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इस्लामी एकता सम्मेलन में ईरानी और भारतीय शिया व सुन्नी कुछ ओलमा ने एकता के महत्व पर खिताब किया

Iranian and Indian Shiite and Sunni Islamic Unity Conference in some titles on the importance of unity Olma
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: ईरानी शिया व सून्नी उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के लखनऊ आगमन पर मजलिसे ओलमाये हिन्द के बेनर तले सलेबरेशन पैलेस में इस्लामी एकता के विषय पर सम्मेलन का आयोजन हुआ।इस सम्मेलन का उद्देश्य इस्लामी एकता के संदेश को सार्वजनिक करना और शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा पैदा की जा रही दूरीयों को खत्म करना था। पहली बार लखनऊ में इस्लामी एकता के विषय पर बहुत महत्वपूर्ण सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें नदवा कालेज का प्रतिनिधित्व भी रहा।नदवा के मुहतिम्म मौलाना सईर्दु रहमान नदवी ने सम्मेलन की अध्यक्षता की और इस्लामी एकता के संदेश को सार्वजनिक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सम्मेलन की शुरुआत ईरान से प्रतिनिधिमंडल के साथ आए आकाई हमीदी ने तिलावते कुरान से की।उसके के बाद मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी ने पहली तकरीर करते हुए कहा कि जहालत और नादानी ही हर बुराई की जड़ है। अगरजहातल का अंत हो जाए तो शिया व सुन्नी के बीच मौजूद दूरियाॅ भी खत्म हो जायंे गी ।मौलाना ने इस्लामी एकता के महत्व पर बोलते हुए कहा कि मुझसे एक बार किसी अखबार के पत्रकार ने पूछा था कि मुसलमानों में इतने फिरके हैं इस लिये एकता कैसे संभव है? मैंने उससे सवाल किया कि यह बताओ देशवासियों के बीच कितने खुदाओं की इबादत होती है।मौलाना ने कहा कि देषवासी ना जाने कतने देवताओं को पूजते हैं उसके बावजूद एकजुट हैं। अगर इतने देवताओं के पूजने वाले एकजुट हो सकते हैं तो एक भगवान, एक कुरान और एक नबी स0अ0 के मानने वाले क्यों एकजुट कियों नहीं हो सकते।

नदवा के मुहतिम्म मौलाना सईर्दु रहमान अजमी नदवी ने अपनी अध्यक्ष तकरीर मंे कहा कि मेरी खुशनसीबी है कि हमंे इस महान सभा में शामिल होने का मौका मिला है। इसलामी एकता के लिए यह सभा बहुत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक हैसियत रखती है। मौलाना ने कहा कि अल्लाह ने कौम व जनजाति परिचय के लिए पैदा किए हैं,चिंतन का मतभेद विचारधारा को एकजुट करने का जरिया है,मौलाना ने कह कि हमें ऐसी ताकतों से सावधान रहना होगा जो हमें टकराने का काम करती हैं। ऐसी शक्तियाॅं जो हमेशा कहती आई हैं कि लड़ाई और राज करो। पश्चिमी देषों ने जो सामराजी निजाम हमारे सिरों पर थोपा है उसका उद्देश्य मुसलमानों में अराजकता फैलाकर उन्हें टकराना है। पैगम्बरए इसलाम ने कहा है कि मुसलमान की मिसाल उस शरीर की है जिसके एक हिस्से में दर्द होता है तो पूरा शरीर दर्द से बिलबिला उठता है।मुसलमान एक शरीर की तरह हैं इसलिए हमें एक उम्मत कहा गया है। इस लिए जरूरी है कि हम एकजुट हों और एक दूसरे का खयाल रखें । मौलाना ने अधिक अपने संबोधन में कहा कि हमें लड़ाने के लिए जिन कारणों का इस्तेमाल किया जा रहा है उन्हें विफल करना बहुत जरूरी है क्योंकि दुश्मन हमारी कमजोरियों की ताक में रहता है। मौलाना ने कहा के ये ऐतिहासिक सम्मेलन है। इस सम्मेलन के प्रभाव इस्लामी समाज और भारतीय मुसलमानों मंे जरूर देखे जाएंगे।

