लखनऊ: प्रदेश का गन्ना कृषक अपनी फसलों में पर्याप्त उर्वरक प्रयोग करने के उपरान्त भी उतना उत्पादन नहीं ले पा रहा है, जितना उसको मिलना चाहिये था। इसका मुख्य कारण कृषक को अपने खेत की मृदा की सही जानकारी न होना। कृषकों को उचित और समय पर उनके खेत की मृदा की जानकारी प्रदान करने के लिये सहकारी चीनी मिल सठियाॅव (आजमगढ़) में मदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना की गयी है। यह जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव, चीनी एवं गन्ना उद्योग श्री संजय भूसरेड्डी ने बताया है कि इस प्रयोगशाला में 15 जून, 2018 से जाॅच कार्य प्रारम्भ हो चुका है। प्रयोगशाला के संचालित हो जाने के कारण प्रत्येक वर्ष 8 लाख गन्ना कृषक अपनी मिट्टी का परीक्षण करा सकेंगे। प्रत्येक गन्ना कृषक को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जायेगा, जिससे गन्ना कृषकों को यह जानकारी हो सकेगी कि उन्हें उपनी फसल में किस उर्वरक का प्रयोग कितना करना है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड बन जाने से जहाँ कृषक अधिक उर्वरकों के प्रयोग से बचेगा, वही वह अपनी फसल का अधिक उत्पादन भी ले सकेगा।
प्रदेश के सहकारी चीनी मिल्स संघ के प्रबन्ध निदेशक श्री विमल कुमार दुबे ने अवगत कराया है कि सरकार की मंशा के अनुरूप सहकारी चीनी मिलें योजनाबद्ध ढंग से कार्य करते हुए लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास कर रही हैं