देहरादून: ‘महज 23 महीनों में हमने देशभर में 12,900 स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में 1.3 करोड़ प्रसव पूर्व जांच किए हैं और हमने 6.5 लाख उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की भी पहचान की। ’केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री श्री जे पी नड्डा ने आज यहां ‘आई प्लेज फॉर नाइन’ अचीवर्स पुरस्कार वितरण समारोह में यह बात कही। यह पुरस्कार देश की प्रत्येक महिला को सुरक्षित मातृत्व प्रदान करने के उदेश्य वाले मिशन को हासिल करने में सहयोग करने वाले निजी सेक्टर और राज्यों से व्यक्तियों व निजी डाक्टरों की टीम को उनकी अनुकरणीय सेवाओं, संस्थाओं की शानदार स्पोर्ट और भागीदारों की प्रतिबद्वता के लिए दिए गए। श्री जे पी नड्डा ने उन राज्यों को भी पुरस्कार दिए जिन्होंने हाल ही में जारी एसआरएस के अनुसार एमएमआर में अनुकरणीय कमी का प्रदर्शन किया है।
इस कार्यक्रम में राज्य स्वास्थ्य व कल्याण मंत्री श्री अश्विनी चौबे,श्रीमती अनुप्रिया पटेल,नीति आयोग के सदस्य डा. विनोद पॉल,विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रीं और सचिव (स्वास्थ्य)श्रीमती प्रीति सूदन के साथ-साथ फोगसी (फडेरेशन ऑफ आब्स्ट्रिक्सि एंड गाइनकिलजिस्ट सोसाइटी) और आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के प्रमुख भी उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम में श्री जे पी नड्डा ने कहा कि हमारी ताकत इससे पता चलती है कि हम जो भी कार्यक्रम शुरू करते हैं, वह दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम बन जाता है और हमने वो कार्यक्रम शुरू किए हैं जिनके दूरगामी प्रभाव होंगे। श्री नड्डा ने आगे कहा कि भारत ने इतनी बड़ी संख्या व भौगालिक चुनौतियों के बावजूद कई सूंचकाक में ठोस प्रगति की है। केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याएा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने 2013 से मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में 22 प्रतिशत की कमी लाकर प्रभावशाली उन्नति दिखाई है। उन्होंने यह भी कहा ‘हमें इस बात की भी प्रंशसा करनी चाहिए कि उत्तर प्रदेश ने मातृ मृत्यु दर में 30 प्रतिशत की कमी लाकर मातृ मृत्यु दर वाले चार्ट में शीर्ष स्थान हासिल किया है।’
श्री जे पी नड्डा ने आगे कहा कि दो करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को गुणवत्ता वाली सेवाएं मुहैया कराने के लिए भारत को दूरगामी दृष्टि, नीति व जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन को एक साथ लेकर चलने की जरूरत है। श्री नड्डा ने यह भी जोड़ा ‘हमारी बड़ी उपलब्धियों में से एक उपलब्धि यह है कि कार्यक्रम देश के कठिन व कुछ दूरस्थ इलाकों में सफलतापूर्वक पहुंच रहा है। इस अभियान के तहत की गई 1.3 करोड़ मेडिकल जांच में से 25 लाख से अधिक स्वास्थ्य व कल्याण मंत्रालय के द्वारा चिन्हित उच्च प्राथमिकता वाले जिलों (जहां ध्यान फोकस की जरूरत) में की गईं।
राज्य स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय श्री अश्विनी चौबे ने कहा ‘मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री की अपील पर देशभर से डाक्टर स्वेच्छा से आगे आए और गर्भवती महिलाओं की जिंदगीं को बचाने वाले कार्यक्रम को स्पोर्ट किया। उन्होंने आगे कहा कि राज्यों ने भी उतने ही जोश से इस कार्यक्रम को अपनाया और मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार और अन्य राज्यों ने अपनी अपनी एमएमआर में कमी करके दिखाई।
राज्य स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि लगातार इनोवेशन पीएमएसएमए की विशिष्टता रहे हैं। उन्होंने कहा ‘हमें शुरूआत किए हुए दो साल से कम समय हुआ है, हम प्रत्येक गर्भवती महिला तक पहुंच गए हैं और इन दो सालों में 1.3 करोड़ प्रसव पर्व जांच की गई हैं। हमने जो नतीजे हासिल किए हैं उनसे हम उत्साहित हैं। ’श्री मती अनुप्रिया पटेल ने सभी हितधारकों, विशेष तौर पर कार्यकर्ताओं को उनके सराहनीय काम के लिए बधाई दी।
