लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार बनने के पहले दिन से ही विपक्षी दल नकारात्मक भूमिका निभाने लगे थे। अब विधान सभा चुनाव नजदीक आने पर ये जनता को गुमराह करने की नई-नई तरकीबें खोजने लगे हैं। प्रदेश में कानून व्यवस्था का रोना रोया जाने लगा है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश को विकास की नई मंजिलो पर बड़ी मेहनत से पहुँचाया है, विपक्ष को लगता है कि उनके दिन अब बीत चुके हैं, इससे वे हताशा में अनर्गल प्रलाप करने लगे हैं। बसपा प्रमुख को कुछ नही सूझा तो उन्होंने श्री अखिलेश यादव की विकास योजनाओं को अपना बताना शुरु कर दिया।
बसपा अध्यक्ष ने आज आगरा रैली में अपने भाशण में झूठ का पुलिन्दा ही खोल दिया। जब वे अपराध मुक्त समाज का नारा दे रही थी तब जो लोग वहाँ मौजूद थे उन्हें उन दिनों की याद आ गई। जब बसपा के मंत्री विधायक महिलाओं-किशोरियों की इज्जत से खिलवाड़ कर रहे थे। तब तो थानों में बलात्कार होता था। किसान कैसे भूलेंगे कि खाद-बीज मांगने पर उन पर बसपा राज में लाठियाँ बरसती थी। व्यापारियों और श्रमिकों को दो वक्त की रोटी कमाना मुश्किल हो गया था। बसपा राज में विकास कोसों दूर था। उन दिनों तो लूट और कमीशन खोरी का ही बोल बाला था।
एक बार फिर बसपा प्रमुख दलित समाज को भ्रमित करने के काम में लग गई हैं ताकि वे फिर सत्ता की मलाई का स्वाद पा सकें। दलित आन्दोलन को और बाबा साहेब अम्बेडकर के मिशन को क्षति पहुँचाने का काम करने में उन्होंने कोई कसर नही छोड़ी है। दलित वोट का सौदा करने में उन्होंने सारी नैतिकता ताक पर रख दी है। दलित समाज के प्रति उनकी हमदर्दी घड़ियाली आँसू जैसी है क्योंकि बसपा राज में दलित ही सबसे ज्यादा अत्याचार और शोषण के शिकार बने थे। दलितों का उनके आवास के रास्ते तक में प्रवेश निषेध था। भ्रष्टाचार को उनके समय खुली छूट थी। पंचमतल के अधिकारियों का काम तब बसपा प्रमुख के लिए धन उगाही के नए-नए स्रोत ढूढ़ने तक सीमित था। खुद भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने और गुजरात में जाकर मोदी जी का चुनाव प्रचार करने वाली बसपा प्रमुख का सपा-भाजपा मिलीभगत की बात करना हास्यापद लगता है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा सांप्रदायिकता के सहारे अपनी राजनीतिक गोटियाँ बिछा रही है तो कांग्रेस अब अपनी बेहाली से सहानुभूति बटोरने में लग गई है। इनके पास प्रदेश के विकास का कोई नीति कार्यक्रम नही है। ये सिर्फ जनता को गुमराह कर राजनीतिक स्वार्थ साधन करना चाहते हैं। जनता बहुत जागरुक है। वह अब इनके बहकावे में आने वाली नही है। समाजवादी सरकार ने जो सराहनीय कार्य किये हैं उनसे जनता प्रभावित हैं। वह फिर अखिलेश सरकार को चुनेगी।