नई दिल्ली: आपदा सहनशील आधारभूत ढांचा-2019 पर दो दिवसीयअंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला (आईडब्ल्यूडीआरआई) आज सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। कार्यशाला में 33 देशों के विकास और आपदा जोखिम विशेषज्ञ, बहुपक्षीय विकास बैंक, संयुक्त राष्ट्र संघ, निजी क्षेत्र,शैक्षणिक विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और अन्य भागीदारों ने भाग लिया।
कार्यशाला में अपने विशेष संबोधन में 15वें वित्त आयेाग के अध्यक्ष श्री एन.के.सिंह ने जन-केंद्रित समाधान पाने के लिए सहनशील आधारभूत ढांचे पर सामूहिक कार्यवाही का आह्वान किया। अपने उद्घाटन संबोधन में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.राजीव कुमार ने कहा कि लाखों लोगों के निकट भविष्य में शहरों और कस्बों की ओर निरंतर जाते रहने के कारण दीर्धकालीन समय में शहरी लचीलापन एक अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि राज्यों में सारी कार्यवाही होगी और बेहतर परिणाम के लिए राज्य सरकारों के साथ सहयोग का आह्वान किया।
दीर्धकालीन विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आपदा सहनशील आधारभूत ढांचे के महत्व को दोहराते हुए प्रधानमंत्री के अपर प्रधान सचिव डॉ.पी.के.मिश्रा ने आपदा सहनशील आधारभूत ढांचे में दीर्धकालीन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए तीन मंत्र प्रस्तावित किए। इनमें निर्धनों और असहायों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता, विभिन्न भागीदारों के सहयोग के साथ समावेशी रूख अपनाने और आपदा सहनशील आधारभूत ढांचे में वैश्विक प्रक्रिया के पालन को सुनिश्चित करना सम्मिलित हैं।
कार्यशाला में प्रमुख आधारभूत ढांचे जैसे परिवहन, ऊर्जा, दूरसंचार और पेयजल आदि में आपदा जोखिम प्रबंधन संबंधी श्रेष्ठ पद्धतियों की पहचान की गई। इसमें उभरती हुई प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में प्रकृति आधारित नवाचार और इसके आधारभूत ढांचे के सृजन, संचालन और रखरखाव में प्रभाव पर भी चर्चा की गई। कार्यशाला के दौरान आधारभूत ढांचे के लिए वित्त औेर बीमा संबंधी प्रायोगिक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया। इसमें आपदा सहनशील आधारभूत ढांचे के लिए प्रस्तावित गठबंधन (सीडीआरआई) को विश्व स्तर पर ले जाने के लिए बातचीत का मंच तैयार हुआ।
सीडीआरआई की परिकल्पना, सूचना के आदान-प्रदान और क्षमता निर्माण भागीदारी के रूप में की गई है। भारत ने नई दिल्ली में 2016 में आयोजित एशियन आपदा जोखिम कम करने पर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के तुरंत बाद सीडीआरआई के सृजन की घोषणा की थी।
दूसरे आरडब्ल्यूडीआरआई का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम कम करने संबंधी कार्यालय और ग्लोबल कमीशन ऑन एडोप्शन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और विश्व बैंक द्वारा किया गया।