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राज्‍यों को क्षतिपूरक वनरोपण निधि जारी करने से देश के आईएनडीसी को पूरा करने में सहायता मिलेगी: डॉ. हर्षवर्धन

देश-विदेश

नई दिल्ली: यह रेखांकित करते हुए कि सीएएफ विधेयक 2008 में लोकसभा द्वारा पहले पारित किया जा चुका था, लेकिन राज्‍यसभा द्वारा इसे पारित नहीं किया जा सका, केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि, ‘अब 2014 में सत्ता में आने के बाद हमारी सरकार ने फिर से इसकी पहल की तथा 2015 में सीएएफ विधेयक प्रस्‍तुत किया। संसद में काफी बहस के बाद विधेयक 2016 में पारित किया गया तथा सीएएफ अधिनियम 3 अगस्‍त, 2016 को प्रकाशित किया गया।’ उन्‍होंने कहा कि इस अधिनियम को विभिन्‍न हितधारकों के साथ व्‍यापक सलाह मशविरों के बाद नियम बनाने के बाद क्रियान्वित किया जा सका। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यह अधिनियम 30 सितंबर, 2018 से लागू होगा।

डॉ. हर्षवर्धन ने जोर देकर कहा कि राज्‍यों को निधि जारी करने से वन संपदा की बहाली तथा संवर्धन, जैव-समृद्धि में बढ़ोतरी, जल उपलब्‍धता एवं देश की पारिस्थितिकी हिफाजत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के सरकार के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। उन्‍होंने कहा कि यह प्रयास 2030 तक अतिरिक्‍त वन एवं वृक्ष आच्‍छादन के माध्‍यम से 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाईआक्साइड समरूप के देश के लक्षित राष्‍ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (आईएनडीसी) को पूरा करने के लिए अतिरिक्‍त कार्बन सिंक के सृजन में सहायता करेगा।

मंत्री महोदय ने बताया कि सीएएफ नियमों को अंतिम रूप से 10 अगस्‍त, 2018 को प्रकाशित किया गया जिससे राज्‍यों को लगभग 52,000 करोड़ रुपये के बराबर की निधियों के सुगम हस्‍तांतरण का रास्‍ता प्रशस्‍त हो गया। उन्‍होंने यह भी कहा कि इन कार्यकलापों को राष्‍ट्रीय प्राधिकरण एवं राज्‍य प्राधिकरण नामक वैधानिक निकायों द्वारा प्रबंधित किया जाएगा तथा इनका एक मजबूत निगरानी तंत्र है।

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