लखनऊ: ओ0पी0 सिंह, पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक प्रभारी जनपद, उ0प्र0 को निर्देशित किया गया कि जघन्य घटनाओं एवं कुख्यात अपराधियों से सम्बन्धित मुकदमों में पैरवी की मानीटरिंग हेतु प्रत्येक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एक मानीटरिंग सेल गठित किया जाये जिसका प्रभारी निरीक्षक रैंक का एक अधिकारी होगा तथा उसके सहयोगार्थ 01 उपनिरीक्षक, 02 अथवा 03 आरक्षी अथवा मुख्य आरक्षी नियुक्त रहेंगे। इसका पर्यवेक्षण जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक स्वयं करेंगे।
इस मानीटरिंग सेल के निम्नलिखित कार्य एवं दायित्व होंगे:-
- जघन्य अपराध से सम्बन्धित ऐसे समस्त अभियोगों को सूचीबद्ध करना, जिनमें गुणात्मक विवेचना हुई हो एवं विवेचनोपरांत प्रकरण माननीय न्यायालय में विचारण हेतु लंबित है।
- ऐसे अपराधी जिनकी आम ख्याति जनता में भी कुख्यात अपराधी के रूप में बनी हुयी है, के विरूद्ध 25/27 आम्र्स एक्ट, धारा 307 भादवि के अन्तर्गत पंजीकृत अभियोग या अन्य ऐसे वाद, जिसमें पुलिस मुख्य रूप से गवाह हो, की सूची तैयार करना।
- गिरोहबंद अधिनियम के विचाराधीन मुकदमों में गैंगचार्ट में प्रदर्शित मुकदमों का पृथक विवरण न्यायालय के नाम एवं तिथि सहित तैयार की जाये तथा गिरोहबंद अधिनियम की धारा 12 में दिये गये प्राविधानों के अनुसार विशेष न्यायालय गिरोहबंद में गिरोहबंद अधिनियम के अन्तर्गत विचाराधीन मुकदमें के विचारण को प्राथमिकता दी जाये तथा उसका विचारण पूर्ण होने तक गैंग चार्ट में अंकित अन्य न्यायालयों में विचाराधीन मुकदमों की कार्यवाहियां स्थगित कराये जाने की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाये।
- उपरोक्त सूची नामवार व सर्किलवार तैयार की जाये। इसका रखरखाव काजलिस्टवार एवं पैरवी रजिस्टरवार किया जायेगा।
- सभी सम्बन्धित पैरोकार ऐसे सूचीबद्ध अभियोगों की सूची इस सेल से प्राप्त कर अपने रजिस्टर में सुस्पष्ट रूप से अभिलिखित करेंगे कि कुल गवाहों में से कितने गवाहों की गवाही हो गई है, कौन-कौन से गवाहों की गवाही अभी होना शेष है तथा उनकी गवाही कब नियत है, इत्यादि।
- प्रत्येक दिवस सम्बन्धित पैरोकार न्यायालय से लौटने के उपरान्त इस मानीटरिंग सेल को उक्त मुकदमों से सम्बन्धित कार्यवाही से अवगत करायेंगे तथा साक्षी के नाम सहित साक्ष्य हेतु अग्रिम तिथि के बारें में भी अवगत करायेंगे, जिसका अंकन सम्बन्धित रजिस्टर में तत्काल मानीटरिंग सेल प्रभारी द्वारा कराया जायेगा जिससे कि समुचित पैरवी पुलिस अधीक्षक के माध्यम से सुनिश्चित की जा सके।
- इस सम्बन्ध में यह सेल सम्बन्धित न्यायालय के कोर्ट मुहर्रिर से भी आवश्यकतानुसार सहायता प्राप्त कर सकता है।
- ऐसे समस्त वादों के विषय में पुलिस अधीक्षक जिला मानीटरिंग सेल की मासिक बैठक में जिला जज से विचार-विमर्श करेंगे ताकि इनकी शीघ्रताशीघ्र सुनवाई सुनिश्चित हो सके और नियत तिथि पर सम्बन्धित गवाह के न आने की दशा में सम्मन/वारंट ससमय निर्गत हो सके और उसका अनुपालन स्थानीय पुलिस द्वारा किया जा सके।
- विभिन्न न्यायालयों से निर्गत होने वाले समस्त सम्मन/वारण्ट संबंधित थाने की रोजनामचा आम में उसी दिवस दाखिल किये जायेंगे। वाह्य जनपद से संबंधित गवाहों के साथ-साथ जनपद के अन्दर के थानों से संबंधित सम्मन/वारण्ट को भी थाने के रोजनामचा आम में दाखिल किया जाये।
- यह सूची स्टेटिक (ैजंजपब) न होकर डायनमिक (क्लदंउपब) होगी।
- पुलिस अधीक्षक इन वादों के सम्बन्ध में सम्बन्धित जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी)/अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) से नियमित विचार-विमर्श करेंगे। यदि कोई तकनीकी कमी हो तो 173(8) द0प्र0सं0 के अन्तर्गत उनकी पूर्ति करा ली जाये ताकि इन मुकदमों पर कोई दुष्प्रभाव न पड़ सके।
- पुलिस अधीक्षक द्वारा स्वयं प्रत्येक सप्ताह इस सेल की समीक्षा की जायेगी।
इस व्यवस्था का उद्देश्य जघन्य अपराधों से संबंधित प्रचलित महत्वपूर्ण अभियोगों की पैरवी को प्रभावी एवं सुव्यवस्थित (streamline) किया जाना है ताकि ऐसे अपराधों में अपराधियों को प्रभावी सजा दिलायी जा सके, किन्तु यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि यह एक अतिरिक्त व्यवस्था है तथा क्षेत्राधिकारी एवं थानाध्यक्ष न्यायालय में पैरवी से संबंधित कार्य को पूर्ववत् करते रहेगें।