नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने के उद्देश्य से मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए मानव केन्द्रित प्रणालियां विकसित करने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के साथ हाथ मिलाया है। मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) के निदेशक डॉ. एस. उन्नीकृष्णन नायर के नेतृत्व में इसरो के वैज्ञानिकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए, ताकि मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए मानव केन्द्रित प्रणालियों को प्रौद्योगिकी प्रदान की जा सके।
समझौता ज्ञापनों पर रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी, वैज्ञानिक और महानिदेशक (जैविक विज्ञान) डॉ. ए.के. सिंह की उपस्थिति में एरियल डिलीवरी एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट (एडीआरडीई), रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला (डीएफआरएल), डिफेंस बायो-इंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रो मेडिकल लेबोरेट्री (डीईबीईएल), रक्षा प्रयोगशाला (डीएल) जोधपुर, अग्नि-विस्फोटक और पर्यावरण सुरक्षा केन्द्र (सीएफईईएस), रक्षा शरीर विज्ञान और चिकित्साचिकित्सा विज्ञान प्रयोगशाला संस्थान (डीआईपीएएस) और न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसिज़ (आईएनएमएएस) के निदेशकों ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. डी. सतीश रेड्डी ने कहा कि रक्षा कार्यों के लिए डीआरडीओ प्रयोगशालाओं में मौजूद तकनीकी क्षमता को इसरो के मानव अंतरिक्ष मिशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए रूचि के अनुरूप बनाया जाएगा। डीआरडीओ द्वारा इसरो को प्रदान की गई कुछ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में स्पेस क्रू हेल्थ मोनिटरिंग और इमरजेंसी सर्वाइवल किट, विकिरण मापन और संरक्षण क्रू मॉडयूल और अन्य की सुरक्षित बरामदगी के लिए पैराशूट शामिल हैं।
महानिदेशक (जैविक विज्ञान) डॉ. ए.के. सिंह ने कहा कि डीआरडीओ मानव अंतरिक्ष उड़ान और आवश्यक प्रौद्योगिकी को रूचि अनुरूप बनाने के लिए इसरो को हर प्रकार की सहायता प्रदान करेगा। उसने तय समय सीमा को पूरा करने के लिए पहल की है। इसरो का 2022 में भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने का लक्ष्य है।