नई दिल्ली: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान और रोजनेफ्त के सीईओ एवं चेयरमैन श्री आईगोर सेचिन ने आज नई दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक की। दोनों ही नेता वर्ष 2020 के दौरान भारत में दो मिलियन मीट्रिक टन यूराल ग्रेड कच्चे तेल के आयात के लिए आईओसीएल और रोजनेफ्त के बीच प्रथम सावधि अनुबंध पर हस्ताक्षर के भी साक्षी रहे। दीर्घावधि अनुबंधों के जरिये रूस से कच्चे तेल की प्राप्ति गैर-ओपेक देशों से देश में कच्चे तेल की आपूर्ति में विविधिता से जुड़ी भारतीय रणनीति का एक हिस्सा है। इसके साथ ही यह हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के लिए पंचवर्षीय रोडमैप का भी एक हिस्सा है, जिस पर पिछले सितम्बर माह में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की व्लादिवोस्तोक यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किये गये थे।
भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनी द्वारा कच्चे तेल के आयात के लिए एक नये स्रोत के रूप में रूस को शामिल करने से भू-राजनीतिक व्यवधान के कारण उत्पन्न होने वाले जोखिमों में कमी लाने में काफी मदद मिलेगी। नई व्यवस्था से भारत में मूल्य संबंधी स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने का मार्ग भी प्रशस्त होगा। भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में काफी वृद्धि देखी जा रही है। इस नये कदम से अन्य पीएसयू तेल परिशोधन कंपनियों को भी रूस से कच्चे तेल के आयात के लिए इसी तरह के सावधि अनुबंध करने के अवसर मिलेगे।
दोनों पक्षों ने आपस में संयोजित प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई, जिसमें रूस की पूर्वी क्लस्टर परियोजनाओं में भारतीय निवेश के लिए रोडमैप तैयार करना भी शामिल है। यह बात रेखांकित की गई कि चार भारतीय तेल एवं गैस सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) ने इस परियोजना में भाग लेने के लिए रोजनेफ्त के समक्ष अपने अभिरुचि पत्र पहले ही पेश कर दिये हैं।
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने भारत के तेल एवं गैस पीएसयू और रोजनेफ्त के बीच मौजूदा निवेश की समीक्षा की और ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने तथा निवेश के साथ-साथ प्राकृतिक गैस एवं कच्चे तेल की प्राप्ति के मोर्चे पर भी हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहभागिता बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया। बैठक के दौरान श्री प्रधान ने कहा कि हाइड्रोकार्बन द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण आधार है।