ईरान से आये अयातुल्ला मौहसिन अराकी ने कहा कि कुरान ने दो इस्लाम बताए हैं एक अराबी इस्लाम है और दूसरा इब्राहीमी इस्लाम है। दोनों की अलग अलग गुणों व लक्षण कुरान में वर्णित हैं जिनका अध्ययन किया जा सकता है । अराबी इस्लाम जाहेरी व दिखवटी इस्लाम है मगर इब्राहीमी इस्लाम सच्चा इस्लाम है जिसे दीनए हनीफ भी कहा गया है। कुरान की इन्हीं अयतों से इज्तेहाद करते हुए इमाम खुमैनी ने कहा था कि आज भी दो इस्लाम मौजुद हैं, एक अमेरिकी इस्लाम है और दूसरा वास्तविक इस्लाम इस्लाम ए मोहम्मदी है।आयातु अल्लाह मोहसिन इराकी ने आगे अपने बयान में कहा कि जिस तरह पिछले बीस वर्षों में साम्राज्यवादी ताकतों ने इस्लाम को बदनाम और कमजोर करने के लिए अमेरिकी इस्लाम के प्रचार किया उसी तरह पिछले कुछ वर्षों में शियो के असली व सच्ची षियत के मुकाबले मंे लंदनी षियत कों फेलाया गया। ।एक शिया वास्तविक जो कुरान सुन्नते पैगम्बर और अहले बैत की शिक्षाओं से जुड़े है और दूसरे शिया लंदनी है जिसका प्रचार इस्तेमारी शक्तियां और पश्चिमी देश कर रहे हैं इसलिए हर कदम पर सावधानी की जरूरत है। यही लोग विभिन्न हीलों और रणनीति द्वारा मुसलमानों और शियों में मतभेद पेदा करते हैं।

ईरान से आए सुन्नी मेहमान श्री मुफ्ती अली अहमद सलामी (सदस्य मजलिसए खबरगानए रहबरी ईरान) ने अपने भाषण में कहा कि हमें साम्राज्यवादी रणनीति से होशियार रहना होगा। उनहों ने कहा कि मुसलमानों के पास वह सब कुछ हैं जो विकास की गारंटी माना जाता है। मुसलमानों के पास कुरान के रूप में अच्छी प्रणाली जीवन मौजूद है ,दुनियवी लिहाज से भी मुसलमान समृद्ध हैं ,सभी प्राकृतिक भंडार एन्थ्रेसाइट नियात व कानें मुसलमानों के पास मौजूद हैं,जुगराफियाई लिहाज से भी इस्लामी देषों को एक अलग पहचान है। यही चीजें हैं जो विकास का माध्यम बनती हैं। फिर भी आखिर क्या वजह है कि इन सभी संसाधनों के होते हुए पिछड़ेपन का शिकार है।उसकी बड़ी वजह एकता का न होना है। अगर इस्लामी देष एकजुट हो जाए तो वह दुनिया में अलग और बडा स्थान प्राप्त कर सकता है।

डा0 सैयद कल्बे सादिक नकवी ने अपने भाषण में कहा कि हर समस्या का समाधान कुरान के पास मौजूद है। अगर तुम्हारे बीच मतभेद हो जाए तो कुरान के पास जाओ ताकि समस्या का समाधान मिल सके ।मेरा सवाल ये है कि क्या कुरान ने कहा है कि मुसलमान आपस में लड़ें। किया नबी की सुनन्त मंे ऐसा आदेश आया है। अगर कुरान और सुन्नते नबी स0अ0 मंे कहीं लड़ने का आदेश नहीं है तो फिर मुसलमान आपस में क्यों लड़ रहे हैं? आइए कुरान मै इस मसअले का हल खोजते हैं। कुरान ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वह शैतान है जो मुसलमानों को आपस में लड़ाता है और लड़ाता रहेगा ।इसका मतलब यह है कि एक शैतान कयामत तक के लिए मुसलमानों को लड़ाने के लिए साथ रहेगा और वह शैतान अमेरिका है । मौलाना ने कहा कि कुरान ने कहीं यह नहीं कहा कि तुम घातक से घातक हथियार बना लोगे तो सफल हो जाओगे , कुरान ने कहा है कि तुम मोमिन बनो और डरो नहीं उसके बाद तुम्हें कभी कोई हरा नहीं पाएगा। मौलाना ने दारुल उलूम देवबंद से निकलने वाले रिसाले को दिखाते हुए कहा कि इस पुस्तिका में केवल इस विषय पर लेख लिखे गए हैं कि कैसे शिया व सुन्नी एकता स्थापित हो सकता है। वे सभी सूत्र वर्णित हैं जिन पर अमल करते हुए एकता की कोशिश सफल हो सकती है। अगर देवबंद जैसी संस्था एकता के लिए हाथ आगे बढ़ा रही हे तो आगे क्या रह जाता है। मौलाना ने पैगंबर मोहम्मद स0अ0 का कौल बयान करते हुए कहा कि हर बुराई की जड़ अज्ञानता है। अगर अज्ञान समाप्त हो जाये तो सब फसाद खतम हो जाईनगे । मौलाना ने आगे कहा कि कुरान में कहां यह लिखा है कि कुरान न पढ़े उसे गोली मार दो। यह जिहादी जो आज इस्लाम के नाम पर आतंक फैला रहे हैं दरअसल उन्हें कुरान पढ़ना भी नहीं आता है और ये तथ्य गैर मुस्लिम ता जानते है।

