नई दिल्लीः पिछले छह महीनों में सरकारी बैंक साइबर फ्रॉड का शिकार हुए हैं। सूत्रों के अनुसार इसको देखते हुए बैंकिंग रेग्युलेटर आरबीआई ने बैंकों के आईटी सिस्टम्स की एथिकल हैकिंग का फैसला किया है। बैंकिंग रेग्युलेटर इन दिनों एथिकल हैकर्स की टीम बना रहा है, जिसका काम बैंकों की आईटी सिक्यॉरिटी सिस्टम में खामियों का पता लगाना होगा। सूत्र ने बताया कि अगर रेग्युलेटर को किसी बैंक का सिस्टम कमजोर मिलता है, वह उसे ठीक करने के उपाय भी बताएगा।
बचाव के लिए लिया यह फैसला
‘आर.बी.आई. साइबर अटैक से बैंकों के साथ ही खुद के बचाव के लिए इंटरनैशनल स्टैंडर्ड अपनाने पर विचार कर रहा है। रेग्युलेटर यह पक्का करने के लिए बैंकिंग सिक्यॉरिटी सिस्टम की एथिकल हैकिंग, प्लांड और अनप्लांड ऑडिट करने का प्लान बना रहा है कि सभी साइबर सिक्यॉरिटी के बेस्ट तौर-तरीके अपनाएं।’
यह लोग कर रहे हैं टीम की अगुवार्इ
आरबीआई ने पिछले दो महीनों में एक छोटी टीम बनाई है, जिसका काम खासतौर पर यह पता लगाना है कि किस बैंक के सिक्यॉरिटी सिस्टम में खामी है। इस टीम में यंग एथिकल हैकर और कुछ फॉर्मर पुलिस ऑफिसर हैं। आरबीआई ने पहले से ही एक टीम बनाई हुई है जिसकी अगुवार्इ रिटायर्ड आईपीएस और बैंक फ्रॉड और टेररिज्म मामलों के विशेषज्ञ नंदकुमार सरवडे कर रहे हैं। आरबीआई ने कई मौकों पर बाहर के एक्सपर्ट्स की भी सलाह ली है।
एथिकल हैकिंग क्या है
इसका मेन आइडिया रियल हैकर जैसे सोचना और काम करना होता। इनका काम नुकसान पहुंचाने के मकसद से खामियों का फायदा उठाने के बजाय उनको दुरुस्त करने का रास्ता बताना होता है। मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस के डाटा के मुताबिक देश के टॉप 51 बैंकों को अप्रैल 2013 से नवंबर 2016 के दौरान 485 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। इसमें से 56 पर्सेंट का नुकसान नॉन बैंकिंग चोरी और कार्ड क्लोनिंग के चलते हुआ था। मोटे अनुमान के मुताबिक देश में हर घंटे कम से कम 15 रैंसमवेयर हमले होते हैं और हर तीन में एक इंडियन इसका शिकार हो जाता है। इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि हाल के समय में साइबर सिक्यॉरिटी को लेकर बहुत ऐक्टिव हैं लेकिन इस मामले में उनको बहुत दूर तक जाना है।
साभार पंजाब केसरी