देहरादून: एक स्थानीय वेडिंग पाइन्ट में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति व उत्तर भारत श्रमजीवी पत्रकार परिषद के संयुक्त तत्वाधान में हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भाषा के दोनों ही रूपों, साहित्यिक भाषा व बोलचाल की भाषा पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। पत्रकार इन दोनों के बीच सेतु का काम कर सकते हैं। हिंदी के साथ ही स्थानीय बोलियों व भाषाओं के संवर्धन पर भी महत्व देना होगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमारी मुश्किल ये है कि हमारे बच्चे अपनी भाषा व बोली से दूर होते जा रहे हैं। युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखना, हम सभी का दायित्व है और इसमें हमारी बोलियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमने भाषा व बोली संस्थान का गठन करने का निर्णय लिया है, इसके स्वरूप के बारे में सभी के सुझावों का स्वागत है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि उत्तराखण्ड आगे बढ़े। इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होगी। हमारा राज्य आज 13 से 14 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा है। सभी लोग अपने-अपने तरीके से इसमें योगदान कर रहे हैं। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि विकास में सभी को साथ लेकर चला जाए। समावेशी विकास ही खुशहाल राज्य का आधार होगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस अवसर पर आयोजक संस्था की ओर से साहित्य, कला, संगीत के क्षेत्र की विभूतियों को सम्मानित किया। इनमें नरेंद्र सिंह नेगी, लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही, डा.हर्षवंती बिष्ट, चंदन सिंह नेगी, सुरेंद्र रावत, चंद्र सिंह, डा.पूनम व अन्य प्रमुख हैं। मुख्यमंत्री ने राजनीतिन रावत द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘उत्तराखण्ड के दिवंगत एवं जीवित विभूतियों का जीवनवृत्त’’ का भी विमोचन किया। कार्यक्रम में विधायक हीरासिंह बिष्ट, पूर्व विधायक शूरवीर सिंह सजवाण, भगत सिंह रावत अतुल्य प्रताप सिंह आदि मौजूद थे।