नई दिल्ली: पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक जन शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने भारतीय शिल्पों पर एक पुस्तक “इंडियाज क्रिएटिव कंटीन्यूअम – माइनोरिटी कम्युनिटिज इन क्राफ्ट” का आज शाम लोकार्पण किया। इस अवसर पर अल्पसंख्यक कार्य मंत्री डॉ. नजमा हेपतुल्ला और उनके राज्यमंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी मौजूद थे। नई दिल्ली में पुस्तक में वर्णित शिल्पों के प्रदर्शन के लिए दो दिन की जारी प्रदर्शनी एवं बिक्री के आयोजन “जश्न-ए-उस्ताद” में इस पुस्तक का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि आज के कार्यक्रम विभिन्न राज्यों से चिन्हित 18 शिल्पों में काम कर रहे अल्पसंख्यक शिल्पियों के पारंपरिक कौशल का जश्न है और यह प्रदर्शनी एवं बिक्री के माध्यम से उनके पारंपरिक कौशल और उत्पादों की बिक्री का मंच प्रदान करता है। यह इस तरह का दूसरा आयोजन है। ऐसा पहला आयोजन मई, 2015 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में किया गया था जहां इस स्कीम का शुभारंभ हुआ था। डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि उनका मंत्रालय असली उस्तादों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है। इस प्रयास में कामयाबी के लिए मंत्रालय राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, राष्ट्रीय शिल्प और डिजाइन संस्थान, एक्सेस (एसीसीईएसएस) विकास सेवाओं, निर्यात संवर्धन परिषदों जैसे आदि विशेषज्ञ ज्ञान भागीदारों की मदद लेगा।
सरकार उस्ताद स्कीम के जरिये एक वैल्यू चेन विकसित कर पारंगत शिल्पियों को मदद दे कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार के साथ उनकी निकटता बढ़ाएगी और शिल्पी बेहतर आमदनी हासिल कर सकेंगे। इस प्रयास से गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकाल कर उन्हें अपने कौशल पर गौरवांवित होने का अवसर दिलाया जाएगा।
संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार ने अल्पसंख्यकों समेत उपेक्षित, गरीब वर्गों के समग्र विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों मेंउस्ताद स्कीम शामिल है।
उस्ताद स्कीम अल्पसंख्यक समुदायों के पारंपरिक कौशल, कला और शिल्प को प्रदर्शित और प्रचारित करने का मंच प्रदान करने में मददगार होगी। इस पहल से अल्पसंख्यक समुदाय की कला और शिल्पों के लिए व्यापक बाजार मिलेगा। श्री नकवी ने कहा कि पिछले लगभग 16 महीने के दौरान शुरू किये गए अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रमों के अब नतीजे मिल रहे हैं। हम इन स्कीमों के फायदे सीधे अल्पसंख्यकों तक पहुंचाना चाहते हैं।
पुस्तक का लोकार्पण करते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक जन शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता गरिमा के साथ अल्पसंख्यकों को सशक्त बनाना है और अल्पसंख्यकों को सही मायने में सशक्त बनाना है ताकि वे यह महसूस न करें कि विकास का काम केवल अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक आधार पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि एक साथ रोजगार क्षमता और रोजगार विकसित किया जाए। अल्पसंख्यकों की पारंपरिक कलाओँ/ शिल्पों के प्रलेखन और विख्यात शिल्पियों को बढ़ावा देने से भारत की समृद्ध और विभिन्न सास्कृंतिक विरासत को संरक्षित, सुरक्षित और संवर्धित करने में मदद मिलेगी।
इस पुस्तक में 18 चिन्हित शिल्पों और उनके मानकों का विवरण दिया गया है। पत्थर से लेकर काष्ठ, धातु से लेकर वस्त्र, बुनाई तकनीक से लेकर प्रिंटिंग और पेंटिंग से लेकर जड़ाऊ कार्य तक के विभिन्न माध्यमों का जिक्र करते हुए इन समस्त 18 शिल्पों की रेंज एवं विविधता का उल्लेख इस खंड (वॉल्यूम) में किया गया है। यह प्रलेखन हमारे देश के संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र और विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व करता है। अपनी तरह का यह विशेष प्रलेखन निश्चित तौर पर शिल्पों के संरक्षण, डिजाइन के मामले में आगे और विकास करने तथा अनुसंधान में मददगार साबित होगा। प्रलेखित शिल्प निम्नलिखित हैं –
