जानकारी साझा करना है। व्यावसायिक संवाद के अतिरिक्त बंदरगाह पर अपने प्रवास के दौरान ये युद्धपोत अनेक गतिविधियों को भी अंजाम देंगे, जिनमें आधिकारिक तौर पर मेल मिलाप और सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल हैं। मोम्बासा में प्रवास के दौरान आम लोगों को इन जहाजों को देखने का भी अवसर दिया जाएगा। आईएनएस कोलकाता के कैप्टन राहुल विलास गोखले और आदित्य के कैप्टन विद्यांशु श्रीवास्तव हैं।
भारत और केन्या के बीच ऐतिहासिक समुद्री व्यापार संबंध रहे हैं। केन्या में बड़ी संख्या में बसे हुए भारतवंशी दोनों देशों के बीच सुदृढ़ सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक हैं। 1981 में हुए व्यापार समझौते के अनुसार भारत और केन्या एक दूसरे को सर्वाधिक वरीतया वाले देश का दर्जा देते हैं। आर्थिक सैन्य और कूटनीतिक सहयोग के जरिए दोनों देशों के आपसी संबंधों में निरंतर प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की केन्या यात्रा से दोनों देशों के आपसी संबंधों को और भी बल मिला है। युद्धपोतों की यात्राएं दोनों देशों के बीच सुदृढ़ नौसैनिक सहयोग का प्रमाण हैं। पिछली बार अक्तूबर, 2014 में भारतीय नौसेना के युद्धपोतों मुम्बई, तलवार और दीपक ने मोम्बासा की यात्रा की थी। वर्तमान यात्रा का उद्देश्य क्षेत्र के देशों के साथ शांतिपूर्वक सहयोग की भारत की नीति के अंतर्गत केन्या के साथ मित्रतापूर्ण संबंधों का विस्तार करना है।