18.1 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारत के राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का ‘आतंकवाद रोधी सम्‍मेलन-2016’ के उद्घाटन मौके पर संबोधन

देश-विदेश

नई दिल्‍ली: 1. मैं, राजस्‍थान सरकार के सहयोग से इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित आतंकवाद रोधी सम्‍मेलन के दूसरे संस्‍करण के बारे में आज की शाम स्‍वयं को आपके

बीच पाकर बहुत प्रसन्‍न हूं। मैं प्रशंसा करता हूं कि इस सम्‍मेलन ने वैश्‍विक आतंकवाद से निपटने के तौर-तरीके पर विचार-विमर्श के मामले के अलावा अभियान चलाने, योजना बनाने और निपटने के उपायों को संवेदनशील बनाने के क्षेत्र में कार्यों को अंजाम देने वाले, सुरक्षा एजेंसियेां के वरिष्‍ठ अधिकारियों, नीति निर्माताओं, विद्वानों और सरकारी नेताओं को एक मंच पर इकट्ठा किया है।

2. शांति तार्किक चेतना और एक नैतिक विश्‍व का प्राथमिक उद्देश्‍य है। यह सभ्यता की नींव और आर्थिक कामयाबी की जरूरत भी है। और जब, हम एक मामूली से प्रश्‍न का उत्‍तर खोज पाने लायक नहीं बन पाए तब शांति कैसे प्राप्‍त कर पाएंगे ? क्‍या संघर्ष को काबू करना शांति के लिए और मुश्‍किल हो गया है ? ये वे प्रश्‍न हैं जिन पर सभ्‍यता और समाज को सामने रखकर सोचने की जरूरत है।

3. विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मामले में उल्‍लेखनीय क्रांति के 20वीं सदी के अवसान के मुहाने पर, हमारे सामने शांति और समृद्ध की दिशा में उम्‍मीद लगाए रखने की कई वजहें रहीं। इस सदी के पहली 15 वर्षों में इस तरह की उम्‍मीदें मुरझा गई हैं। एक व्‍यापक क्षेत्र को अभूतपूर्व ऊहापोह के बादल घेरे हुए है। इसके साथ ही क्षेत्रीय अस्‍थिरता में भी चिंताजनक इजाफा हुआ है। आतंकवाद का दंश अपने बर्बर रूप-स्‍वरूप में युद्ध की शक्‍ल ले चुका है। दुनिया में कोई भी कोना इस हैवानियत से अछूता नहीं है।

4. आतंकवाद उन्‍मादी मंसूबे से प्रेरित होता है, वह घृणा की बेहद गहराइयों से संचालित होता है और इसे निर्दोष लोगों की सामूहिक हत्‍या करके काफी तबाही मचाने वाले और वह भी किसी के इशारों पर खेलने वालों द्वारा अंजाम दिया जाता है। यह सिद्धांतहीन युद्ध है, यह वह कैंसर है जिसे पैनी छुरी चलाकर ही रोका जा सकता है। यहां कोई अच्‍छा या बुरा आतंकवाद नहीं है, यह तो साफ-साफ दुष्‍टता है।

5. नि:संदेह, आज मानवता के सामने आतंकवाद एकमात्र सबसे घातक खतरा है। चाहे पेरिस में हो या पठानकोट में, लोकतंत्रों में आतंकवादी हमले स्‍वतंत्रता, स्‍वाधीनता और सार्वभौम भ्रातृत्‍व के आधारभूत मूल्‍यों के विरूद्ध हैं। आतंकवाद एक वैश्‍विक खतरा है जिसने सभी राष्‍ट्रों के समक्ष अभूतपूर्व चुनौती पेश कर रखी है। कोई भी कारण आतंकवाद को औचित्‍यपूर्ण नहीं ठहरा सकता। इसलिए यह अनिवार्य है कि बिना राजनैतिक विचारधाराओं की परवाह किए विश्‍व को आतंकवाद से एकजुट होकर निपटना होगा। इसलिए आतंकवाद के पीछे चाहे जो वजह या स्रोत हो, उसे औचित्‍यपूर्ण कहने की जरूरत नहीं है।

6. 20वीं सदी के अंत तक, आतंकवाद क्षेत्रीय या राष्‍ट्रीय दायरे में था। पहले अलकायदा के सिर उठाने और अब इस्‍लामिक स्‍टेट के धमक पड़ने के साथ ही सारी सीमाएं टूट चुकी हैं। नॉन स्‍टेट एक्‍टर्स खुद ही देशों पर हावी होने की कोशिश में हैं। ऐसे माहौल में महज राजनीतिक और सैन्‍य रणनीतियां पर्याप्‍त नहीं होंगी। हमें सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर ध्‍यान देने की जरूरत है।

7. आतंकवाद के इतिहास में 11 सितंबर, 2011 के दौरान अमेरिका पर हुआ आतंकवादी हमला परिवर्तनकारी क्षण था। उस कालखंड ने विश्‍व के संदर्भ में आतंकवाद का मुकाबला करने की ऐतिहासिक घटना को परिभाषित किया। इससे आतंकरोधी कार्यक्रम इतनी तेजी से बढ़े कि इसे हम अंतर्राष्‍ट्रीय पैमाने के साथ ही क्षेत्रीय और घरेलू स्‍तर पर भी देखते हैं। आतंकवाद के विस्‍तार का सामना करने के इरादे से पश्‍चिमी देशों ने कई स्‍तरों वाली रणनीतिक व्‍यवस्‍था और व्‍यूह-रचना बनाई। इसके नतीजे भी मिलने लगे। हमें इन रणनीतियों की कामयाबी और नाकामी से सावधानीपूर्वक सबक लेने की जरूरत है।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More