- उत्तर प्रदेश से मुरादाबादी पीतल के बर्तन
- उत्तर प्रदेश से लखनऊ की चिकनकारी
- उत्तर प्रदेश के वाराणसी से जरी वस्त्र
- उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद से कांच की बनी वस्तुएं
- उत्तर प्रदेश के भदोही-मिर्जापुर के हाथ से बुने कालीन
- उत्तर प्रदेश के आगरा से संगमरमर पर नक्काशी और जड़ाऊ
- जम्मू-कश्मीर से लुगदी
- हिमाचल प्रदेश से थंगका पेंटिंग
- पंजाब से फुलकारी
- राजथान के जयपुर से लहरिया
- गुजरात के धामडका से अजरख
- गुजरात से पारसी कढ़ाई
- गुजरात से पाटन का पटोला
- गुजरात के कच्छ से रोघन पेंटिंग
- मध्य प्रदेश से बाघ ब्लॉक प्रिंटिंग
- मध्य प्रदेश के माहेश्वर से माहेश्वरी बुनावटी सामान
- पूर्वोत्तर भारत से कमर करघा बुनाई
- कर्नाटक के बीदर से बिदरी का सामान
उस्ताद (विकास के लिए परम्परागत कलाओं/शिल्पों में कौशल और प्रशिक्षण का उन्नयन) अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। अल्पसंख्यकों के लिए सरकार की प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए ‘उस्ताद’ योजना तैयार की गई है, ताकि परम्परागत कौशल की बेहतरी सुनिश्चित करने के साथ-साथ उन्हें बाजार से जोड़ा जा सके और वे बेहतर जीवन जी सकें। भारत के अल्पसंख्यकों के परम्परागत कौशल और कलाओं/शिल्पों का संरक्षण भी ‘कुशल भारत मिशन’ का एक अभिन्न अंग है, जो प्रधानमंत्री का ड्रीम मिशन है।
इस योजना का उद्धेश्य क्षमता निर्माण और पारंगत शिल्पियों तथा कारीगरों के परम्परागत कौशल का अद्यतन करना है। यह परम्परागत कौशलों के लिये मानक भी तय करेगी। प्रशिक्षित पारंगत शिल्पी/कारीगर अल्पसंख्यक युवाओं को विभिन्न विशिष्ट कलाओं/शिल्पों में प्रशिक्षित करेंगे।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय इस कार्यक्रम को अल्पसंख्यक समुदायों में प्रचलित सभी महत्वपूर्ण परम्परागत कलाओं/शिल्पों के लिये लागू करेगा, जिससे इन समुदायों का विकास हो और उन्हें बाज़ार से जोड़ा जा सके। अल्पसंख्यकों की परम्परागत कलाओं/शिल्पों के प्रलेखन की परिकल्पना भी की गई।
भारत का अल्पसंख्यक समुदाय दुनिया भर में अपने परम्परागत कौशल तथा शिल्पों के लिये जाना जाता है। भारत के अल्पसंख्यक समुदायों में प्रचलित कलाओं तथा शिल्पों की एक लम्बी सूची है। परम्परागत कलायें तथा शिल्प भारत की ‘राष्ट्रीय धरोहर’ का हिस्सा हैं। सदियों से इनसे जुड़े कारीगरों के प्रेम से पोषित ये कलायें युगों-युगों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं। भारत की शिल्प-कलायें यहां मौज़ूद सांस्कृतिक विविधता के समृद्ध मिश्रण का प्रतीक हैं। चूंकि, भारत व्यापार हेतु तथा अन्य कई कारणों से सदियों से पूरी दुनिया से जुड़ा रहा है, कई देशों – खासतौर से मध्य एशिया – का प्रभाव इसके शिल्प तथा कला पर देखा जा सकता है।
वास्तव में पारंगत शिल्पियों की पहचान करने हेतु, मंत्रालय अल्पसंख्यक समुदायों में प्रचलित शिल्पों के प्रलेखन का प्रयास कर रहा है। इस तरह के पहले प्रयास के तहत शिल्पों पर एक पुस्तक ‘’इंडियाज क्रिएटिव कन्टीन्यूअम – माइनोरिटी कम्युनिटिज इन क्राफ्ट’’ जारी की गई। इस पुस्तक में 18 चिन्हित शिल्पों तथा उनके मानकों का विवरण है। ज्ञान भागीदारों की सहायता से इस तरह के और भी कई प्रलेखन किये जायेंगे।
अल्पसंख्यक शिल्पकारों को समर्थन देने और उनके लिये राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार तैयार करने हेतु मंत्रालय ने ई-कॉमर्स पोर्टल www.Shopclues.com के साथ एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किये हैं। यह पहली बार है, जब सरकार शिल्पकारों को अपने परम्परागत कौशल को पूरे विश्व के सामने प्रदर्शित करने हेतु एक ई-मंच उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है।
इन प्रयासों से देश के पारम्परिक ज्ञान को संरक्षित करने में मदद मिलेगी, जिससे शिल्पकार बेहतर आजीविका अर्जित कर सकेंगे और इस क्षेत्र के कारीगरों को अधिक गरिमामय जीवन प्राप्त होगा।
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