कार्तिक मास में भगवान सूर्य की पूजा की परंपरा है शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को छठ पूजा का विशेष विधान है, इस पूजा की शुरुआत मुख्य रूप से बिहार और झारखंड से हुई है जो अब देश-विदेश तक पढ़ चुकी है कहा जाता है कि अंग्रेज के महाराज करण सूर्य देव के उपासक थे अब बिहार के भागलपुर में आता है इसीलिए परंपरा के रूप में सूर्य का पूजा का इन जगहों पर विशेष प्रभाव देखने को मिलता है, कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है सूर्य देव की उपासना की जाती है आपकी स्वास्थ्य की समस्याएं परेशान ना करें षष्ठी तिथि का संबंध संतान की आयु से होता है सूर्य देव और सृष्टि की पूजा से संतान प्राप्ति और उसकी आयु रक्षा दोनों हो जाती है इस माह में सूर्य उपासना से वैज्ञानिक रूप से हम अपनी उर्जा और स्वास्थ्य का स्तर बेहतर बनाए रख सकते हैं.
छठ पूजा के क्या लाभ होते हैं यह भी आपको बता देते हैं
इस बार छठ पूजा 13 नवंबर को की जाएगी बात करें अगर इसकी पूजा विधि की तो यह पर कुल मिलाकर 7 दिनों तक चलता है इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी से होती है और शब्द में को अरुण बेला में इस व्रत का समापन होता है कार्तिक शुक्ल पक्ष के महान के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है इस दिन स्वच्छता की स्थिति अच्छी रखी जाती है इस दिन लौकी और चावल का आहार ग्रहण किया जाता है दूसरे दिन उपवास रखकर शाम को खीर का सेवन किया जाता है कि गन्ने के रस की बनी होती है इसमें नमक या चीनी का प्रयोग नहीं होता है तीसरे दिन उपवास रखकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है साथ में विशेष प्रकार का पकवान चढ़ाया जाता है और साथ ही मौसमी फल भी चढ़ाए जाते हैं अर्थ दूध जल से दिया जाता है चौथे दिन बिल्कुल उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ दिया जाता है इसके बाद कच्चे दूध और प्रसाद को खाकर व्रत समापन किया जाता है इस तोहार का पहला अर्ध 13 नवंबर को संध्याकाल में दिया जाएगा और अंतिम अंक 14 नवंबर को सूर्य के उगने पर दिया जाएगा.