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सूक्ष्म सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है आईटी आधारित उन्नत पोर्टल

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार तथा कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दिनेश प्रताप सिंह द्वारा शुक्रवार को उद्यान भवन परिसर, लखनऊ में पर ड्रॉप मोर क्रॉप-माइक्रो इरीगेशन योजना के अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई पद्धति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु डेडिकेटेड उत्तर प्रदेश माइक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट ूूूण्नचउपचण्पद पोर्टल का शुभारंभ किया गया। इस दौरान उन्होंने दुबई के लिए निर्यात किये जा रहे आम के ट्रक को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
पोर्टल के शुभारंभ के दौरान उद्यान मंत्री ने कहा कि किसानों की मददगार डबल इंजन सरकार द्वारा निरंतर किसान हित में प्रयास किए जा रहे हैं। इस योजना के क्रियान्वयन से  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी तथा प्रदेश के किसान हितैषी मुख्यमंत्री की अपेक्षानुसार हम किसानों की बेहतर सेवा कर पायेंगे। सिंचाई की यह पद्धति प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान करेगी। उन्होंने कहा कि पोर्टल का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड, भू-अभिलेख एवं बैंक खाता अनिवार्य है। कृषक किसी भी पंजीकृत फर्म से कार्य कराने हेतु स्वतंत्र है। लाभार्थी कृषक को अधिकतम 5 हेक्टेयर भूमि पर अनुदान अनुमन्य होगा, उसी भूमि पर 7 वर्ष पश्चात पुनः योजना के लाभ की व्यवस्था भी है। विशेषज्ञ अभियंता से सामग्री आगणन लेआउट/डिजाइन के तकनीकी परीक्षण की ऑनलाइन सुविधा ड्रिप/मिनी/माइक्रो स्प्रिंकलर के लाभार्थियों को निःशुल्क बीमा की सुविधा भी मिलेगी।
उन्होंने कहा कि पर ड्राप मोर क्राप-माइक्रोइरीगेशन योजना उत्तर प्रदेश के समस्त जनपदों में लागू है। योजनान्तर्गत बुन्देलखण्ड, विंध्य क्षेत्र, प्रदेश के अतिदोहित, क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल विकासखण्ड, 08 आकांक्षात्मक जनपद एवं 100 आकांक्षात्मक विकासखण्ड, अटल भूजल के आच्छादित 10 जनपदों के 550 ग्राम पंचायत, 27 नमामि गंगे जनपद प्राथमिकता के क्षेत्र हैं। सूक्ष्म सिंचाई पद्धति का आच्छादन बागवानी, कृषि एवं गन्ना फसल में सघनता से किया जा रहा है।
उद्यान मंत्री ने कहा कि इस योजना में ड्रिप/मिनी/माइको स्प्रिंकलर पर लघु एवं सीमांत कृषकों को लागत का 90 प्रतिशत एवं अन्य कृषकों को 80 प्रतिशत अनुदान पोर्टेबल/ सेमी परमानेंट/रेनगन स्प्रिंकलर पर लघु एवं सीमांत कृषकों को लागत का 75 प्रतिशत एवं अन्य कृषकों को 65 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। अनुमन्य अनुदान में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2026-27 तक के लिए 20 से 35 प्रतिशत अतिरिक्त राज्यांश (टॉप अप) की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। योजना का लाभ उठाने के लिए ऐसे किसान पात्र होंगे जिनके पास सिंचाई के लिए पानी का स्रोत उपलब्ध हो तथा लाभार्थी अंश वहन करने में सक्षम हों। सहकारी समितियों के सदस्यों, स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों, किसान उत्पादक संगठनों के सदस्यों द्वारा भी इसका लाभ लिया जा सकता है। साथ ही संविदा खेती (कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग) (न्यूनतम 7 वर्षों के लीज एग्रीमेंट की भूमि) पर भी यह सुविधा उपलब्ध रहेगी। इसके साथ ही थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेन्सी द्वारा सत्यापन की व्यवस्था रहेगी।
