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सिंचाई विभाग में बाढ़ से संबंधित निर्माण कार्यों में भी नवाचार को दिया जा रहा है बढ़ावा: स्वतंत्र देव सिंह

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि लगातार नवीन तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा जनपद-सिद्धाथर्नगर, महराजगंज एवं गोरखपुर में प्रेशर सिंचाई प्रणाली विकसित किया जा रहा है, यह नई सिंचाई पद्धति है। प्रदेश में प्रथम बार प्रेशर सिंचाई प्रणाली का कार्य कराया जा रहा है।
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि प्रेशर सिंचाई प्रणाली में सेडिमेंटेशन टैंक, पम्प हाउस तथा पीसीसी पाइप एवं डीआई पाइप का उपयोग किया जा रहा है। प्रेशर सिंचाई प्रणाली में पाइप (800 मिमी तथा 200 मिमी ) लाइन जमीन से लगभग 1.5 मीटर नीचे विछाया जा रहा है, जिससे कृषकों की जमीन पर खेती पूर्व की भांति होती रहेगी। इस सिंचाई प्रणाली में लगभग प्रत्येक 200 मीटर पर आउटलेट का प्राविधान है। पाइप में पानी का बहाव दबाव के होने के कारण ग्रेविटी फ्लो तथा पाइप लगाकर कृषक अपने खेत की सिंचाई कर सकता है। यदि कृषक अपने खेत में स्प्रींकलर प्रणाली विकसित कर रखा है तो उसे सिर्फ़ आउटलेट से अपने स्प्रींकलर प्रणाली को जोड़ कर सिंचाई कर सकता है।
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि प्रेशर सिंचाई प्रणाली की 07 नग परियोजना के अंतर्गत 11 स्थानों पर 31.000 किमी0 लम्बाई में पाइप लेईंग का कार्य प्रगति में है। 07 नग परियोजनाओं के द्वारा 57 ग्रामों के लगभग 18000 कृषकों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। उक्त परियोजना द्वारा खरीफ में 3969.00 हे0 तथा रबी में 3969.00 हे0 सिंचाई का प्राविधान है। 07 नग परियोजनाओं की लागत रू0 111.62 करोड़ है।
जल शक्ति मंत्री ने बताया कि सिंचाई विभाग द्वारा इसके साथ ही बाढ़ से संबंधित निर्माण कार्यों में भी नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में शारदा संगठन अन्तगर्त जनपद पीलीभीत में सनेढ़ी तटबन्ध पर 2 अदद् नये स्पर का निर्माण व एक बाढ़ से क्षतिग्रस्त स्पर को टी (ज्) के रूप में परिवर्तित किया गया।
उन्होंने बताया कि इसमें निम्न प्रकार से नवीन प्राविधान किए गए। इसके तहत फैक्ट्री मेड वायर क्रेट जिसके मेस की साइज 10 सेमी व 12 सेमी होती है जो छोटे बोल्डर पर भी प्रभावी रहता है। इसके तहत डिजाइन में लांचिग एप्रोन के एप्रोन की साइज विभाग में परम्परागत रूप से चल रहे 1 मी. गुणे 1 मी. गुणे 1 मी.  के स्थान पर 1.5 मी. गुणे 1.5 मी. गुणे .5 मी का प्रयोग किया गया। यह डिजाइन अधिक सुरक्षित व लागत में 25 प्रतिशत की कमी परिलक्षित हुई। इस डिजाइन को पूरे पूर्वी संगठन की बाढ़ परियोजनाओं में लागू कराया गया है।

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