नीति आयोग के सदस्य श्री विनोद पॉल ने कहा कि एमएमआर में कमी असाधारण है और यह पूर्णतः अभूतपूर्व है। श्री विनोद पॉल ने कहा, ‘कुछ राज्यों ने तीन-चौथाई कमी हासिल की है। उत्तरप्रदेश व उत्तराखंड ने बड़ी कमी दर्ज कराई है। भारत ने एमडीजी 4 व एमडीजी 5 को हासिल करने में सफलता पाई है। मैं सभी हितधारकों को बधाई देता हूं। ’
इसके लांच होने से अब तक 1.30 करोड़ से ज्यादा प्रसव पूर्व जांच हो चुकी हैं और यह जांच ग्रामीण,शहरी व मुश्किल में स्थित सरकारी स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रसूति विशेषज्ञों-स्त्री रोग विशेषज्ञों और 5000 से अधिक निजी स्वैच्छिक भागीदारी से हुई है। इसके चलते 65,000 से अधिक उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की पहचान हो सकी, मातृ मृत्यु की रोकथाम में इसका बहुत बड़ा योगदान माना जा रहा है। मिशन के उद्भेश्यों को मजबूती देने के लिए करीब 1300 सरकारी स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केंद्रों में जैसे कि प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल हर माह की 9 तारीख को पीएमएसएमए सेवाएं मुहैया करा रहे हैं। मिशन सरकार के द्वारा सार्वजानिक व निजी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वालों को बीच एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सकारात्मक रूप से जोड़े रखने के लिए सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से सफल स्केलेबल प्रयास सिद्व हो रहा है।
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के द्वारा, ‘भारत में मातृत्व मृत्यु दर 2014-16’ के अनुसार 2014-16 में मातृत्व मृत्यृ दर में कमी आई है और यह 130 तक पहुंच गई है, 2011-13 में यह 167 थी। फायदों को आगे बढ़ाने के लिए मातृत्व देखभाल में सुधार के लिए सरकार का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान 2016 में शुरू किया गया। यह मिशन 2030 तक स्थाई विकास लक्ष्यों के लिए एमएमआर को 70 से नीचे लाने वाले लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए है।
भारत के प्रधानमंत्री ने 31 जुलाई 2016 को ‘मन की बात’ में निजी क्षेत्र के डाक्टरों से सुरक्षित मातृत्व के लिए साल में 12 दिन समर्पित करने व पीएमएसएमए के तहत हर महीने की 9 तारीख को स्वैच्छिक सेवाएं मुहैया कराने का अनुरोध किया था। उन्होंने हर महीने की 9 तारीख को गर्भावस्था के 9 माह से जोड़ा और कहा कि 9 तारीख मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में फैले फासलों विशेष तौर पर मुश्किल पहुंच वाले व ग्रामीण इलाकों में, को पाटने के लिए समार्पित होनी चाहिए। मिशन सुनिश्चित करता है कि देशभर में पीएमएसएमए के अंतर्गत पंजीकृत हर गर्भवती महिला को दूसरी व तीसरी तिमाही में मुफ्त, समग्र और गुणवत्ता वाली प्रसव पूर्व देखभाल से भारत सेवाएं मिले।
भारत ने मातृ मृत्यु दर को कम करने व एमडीजी 5 के लक्ष्यों को हासिल करने में प्रभावशाली प्रगति की है। 2013 की तुलना में अब गर्भावस्था संबंधी जटिल समस्याओं के चलते हर माह 1000 से कम महिलाएं मर रही हैं। मातृ स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए किए गए सरकारी प्रयासों के चलते संस्थागत जन्म में सुधार हुआ है और इससे 2013 के स्तर से एमएमआर में 22 प्रतिशत की अभूतपूर्व कमी आई है। मातृ स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों को कम करने पर जोर देकर जैसे कि लड़कियों की शिक्षा में सुधार करके व बाल विवाह कम करके, ये अन्य तत्व हैं जिन्होंने इस मशहूर सफलता में योगदान दिया।
कार्यक्रम में डा. एस. वेंकटेश, डीजीएचएस, राज्योंके स्वास्थ्य सचिव, मिशन निदेशक (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन), डवलपमेंट भागीदारों के प्रतिनिधि, यूनीसेफ, यूएसएड, बीएमजीएफ और डब्लयूएचओ और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।