कैथोलिक मान्यता वाले देश आयरलैंड में ऐतिहासिक जनमत संग्रह के बाद गर्भपात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के पक्ष में मतदान पूरा हो गया है। 66.4 प्रतिशत लोगों ने गर्भपात पर प्रतिबंध हटाने के लिए वोट किया है। दरअसल, गर्भपात से प्रतिबंध हटाने के पक्ष में मतदान को प्रेरित करने के लिए आयरलैंड में काफी दिनों से यस कैंपेन चलाया जा रहा था।
आयरलैंड ने यूरोप के कुछ कड़े गर्भपात संबंधी कानूनों को लचीला बनाने को लेकर जनमत संग्रह में हिस्सा लिया था। आयरलैंड पारंपरिक रूप से यूरोप के सबसे धार्मिक देशों में से एक है। कैथोलिक बहुल इस देश में बहुत ही सख्त गर्भपात कानून है। आयरिश संविधान में 1983 में हुए संशोधन के बाद मां और बच्चे को समान रूप से जीवन का अधिकार दिया गया था।
आयरलैंड के गर्भपात कानून की वजह से एक भारतीय महिला सविता हलप्पनवार को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। आयरलैंड में गर्भपात तभी कराया जा सकता है जब मां की जान को खतरा हो। इसके अलावा रेप के मामलों या भ्रूण के असामान्य और घातक स्थिति में होने पर भी यहां गर्भपात गैर-कानूनी है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आयरलैंड में हुए इस ऐतिहासिक बदलाव के पीछे एक भारतीय महिला रही है। भारतीय मूल की सविता हलप्पनवार को 17 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाजत नहीं दी गई थी जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। 31 वर्षीय डेंटिस्ट सविता प्रवीण हलप्पनवार से शादी के बाद आयरलैंड में बस गई थीं। सविता के पति प्रवीण हालापनवर ने बताया था कि एक दिन जबरदस्त दर्द में बिताने और यह बताए जाने के बाद कि वो जीवित बच्चे को जन्म नहीं दे पाएंगी, सविता ने डॉक्टरों से गर्भपात करने को कहा।
प्रवीण ने बताया था कि डॉक्टरों ने यह मांग खारिज कर दी क्योंकि भ्रूण में अभी भी दिल की धड़कन मौजूद थी और कहा कि ‘यह एक कैथोलिक देश है।’सविता को गर्भपात कराने की इजाजत नहीं मिली। बाद में मृत भ्रूण को हटा कर सविता को आईसीयू में रखा गया लेकिन 28 अक्टूबर 2012 को मिसकैरिज के बाद हुए ब्लड पॉयजनिंग से उनकी मौत हो गई। सविता आयरलैंड में यस कैंपेन का चेहरा बन गईं। देश भर में उनके पोस्टरों के साथ देश में बदलाव के लिए वोट करने की मांग की गई। अब आयरलैंड में महिलाओं के पक्ष में ऐतिहासक बदलाव होने जा रहा है।