नई दिल्ली: सरकार ने इस बात पर विशेष जोर दिया है कि विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध देश जैसे कि भारत के लिए एक नई पीढ़ी का निर्माण करने हेतु ज्यादा से ज्यादा अभिनव तरीके अपनाये जाने चाहिए। आज यहां केन्द्रीय विद्यालय संगठन के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में केन्द्रीय विद्यालय संगठन की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में एक ब्रांड बन गया है। मंत्री महोदय ने अभिनव उपायों पर अमल के तरीके विकसित करने के उद्देश्य से अगले वर्ष मार्च महीने में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की। शिक्षा विशेषज्ञों और प्रतिपादकों को राष्ट्रीय सम्मेलन में आमंत्रित किया जाएगा, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए उनके अनुभवों एवं विचारों को साझा किया जा सके।
श्री जावड़ेकर ने संगठन के पुरस्कार विजेता शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी और उन्होंने ठोस एवं सकारात्मक ढंग से समुचित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के अपने सपने को साकार करने के लिए स्कूल में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के भविष्य के निर्माण की महती जिम्मेदारी को संभालने के लिए उनका आह्वान किया। मंत्री महोदय ने एक सम्मेलन में हुए अपने अनुभव का उल्लेख किया, जिसमें 1000 शिक्षकों को आमंत्रित किया गया था और उनसे शून्य निवेश के जरिये शिक्षा में संभावित सुधारों के बारे में सुझाव देने को कहा गया था। उन्होंने कहा कि 500 से भी अधिक आइडिया एवं प्रस्ताव सामने आये। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी संभावित एवं लाभप्रद सुधार के लिए शिक्षकों द्वारा दिये गये इन अभिनव आइडिया पर सकारात्मक ढंग से विचार करने के लिए अधिकारियों से कहा।
इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने यह जरूरत पूरी करने पर प्रकाश डाला कि समाज के हर तबके को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जानी चाहिए, ताकि वह अपनी ओर से सर्वोत्तम प्रदर्शन करने में सक्षम साबित हो सके। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर ही उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है। श्री कुशवाहा ने कहा, ‘इस संबंध में शिक्षकों की भूमिका कुछ ऐसी होनी चाहिए जिससे कि विवेकानंद एवं महात्मा गांधी जैसे व्यक्तित्व उभर कर सामने आ सकें। यही शिक्षा का एकमात्र मापदंड हो सकता है।’
इस अवसर पर देश भऱ से आये 104 शिक्षकों एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों को पुरस्कृत किया गया एवं उनका अभिनंदन किया गया।