17.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भगवान श्रीराम की परम्परा के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर स्थापित किया जाना चाहिए: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भगवान श्रीराम की परम्परा के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर स्थापित किया जाना चाहिए। इस कार्य में सभी भाषाओं, लोक परम्पराओं, लोककथाओं में भगवान श्रीराम के सम्बन्ध में उपलब्ध सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम की संस्कृति पहली संस्कृति है, जिसने वैश्विक मंच पर अपना स्थान बनाया। इसके हजारों वर्ष बाद भगवान बुद्ध की संस्कृति वैश्विक मंच पर स्थापित हुई।
मुख्यमंत्री जी आज यहां संत गाडगे सभागार में रामायण विश्व महाकोश (ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ द रामायण) की कर्टेन रेजर पुस्तक के विमोचन एवं कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कार्यशाला का आयोजन प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा किया गया है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ‘रामायण विश्व महाकोश’ की कर्टेन रेजर पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने इस पुस्तक को ई-बुक के रूप में भी लॉन्च किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने अयोध्या शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित अन्य पुस्तकों का भी विमोचन किया। कार्यक्रम के दौरान रामायण विश्व महाकोश पर आधारित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।
मुख्यमंत्री जी ने रामायण विश्व महाकोश के प्रकाशन को अच्छी और सकारात्मक पहल बताते हुए कहा कि अयोध्या शोध संस्थान द्वारा पूरी गम्भीरता से इस कार्य को आगे बढ़ाया जाये। इस कार्य को प्रारम्भ से ही डिजिटल फॉर्म से जोड़कर दुनिया के सामने लाया जाना चाहिए। रामायण विश्व महाकोश, रामायण के विश्वव्यापी स्वरूप को प्रस्तुत करने का माध्यम बनेगा। भगवान श्रीराम के सम्बन्ध में कार्यशाला के आयोजन के लिए संस्कृति विभाग और अयोध्या शोध संस्थान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्य को उपयुक्त लोगों तथा तकनीक के सहयोग से अभियान के रूप में आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस महत्वपूर्ण कार्य में भगवान श्रीराम, रामायण तथा भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इस सहयोग करना चाहिए। भगवान श्रीराम व रामायण के सम्बन्ध में जनसामान्य व संग्रहालयों आदि में उपलब्ध पांडुलिपियों में संग्रहीत कर डिजिटल फॉर्म में लाने का प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह प्रयास स्थानीय व राज्य स्तर के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी किये जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने पुष्पक विमान सहित रामायण की विभिन्न घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि रामायण में विज्ञान एवं अध्यात्म का समन्वय है। रामायण की सभी घटनाओं में भगवान श्रीराम ने स्वयं को मानवीय मर्यादाओं में ही रखा है, यही उनकी महानता थी। वह एक सामान्य मनुष्य को होने वाले कष्टों को सहन करते हुए आगे बढ़े। रामायण विश्व महाकोश हमें विज्ञान और अध्यात्म के अनछुए पहलुओं से परिचित करायेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर से दक्षिण तक वर्तमान भारत की सीमाएं आज भी वैसी ही हैं, जैसी रामायण काल में थीं। इसका श्रेय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को जाता है। भगवान श्रीराम ने सांस्कृति रूप से आर्यावर्त और द्रविड़ एकता का कार्य किया। रामायण संस्कृति का विस्तार पूर्व और पश्चिम में भी था। दक्षिण पूर्व एशिया के निवासी भगवान श्रीराम पर गौरव की अनुभूति करते हैं। इण्डोनेशिया में उपासना विधियां अलग होने के बावजूद भगवान श्रीराम को पूर्वज मानते हैं। पश्चिम में तक्षशिला का नाम, भगवान श्रीराम के भाई भरत के पुत्र तक्ष के नाम पर है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कारण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा और मार्गदर्शन में यूनिक इवेंट के रूप में प्रयागराज कुम्भ-2019 के स्वच्छ, सुरक्षित व सुव्यवस्थित आयोजन से भारत की वैश्विक छवि बेहतर हुई। उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी। प्रधानमंत्री जी के प्रयास से 21 जून पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योग भारत के आध्यात्मिक उन्नति की आधारशिला है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संस्कृति, पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 नीलकंठ तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश हर क्षेत्र में मानक स्थापित कर रहा है। आज पूरे देश में यू0पी0 मॉडल की चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम हमार सांस्कृतिक पक्ष के आधार हैं। भगवान श्रीराम के विभिन्न स्वरूपों के प्रति आस्था रखने वाले पूरी विश्व में हैं। मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में रामायण विश्व महाकोश की रचना की जा रही है। आज इसकी पूर्व पीठिका का विमोचन मुख्यमंत्री जी द्वारा किया जा रहा है।
इस अवसर पर अपर सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार श्री अखिलेश मिश्र, डॉ0 सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति श्री राजाराम शुक्ल, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो0 रजनीश कुमार शुक्ल, उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो0 जी0सी0 त्रिपाठी, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति एवं अध्यक्ष अयोध्या शोध संस्थान श्री मुकेश मेश्राम, निदेशक सूचना एवं संस्कृति श्री शिशिर, निदेशक अयोध्या शोध संस्थान श्री वाई0पी0 सिंह सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More