उद्यान मंत्री ने कहा आधार लिंक्ड लाभार्थी कृषक, निर्माता फर्म अथवा ऋण खाते में अनुदान का अंतरण योजनार्न्तगत 83 निर्माता फर्में चयनित हैं और प्रत्येक फर्म को 10-10 विकासखण्ड आवंटित किए गए हैं। कृषकगण इस योजना का लाभ लेने के लिए ूूूण्नचीवतजपबनसजनतमण्हवअण्पद एवं ूूूण्नचउपचण्पद पर विजिट करें। अधिक जानकारी के लिए जनपदीय उद्यान अधिकारी/मंडलीय उप निदेशक, उद्यान से संपर्क करें।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त तथा अपर मुख्य सचिव उद्यान मनोज कुमार सिंह ने कहा कि यह विभाग के लिए ऐतिहासिक दिन है। सिंचाई की इस नई तकनीक से किसानों के लाभ को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। उन्हांेने कहा कि इसके विषय में किसानों के बीच जागरूकता और स्वीकार्यता को बढ़ाया जाए तो प्रदेश भर में सिंचाई के क्षेत्र में आगामी 06 माह में एक नई क्रांति की शुरूआत होगी।
जीजीआरसी के वरिष्ठ प्रबंधक डा0 ए0वी0 वडावले ने बताया कि योजना के कुशल एवं पारदर्शी क्रियान्वयन हेतु भारत सरकार द्वारा निर्गत परामर्श के आलोक में गुजरात ग्रीन रिवोल्यूशन कम्पनी (जी.जी.आर.सी), वडोदरा, गुजरात के तकनीकी सहयोग से आई.टी. बेस्ड उत्तर प्रदेश माइक्रोइरीगेशन प्रोजेक्ट (न्च्डप्च्) पोर्टल विकसित किया गया है। विकसित नवीन पोर्टल में इच्छुक कृषकों के आनलाइन पंजीकरण, तकनीकी रूप से दक्ष ले-आउट/डिजाइन का अपडेशन, प्रथम आवक-प्रथम पावक के सिद्धान्त पर केन्द्रीकृत प्रणाली से स्वीकृति आदेश का निर्गमन, त्रि-पक्षीय अनुबंध, शत-प्रतिशत कृषक अंश का सिंगल सेन्ट्रल बैंक खाते में पेमेन्ट गेटवे के माध्यम से जमा करने, निर्धारित टाइम लाइन के अनुसार निर्माता फर्मों द्वारा कार्य पूर्ण करने की बाध्यता, स्वतंत्र रूप से चयनित थर्ड पार्टी इन्सपेक्शन एजेन्सी द्वारा भौतिक कार्यों का शत-प्रतिशत सत्यापन, जियो फेन्सिंग, आग, चोरी एवं प्राकृतिक आपदा से हुये क्षति का बीमा एवं कृषक की इच्छानुसार चयनित विकल्प के अनुसार लाभार्थी कृषक के आधार सीडेड बैंक खाते/निर्माता फर्म/ऋण खाते में अनुदान की राशि अंतरित किये जाने की पूर्ण व्यवस्था निर्धारित है। योजना के गुणात्मक क्रियान्वयन हेतु जनपदीय उद्यान अधिकारियों द्वारा भी रैण्डम सत्यापन का कार्य किया जायेगा। नवविकसित आई.टी. बेस्ड पोर्टल में जनपदीय/मण्डलीय अधिकारियों/मुख्यालय स्तर/शासन स्तर/भारत सरकार के स्तर पर ट्रैकिंग एवं अनुश्रवण की सुविधायें भी उपलब्ध होंगी।
कार्यक्रम के दौरान श्री बालकृष्ण त्रिपाठी, विशेष सचिव, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, डा. आर.के. तोमर, निदेशक उद्यान, जी.जी.आर.सी के वरिष्ठ अधिकारी डा. आशुतोष वडावले, श्री डी.आर. जोशी, डिप्टी मैनेजर, श्री समीर पटेल, सीनियर मैनेजर, श्रीमती उषा बरनपुरकर, आई.टी विशेषज्ञ, श्री योगेश बन्धु एवं विभाग के अधिकारीगण भौतिक एवं अन्य मण्डलीय एवं जनपदीय अधिकारीगण वर्चुअल रूप से शामिल हुये। कार्यक्रम में टी.पी.आई.ए एवं चयनित निर्माता फर्मों के प्रतिनिधियों द्वारा भी प्रतिभाग कर पारदर्शी क्रियान्वयन प्रक्रिया से परिचित हुये।

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