23.7 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

आत्मनिर्भर बनती राज्य की महिलाऐं

उत्तराखंड

देहरादून: दुनिया भर में महिलाएं प्रेरणा का स्त्रोत हैं। अपने पारिवारिक जीवन और व्यावसायिक कार्य में वे जिस तरह से संतुलन कायम करती हैं वही संतुलन उन्हें शक्ति और गरिमा का प्रतीक बनाता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस #Choose to Challenge विषय पर आधारित है। जब चुनौतियों की बात आती है तो भारत की महिलाएं हमेशा मुकाबले को तैयार रहती हैं और वे विजयी बन कर उभरती हैं।

उत्तराखंड पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज कहते हैं, ’’महिला सशक्तिकरण हमेशा से हमारी सरकार का एजेंडा रहा है। हमारे प्रदेश की महिलाएं सभी क्षेत्रों में सफल हो रही हैं और मैं उत्तराखंड की नारी शक्ति को प्रणाम करता हूं। मैं ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को प्रोत्साहित करता हूं कि वे ऐसी पहलकदमियां करें जिनसे उनकी उन्नति हो और उससे राज्य की प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होगी।’’

उत्तराखंड पर्यटन सचिव श्री दिलीप जावालकर ने कहा, ’’उत्तराखंड सरकार निरंतर ऐसी योजनाओं पर काम कर रही है जो प्रदेश की महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करने में सहायक हों। हमारी योजनाएं- पंडित दीनदयाल उपाध्याय होमस्टे तथा ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर होमस्टे ग्रांट स्कीम पर्यटकों के लिए साफ-सुथरे और किफायती होमस्टे निर्मित व प्रदान करने के लिए कार्यरत हैं।

उत्तराखंड में खानपान, हस्तशिल्प, होमस्टे व अन्य सैगमेंटों की विविधतापूर्ण रेंज है जिनका संचालन और प्रबंधन प्रेरणादायी महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। ये महिलाएं उत्तराखंड का गौरव हैं और वे हमारी स्थानीय संस्कृति एवं परंपराओं को प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर काम कर रही हैं।

उत्तराखंड के हस्तशिल्प

उत्तराखंड निवासी श्रीमती माहेश्वरी खाती कालीन बनाने का प्रशिक्षण केन्द्र चलाती हैं और इस तरह वह महिलाओं को सशक्त बना रही हैं। वह भीमताल स्थित अपने केन्द्र में कालीन बनाती हैं और आसपास के गांवों की महिलाओं को प्रशिक्षित भी करती हैं। श्रीमती खाती कहती हैं, ’’बुनाई के लिए हम पहले कपास को धुनते हैं और धागों को समतल करते हैं। मैं डिजाइनिंग करती हूं तथा महिलाओं को प्रोत्साहन देती हूं और उत्पाद बेचने में उनकी मदद करती हूं।’’ इस उद्देश्य हेतु विभिन्न महिला समूह काम कर रहे हैं। इस तरह से वे अपनी पसंद का काम भी कर रहे हैं और एक खत्म होते शिल्प को संरक्षण देकर उसे लोकप्रिय भी बना रहे हैं।

अनुकृति गुसांई मिस एशिया वल्र्ड व येलो हिल्स ब्रांड की संस्थापक कहती हैं कि राज्य की पहचान उत्तराखण्ड की महिलाओं से हैं। येलो हिल्स सिर्फ एक ब्रांड नहीं है, बल्कि एक ऐसी जीवन शैली है, जहां हम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने बताया कि यहां महिलाऐं जैविक उत्पदों, घरेलू सजावट और हस्तशिल्प उत्पादों को बनाती हैं। हमने चमोली से चंपावत तक के प्रत्येक जनपद की महिलाओं को एकजुट किया है। मुझे उम्मीद हैं कि हमारी संस्कृति व परंपराओं को विश्व मानचित्र में पहचान मिलेगी। अनुकृति ने बताया कि रिंगाल व भीमल से बनने वाले उत्पादों के लिए उनकी संस्था द्वारा 10 हजार से भी अघिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है।

उत्तराखंड के होमस्टे

उत्तराखंड में होमस्टे का रुझान स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया करा रहा है। गढ़वाल मंडल के खिरसु स्थित ’बासा’ होमस्टे को महिला समूह द्वारा सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। पर्यटकों को गढ़वाली शैली का अनुभव प्रदान करने के इरादे से इसे डिजाइन किया गया है। ’बासा’ गढ़वाली की एक अभिव्यक्ति है जिसका तात्पर्य अतिथि को अपने घर में रात्रि ठहराव हेतु कहा जाता है। मौलिकता कायम रखने के लिए इसे पत्थरों से बनाया गया है वैसे ही जैसे पारंपरिक रूप से स्थानीय घरों का बनाया जाता है। इस कॉटेज में लकड़ी की सुंदर नक्काशी है जिसे स्थानीय शिल्पकारों द्वारा बनाया गया है।

महिला समूह की अध्यक्षा रचना रावत कहती हैं, ’’यह होम स्टे 40 महिलाओं द्वारा चलाया जाता है जो पांच समूहों में विभक्त हैं। हर एक समूह भिन्न जिम्मेदारियां निभाता है जैसे पशुपालन, ऑर्गेनिक खाद्य उगाना आदि। हमारे होमस्टे में आने वाले पर्यटकों को ऑर्गेनिक भोजन परोसा जाता है। इससे हर क्षेत्र में स्थानीय महिलाओं के लिए रोजगार उत्पन्न होता है। मुनाफे को सभी महिलाओं में वितरित किया जाता है जिससे प्रत्येक महिला को प्रति माह लगभग 5,000 रुपए की आय होती है। हम अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का भी आतिथ्य करते हैं। हाल ही में हमारे होमस्टे में ठहरने के लिए ऑस्ट्रेलिया से पर्यटक आए थे, उन्हें यह बेहद पसंद आया।’’

उत्तराखंड का स्थानीय खानपान

जब बात खानपान की आती है तो उत्तराखंड के व्यंजन न केवल बहुत स्वादिष्ट होते हैं बल्कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाते हैं। उत्तराखंड के परंपरागत व्यंजनों को प्रचारित करने के लिए सुश्री पूजा तोमर ’स्वावलंबिनी – उत्तराखंड की पहाड़ी रसोई’ का संचालन करती हैं जिसका प्रबंधन पूरी तरह महिलाओं द्वारा किया जाता है। शैफ, वेटर से लेकर अकाउंटेंट तक हर काम महिलाओं द्वारा बहुत बढ़िया तरीके से किया जाता है। सुश्री तोमर बताती हैं, ’’रेस्टोरेंट का विचार इस ख्याल से आया कि हम दूसरों पर निर्भर हैं। हमने महसूस किया कि हर महिला को आत्मनिर्भर होना चाहिए। इसलिए हम महिलाएं एक दूसरे की मदद के लिए एकजुट हुईं और आर्थिक एवं भावनात्मक रूप से, हर संभव तरीके से हमने इस में सहयोग दिया। हमारा विचार सिर्फ पैसा कमाना नहीं है बल्कि अपनी गढ़वाली संस्कृति को प्रचारित करना भी है। हम अपने रेस्टोरेंट में पहाड़ी व्यंजन परोसते हैं और साथ ही हम वैश्विक अंदाज भी देने की कोशिश करते हैं जैसे पारंपरिक मडुए की रोटी से बनाया गया पिज्जा।’’

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More