नई दिल्ली: देश भर में आज अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस (आईबीडी) 2018 मनाया गया। ‘जैव-विविधता पर कार्य के 25 साल का उत्सव’ थीम के तहत अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस समारोह जैव-विविधता की अहमियत और जैव-विविधता को खतरा को लेकर जागरूकता बढ़ाने का सुअवसर प्रदान करता है। समारोह से सतत विकास में जैव-विविधता का योगदान भी उजागर होता है। यह समारोह जैविक विविधता पर सम्मेलन के 25 साल पूरे होने पर आयोजित किया गया। राष्ट्रीय स्तर का समारोह हैदराबाद में प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (पीजेटीएसएयू) सभागार में आयोजित किया गया।
इस मौके पर आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना के राज्यपाल श्री ई.एस.एल. नरसिम्हन ने कहा कि भारत सदियों से अपनी समृद्ध जैव-विविधता का संरक्षण करता रहा है। उन्होंने कहा कि हम लोग वृक्षों, जानवरों और नदियों की पूजा करते रहे हैं, क्योंकि हम उनकी रक्षा करना चाहते हैं। आज का यह समारोह हमें पारम्परिक तौर पर प्रकृति का संरक्षण करने के लिए अपनी जड़ों की ओर लौटने को प्रेरित करता है। श्री नरसिम्हन ने कहा कि हमारे लिए भारत में जैव-विविधता के संरक्षण का यह 25वां साल नहीं है, क्योंकि हम हजारों साल से प्रकृति का संरक्षण करते और उसके साथ समरसता से रहते आए हैं। उन्होंने यह हिदायत भी दी कि आज प्रकृति संरक्षण हमारा सर्वोच्च दायित्व है क्योंकि हमारे बच्चे हमसे एक ही धरोहर- बेहतर सेहत के लिए स्वच्छ पर्यावरण चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम चाहते हैं कि प्रकृति हमारी रक्षा करे तो हमें प्रकृति को बचाने की जरूरत है।
तेलंगाना के पर्यावरण, वन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री जोगु रमन्ना ने मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए जैव-विविधता के संरक्षण की दिशा में तेलंगाना सरकार की ओर से किए गए कार्यों के बारे में जोर देकर बताया। उन्होंने जैव-विविधता के संरक्षण के लिए जैव-विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी) के प्रभावी कार्यों की भी चर्चा की।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में अपर सचिव श्री अरूण कुमार मेहता ने अपने भाषण कहा कि सजीव पर्यावरण का प्रबंधन करना भौतिक पर्यावरण के प्रबंधन से काफी मुश्किल काम है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक आयची जैव-विविधता लक्ष्यों 11 और 16 को हासिल करने की दिशा में अहम योगदान किया है। उन्होंने बताया कि सरकार लोगों को बेहतर पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए जैविक संसाधनों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
राष्ट्रीय जैव-विविधता प्राधिकरण की अध्यक्ष डॉ. बी. मीना कुमारी ने कहा कि जैव-विविधता का संरक्षण अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि जैव-विविधता के संरक्षण की दिशा में हमारी पहल छोटी हो सकती है, लेकिन उसकी अहमियत बड़ी होगी।
यूएनडीपी की निदेशक सुश्री मरीना वाल्टर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में जैव-विविधता के संरक्षण का वैश्विक प्रभाव पड़ेगा और यह खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में केन्द्रीय भूमिका निभाएगा।
इस मौके पर अन्य गणमान्य लोगों सहित डीएसीएफडब्ल्यू में सचिव श्री एस.के. पटनायक, तेलंगाना के मुख्य सचिव श्री एस.के. जोशी, तेलंगाना के विशेष मुख्य सचिव श्री अजय मिश्रा, पीजेटीएसएयू के वाइस चांसलर डॉ. वी. प्रवीण राव, राष्ट्रीय जैव-विविधता प्राधिकरण की अध्यक्ष डॉ. बी. मीना कुमारी और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की कंट्री डायरेक्टर सुश्री मरीना वाल्टर भी मौजूद थीं।
अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस 2018 का आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय जैव-विविधता प्राधिकरण और तेलंगाना राज्य जैव-विविधता बोर्ड के समन्वय से किया गया।