नई दिल्ली: भारत में ठीक हुए मरीजों की कुल संख्या 12,30,509 हो गयी है। अब देश में ठीक हुए (रिकवर) मरीजों की संख्या, सक्रिय रोगियों से दोगुनी हो गयी है। पिछले 24 घंटों में 44,306 मरीजों को छुट्टी (डिस्चार्ज) दे दी गयी। अब कोविड -19 रोगियों के ठीक होने (रिकवरी) की दर 66.31% हो गयी है। केंद्र और राज्य / केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा कोविड -19 प्रबंधन रणनीति के समन्वित कार्यान्वयन और अग्रिम पंक्ति के सभी स्वास्थ्य कर्मियों के समर्पित प्रयास से यह सुनिश्चित हुआ है कि ठीक होने की दर (रिकवरी) लगातार बढ़ रही है।
सक्रिय मामलों (5,86,298) की संख्या, कुल पॉजिटिव मामलों की 31.59% है और सभी चिकित्सकीय देखरेख में हैं।
देखभाल के लिए समग्र मानक दृष्टिकोण पर आधारित प्रभावी नियंत्रण, तेज व अधिक परीक्षण और मानकीकृत क्लिनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल के परिणामस्वरूप मरीजों की मृत्यु दर (सीएफआर) में उत्तरोत्तर कमी आयी है। वैश्विक औसत की तुलना में भारत ने पहले लॉकडाउन के बाद सबसे कम सीएफआर, 2.10% दर्ज किया है।
मृत्यु के वर्तमान आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 50% मौतें, 60 वर्ष और उससे अधिक के आयु वर्ग में हुई हैं; 37% मौतें, 45 से 60 वर्ष के आयु वर्ग में हुई हैं; जबकि 11% मौतें, 26-44 वर्ष के आयु वर्ग में दर्ज की गयी हैं। इससे स्पष्ट है कि 45 वर्ष से अधिक आयु के लोग, उच्च जोखिम वाले समूह में आते हैं और नियंत्रण रणनीति द्वारा पूरे देश में इस समूह पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। लैंगिक वितरण के आधार पर, मरने वाले लोगों में 68% पुरुष और 32% महिलाएं थीं।
कोविड -19 महामारी की शुरुआत के बाद से ही भारत ने वेंटिलेटर की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए समयबद्ध और क्रमिक उपाय किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में इसकी मांग बढ़ी है। भारत ने मेक इन इंडिया के तहत वेंटिलेटर की घरेलू आपूर्ति को प्रोत्साहित करने का फैसला किया। बाजार की कुल मांग का 75% आयात पर निर्भर था और महामारी के कारण आयात-प्रतिबंध लगातार बढ़ रहे थे।
देश में 60,000 वेंटिलेटर की अनुमानित आवश्यकता को पूरा करने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) के अंतर्गत तकनीकी विशेषज्ञों की समिति ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद कोविड -19 के लिए खरीदे जाने वाले वेंटिलेटर के लिए न्यूनतम आवश्यक विवरण निर्धारित किए थे। आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के समाधान के लिए अधिकार प्राप्त समूह (ईजी) -3 का गठन किया गया। घरेलू वेंटिलेटर मॉडल के सावधानीपूर्वक भौतिक निरीक्षण और नैदानिक सत्यापन के बाद, खरीद आदेश दिए गए थे।
दो सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पी एस ई) – भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और आंध्र मेड-टेक ज़ोन (एएमटीजेड) को बड़े खरीद आदेश दिए गए थे। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल उद्योग तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भी इस कार्य के लिए आगे आये। अब तक, मेक इन इंडिया के तहत निर्मित वेंटिलेटर की बाजार में, मात्रा के आधार पर हिस्सेदारी 96% से अधिक और मूल्य के आधार पर हिस्सेदारी 90% से अधिक है। इन वेंटिलेटर को 700 से अधिक अस्पतालों में स्थापित किया गया है। दो महीने से भी कम समय में, 18000 से अधिक वेंटिलेटर की आपूर्ति राज्यों / संघ शासित क्षेत्रों / केंद्र सरकार के अस्पतालों / डीआरडीओ सुविधाओं को की गई है।
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