आज एक उत्साहजनक ऑनलाइन कार्यक्रम में अटल नवाचार मिशन, नीति आयोग और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने घोषणा की कि इसरो स्कूल के छात्रों के लिए एसटीईएम, अंतरिक्ष शिक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से संबंधित नवाचारों के क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए देश के 100 अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) अपनाएगा।
एक विशेष संदेश के माध्यम से वर्चुअल आयोजन को संबोधित करते हुए, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि मैं इस बात से बहुत उत्साहित हूं कि भारत सरकार के विभिन्न विभाग और मंत्रालय आत्मनिर्भर भारत के सृजन के लिए समन्वय के साथ काम कर रहे हैं। नीति आयोग और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के बीच यह सहयोग इस प्रकार के प्रयासों का एक प्रमुख उदाहरण है।
यह हमारे युवा और उभरते हुए अंतरिक्ष अनुसंधानकर्ताओं और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए देश के बड़े विद्वानों से सीखने तथा अपने स्कूल, परिवारों और स्थानीय समुदायों के लिए जीवित प्रेरणा बनने का एक बड़ा अवसर है।
इस अवसर पर इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने संबोधित करते हुए, यह उम्मीद जाहिर की कि इस कदम से नवाचार और स्कूली बच्चों को परम्परागत शिक्षण के मुकाबले प्रयोगात्मक शिक्षण की भावना को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि परियोजना आधारित शिक्षा से स्कूल के दिनों से ही अनुसंधान के प्रति युवाओं के दृष्टिकोण में सुधार आएगा। 100 एटीएल देश में इसरो की मौजूदगी के अनुसार भौगोलिक रूप से स्थापित किए गए हैं। इन्हें अपनाने से आज इसरो आत्मनिर्भर भारत के एक हिस्से के रूप में छात्रों के अंतरिक्ष के सपनों को आगे बढ़ाने तथा उन्हें इसमें जोड़ने की दिशा में एक छोटा कदम उठा रहा है। इसरो केन्द्रों के वैज्ञानिक और इंजीनियर, क्षमता निर्माण कार्यक्रम कार्यालय, इसरो मुख्यालय के साथ नजदीकी समन्वय में, छात्रों का सक्रिय रूप से संरक्षण करने के साथ-साथ प्रयोगों को प्रोत्साहित करने, विचारों पर विचार-विमर्श करने और अंतरिक्ष गतिविधियों में जागरूकता पैदा करने के लिए एटीएल में शिक्षकों के साथ बातचीत भी करेंगे। डॉ. सिवन ने इन एटीएल से जुड़े छात्रों को श्रीहरिकोटा से लॉन्च का साक्षी बनने के लिए अतिथि के रूप में भी आमंत्रित किया।
एक अटल टिंकरिंग लैब्स ऐसा कार्य स्थल उपलब्ध कराता है, जहां युवा डू-इट-योअरसेल्फ-मोड के आधार पर अपने विचारों को आकार प्रदान कर सकते हैं और नवाचार कौशल सीख सकते हैं। उद्यमशीलता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग ने देश में 7000 से अधिक एटीएल की स्थापना की है, जिनमें कक्षा 6 से कक्षा 12 तक के 30 लाख से अधिक छात्र समस्याओं का समाधान, टिंकरिंग और नवाचार ज्ञान प्राप्त करते हैं। इस सहयोग के माध्यम से, इसरो 21वीं सदी की अंतरिक्ष से संबंधित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में छात्रों को कोचिंग और मेंटरिंग की सुविधा प्रदान करेगा। ये छात्र न केवल सैद्धांतिक, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स, भौतिकी, प्रकाशिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, सामग्री विज्ञान और अन्य अनेक अंतरिक्ष शिक्षा से संबंधित अवधारणाओं और एसटीईएम का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि मुझे इस बात पर गर्व है कि नीति आयोग अटल नवाचार मिशन के माध्यम से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में प्रगति के लिए इसरो के साथ सहयोग कर रहा है, जिसमें एआरआईएसई, अटल इन्क्यूबेशन सेंटर, अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर्स और अटल टिंकरिंग लैब्स भी शामिल हैं।
नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने कहा कि मुझे खुशी है कि हमारे भविष्य के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को पोषित करने के लिए इसरो अपने क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों के साथ मिलकर 100 अटल टिंकरिंग लैब्स को अपना रहा है। इसमें इसरो के वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता, एसटीईएम शिक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवा नवाचारों का व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन करेंगे।
हम वर्तमान में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक बहुत ही उत्साहजनक समय देख रहे हैं। इसरो इस क्षेत्र में वैश्विक, अग्रणी और अभिनव दिग्गज रहा है और हाल के दिनों में इसने भारत के लिए अनेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। अभी हाल में इसरो ने स्टार्टअप्स और निजी उद्यमियों के लिए भी रास्ता खोल दिया है और अंतरिक्ष उद्योग का भविष्य काफी आशाजनक है। इसरो के इस सहयोग से एटीएल स्कूलों के युवा छात्रों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों सीखने और देश के लिए नवाचार करने के अवसर उपलब्ध होंगे। अटल नवाचार मिशन के मिशन निदेशक श्री रामानाथन रामनान ने कहा कि नवीनतम प्रौद्योगिकियों तक पहुंच उपलब्ध कराकर इसने न केवल एनईपी 2020 के विजन के अनुरूप काम किया है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लिए मार्ग भी प्रशस्त किया है।
इससे पहले अटल नवाचार मिशन ने भारतीय एमएसएमई और स्टार्टअप्स में व्यावहारिक अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए चार अन्य मंत्रालयों के साथ आत्मनिर्भर भारत एआरआईएसई-एएनआईसी पहल के लिए इसरो के साथ सहयोग किया था।