नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्रीश्रीमती निर्मला सीतारमण ने जोर देकर कहा है कि ढांचागत सुधार सरकार की एक मुख्य प्राथमिकता है जैसाकि कोविड-19 के प्रकोप के बाद घोषित उपायों और नीतियों में परिलक्षित हुआ है। प्रमुख भारतीय उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि शुरू की गई प्रत्येक नीति में एक संरचनात्मक घटक था। नतीजतन, वसूली की प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है जो हम वर्तमान में देख रहे हैं।
इसके अलावा, वसूली प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए, गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को लोगों के आवागमन और वस्तुओं और सेवाओं को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने पर कोई अंकुश नहीं लगाने के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, “सरकार, नियामकों और उद्योग के बीच अनुकरणीय आदर्श के साथ सहयोग स्थापित करने के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय वर्तमान संकट से बाहर निकल रहे हैं।”
इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए कि पर्यटन, होटल और आतिथ्य, रियल एस्टेट और निर्माण और एयरलाइंस जैसे कई क्षेत्र असंगत रूप से महामारी से प्रभावित हुए हैं, वित्त मंत्री ने कहा कि ये ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जिनका अर्थव्यवस्था पर अर्थपूर्ण असर पड़ता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि कुछ बीमार क्षेत्रों की परेशानी को कम करने के लिए, होटलों, प्रीतिभोजों और संबंधित गतिविधियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर ध्यान दिया जाएगा। रणनीतिक विनिवेश के मुद्दे पर, श्रीमती सीतारमण ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैबिनेट द्वारा मंजूर विनिवेश संबंधी फैसलों पर तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है।
निजी निवेश चक्र के संबंध में जिसे सितंबर 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से प्रोत्साहन मिला है,हांलाकि कोविड-19 के प्रकोप के कारण निवेश नहीं हो सके। श्रीमती सीतारमण का मानना है कि कोविड के बाद की दुनिया में, इन्हें फलना-फूलना चाहिए। “कोविड के बाद पुन: नियोजन के साथ,इन मॉडलों में अधिक से अधिक निवेश के जरिये आंकड़ों के संग्रहण पर निर्भर निर्माण मॉडलों को अपनाने पर जोर दिया जाना चाहिए।”
स्थानीय विनिर्माण के मुद्दे पर, श्रीमती सीतारमण ने कहा कि उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को उत्कृष्ट प्रतिक्रिया मिली है और 6 राज्यों में महत्वपूर्ण दवाओं के विस्तृत निर्माण और एपीआई को गति देने में मदद मिली है।
सरकारी एजेंसियों द्वारा भुगतान में देरी के बारे में, यह कहा गया कि वित्त मंत्रालय उद्योग को देय भुगतानों में तेजी लाने के लिए समय-समय पर समीक्षा कर रहा है। इसके अलावा, वित्त मंत्री ने हवाला दिया कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र विकास की गति को तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए, इसके वित्तपोषण को और अधिक बढ़ावा देने के लिए, बाहरी धन का भी स्वागत किया जाएगा। दो-पहिया वाहनों पर जीएसटी दरों को कम करने की आवश्यकता के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए, उन्होंने आश्वासन दिया कि यह वास्तव में एक अच्छा सुझाव है क्योंकि यह श्रेणी न तो लक्जरी है और न ही इसे समाज के लिए नुकसानदायक माना गया है, इसलिए यह जीएसटी की दर में संशोधन का पात्र है। उन्होंने कहा कि नतीजतन, इस मुद्दे को जीएसटी परिषद में उठाया जाएगा।
सीआईआई के अध्यक्ष श्री उदय कोटकने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, इस बात पर प्रकाश डाला कि केन्द्र सरकार और आरबीआई दोनों द्वारा उठाए गए सहायक कदमों के परिणामस्वरूप हम अप्रैल-मई की धीमी गति की तुलना में शुरूआती स्तर पर पर्याप्त सुधार के संकेत देख रहे हैं। हालांकि, कई राज्यों में स्थानीय स्तर पर लागू लॉकडाउन ने आपूर्ति-पक्ष की अड़चनों को जन्म दिया है, जो कि मांग के पक्ष में वृद्धि को रोक सकता है। उन्होंने आगे कहा कि नाबार्ड, सिडबी और एनआईआईएफ जैसे सरकारी स्वामित्ववाले संस्थानों में रिकवरी को प्रोत्साहित करने के लिए विकास वित्त निगम विकसित करने की क्षमता है।
सीआईआई के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कठिन समय में उद्योग को रास्ता दिखाने में सहायता करने के लिए सरकार के निरंतर सहयोग पर प्रकाश डाला।