नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता पारित करना भारतीय आर्थिक सुधारों की सफल गाथाओं में एक है और संहिता ने उधार लेने वालों के व्यवहार को नया रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उपराष्ट्रपति आज नई दिल्ली में दिवाला अनुसंधान फाउंडेशन (आईआरएफ) का उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) ने ऋणदाताओं और कर्जदारों के बीच अच्छी बातचीत के लिए मंच तैयार करने में मदद दी है।
उपराष्ट्रपति ने दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 1 दिसम्बर, 2016 से लगभग 1500 कॉरपोरेट ऋण मामले सीआईआरपी के समक्ष आएं हैं और 142 ऋण मामलों को बंद कर दिया गया है, जबकि 63 को वापस ले लिया गया है। 302 मामले तरलता में समाप्त हो गए हैं और 72 मामलों में समाधान योजनाओं को मंजूरी दी गई है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कारगर दिवाला कानून वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता और आर्थिक विकास तथा संपदा सृजन की बुनियाद है, जिसके मद्देनजर ठोस दिवाला और शोधन अक्षमता प्रक्रिया से उद्यमियों के जोखिम या समस्याओं का जल्दी हल होगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘बिना शोधन अक्षमता कानून के यदि कोई संगठन ऋण अदा करने में चूक जाता है तो सभी दावेदार संगठन की संपदा में हिस्सा लेने के लिए दौड़ पड़ते हैं। दावेदारों के इस संघर्ष से संगठन तरलता की तरफ बढ़ जाता है, चाहे उसका व्यापार ढांचा आमतौर पर स्थिर क्यों न हो।’ उन्होंने कहा कि दिवाला प्रक्रिया का सार ऐसी चुनौतियों के खिलाफ मदद करना है और उद्यमियों, व्यापार को प्रोत्साहन देना है।
श्री नायडू ने कहा कि नीति विकास, उद्योग अनुसंधान और उन्नत देशों में नवाचारी समाधान निकालने के लिए अकादमिक प्रक्रिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि अकादमिक जगत और उद्योग के बीच ठोस सहयोग होना चाहिए, ताकि भारत में अनुसंधान संस्कृति में सुधार हो, खासतौर से दिवाला और शोधन अक्षमता के मामलों में।
उपराष्ट्रपति ने विविध क्षेत्रों में निवेश माहौल में सुधार करने के मद्देनज़र सरकार द्वारा उठाए गए आर्थिक सुधारों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत को आकर्षक निवेश गंतव्य बनाने के लिए सरकार के प्रयास सराहनीय हैं। इन सुधारों ने भारत की विकास गाथा में नया आयाम जोड़ दिया है।
इस अवसर पर वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायधिकरण के अध्यक्ष श्री एस.जे.मुखोपाध्याय, कॉरपोरेट कार्य सचिव श्री इनजेती श्रीनिवास, आईबीबीआई के अध्यक्ष डॉ. एम.एस.साहू, आईआईसीए के डीजी सीईओ डॉ. समीर शर्मा और अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।