लखनऊ: मनुष्य के शरीर का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है गर्दन। इसकी क्रियाशीलता इसके लचीलेपन और चारों तरफ आसान मूवमेन्ट से है। शरीर के अन्य अंगों की तुलना में गर्दन इतनी नाजुक होती है कि हल्के झटकें या चोट से इसमें फैक्चर हो सकता है या डिस्क खिसक सकती है।
स्पाइनल कार्ड पर दबाव से गर्दन में दर्द, सुन्नपन तथा कमजोरी हो सकती है, उसे इधर-उधर घुमाने में कष्ट हो कसता है। फ्रैक्चर, ट्यूमर और किसी प्रकार का संक्रमण भी गर्दन के दर्द का करण हो सकता है। तनाव तथा उच्च रक्तचाप भी गर्दन दर्द की सम्भावना को बढ़ा सकते हैं। स्पाइनल स्टेनोसिस में गर्दन में आर्थराइटिस हो जाता है और जोड़ों के आसपास की हड्डी बढ़ने लगती है। बढ़ती हड्डी से कई तरह की तलीफे होने लगती है।
प्रारम्भिक अवस्था में आराम, गर्दन व्यायाम, सिंकाई, काॅलर तथा नाॅन स्टेराॅयडल एंटी इंफ्लामेट्री दवाइयों से आराम मिलात है। सोते समय गर्दन तथा सिर के नीचे पतले तकिए के प्रयोग से भी आराम मिलता है।
अतः गर्दन में इस प्रकार की किसी भी तरह की परेशानी होने पर किसी अनुभवी आर्थोपेडिक सर्जन से सम्पर्क कर उपचार लें तथा उसके द्वारा बतलाए गये उपायों, व्यायाम तथा दवाईयों का सेवन कर रोग की गंभीर स्थिति से बचें।