मौलाना जहाॅगीर आलम कासमी ने इस्लामी एकता के लिए हो रही कोशिशों की सराहना करते हुए कहा कि जब पैगंबर मदीना आए तब दो कबीले ओस व खजर्ज आपस मंे लड कर तबाह हो रहे थे और लडाई के लिए अरब में वह प्रसिद्ध थे। वह लोग जो सालों से लड रहे थे उन्हें मौहम्मद स0अव ने एक कलमे द्वारा एकजुट कर दिया। मौलाना ने कहा कि शिया व सुन्नी इस्लाम की दो शाखाएं हैं। दोनों का विश्वास अल्लाह कुरान और नबी पर है फिर आखिर क्या वजह है कि शिया व सुन्नी फसाद की खबरें आती रहता है। क्या कुरान का संदेश वहाॅ आम नहीं है? इन दंगों का नुकसान यह हुआ कि हमारी सोच बंट गई, दिल बट गए, मोहल्ले बट गए, परिवार विभाजित हो गए। क्या वह रसूले इस्लाम के इस कौल से परिचित नहीं हैं कि अल्लाह के लिये सारी दुनिया को नष्ट कर देना आसान है लेकिन एक इंसान की हत्या कर देना उसे पसंद नहीं है। मौलाना ने आगे अपने बयान मै कहा कि अगर हम एकजुट होते और एकता के लिए हर संभव प्रयास करते तो आज ईरान से हमारे मेहमानों को एकता का संदेश लेकर भारत नहीं आना पड़ता।

पूर्व विदेश मंत्री श्री मनोचेहर मुत्तकी ने अपने बयान में कहा कि इस्लामी एकता की मूल आवश्यकता है। जहां कहीं भी अराजकता है उसके पीछे दोसरे लौग रहे हैं चाहे वह इस्लाम के षुरू मै हो या आज का दौर हो। उन्होंने कहा कि इस्लाम की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता से घबराये पश्चिम ने पूरी योजना के साथ यह तय किया कि इस्लाम के चेहरे को विकृत कर दिया जाये और इस्लाम का खूंखार चेहरा दुनिया के सामने पेश किया जाए ताकि दुनिया इस्लाम की ओर आकर्षित न हो,इस लिये उसने आई0एस0 जैसे संगठन को खड़ा किया और इस्लाम की ऐसी तस्वीर दुनिया के सामने रखी जो बहुत भयभीत करने वाली है।करोड़ों डॉलर खर्च करके भी वह नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने यह काम मुसलमानों द्वारा ही अंजाम दिया और मुसलमानों को ही मुसलमानों के मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया ताकि मतभेद डाल कर वह अपने लक्ष्य में सफल हो सकें।

सम्मेलन का संचालन मौलाना मंजर सदिक ने किया। सम्मेलन मै ईरान व भारत के सुन्नी व षिया ओलमा ने भाग लिया। सम्मेलन मजलिसए ओलमाए हिंद द्वारा आयोजित किया गया।

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